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यमुना बाढ़ ने उजाड़े घर-बार, बच्चों की पढ़ाई और लोगों का रोजगार प्रभावित

यमुना बाढ़ ने उजाड़े घर-बार, बच्चों की पढ़ाई और लोगों का रोजगार प्रभावित

यमुना में आई बाढ़ ने दिल्ली के कई परिवारों के आशियाने और सामान बर्बाद कर दिए। राहत शिविरों में रह रहे लोग गर्मी, मच्छरों और असुविधाओं से जूझ रहे हैं, जबकि बच्चों की पढ़ाई और भविष्य की चिंता बढ़ी है।

नई दिल्ली: यमुना नदी में आई बाढ़ ने राजधानी के कई परिवारों की जिंदगी पूरी तरह बदल दी है। घरों से बेघर हुए लोग अब राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं, लेकिन यहां भी उनकी परेशानियां कम नहीं हुई हैं। एनबीटी की टीम सोमवार को दिल्ली के अलग-अलग राहत शिविरों में पहुंची और यहां मौजूद परिवारों से बात कर उनका दर्द जाना। लोगों का कहना है कि भले ही उन्हें खाना और पानी मिल रहा है, लेकिन रोजगार, बच्चों की पढ़ाई और भविष्य की चिंता उन्हें सताए जा रही है।

राहत शिविरों में गर्मी, मच्छर और बुनियादी सुविधाओं की कमी से लोगों का जीवन कठिन हो गया है। बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई है, कई का मूल्यवान सामान बह गया है, और महिलाओं को टॉयलेट जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी सबसे ज्यादा परेशान कर रही है।

बाढ़ राहत शिविरों में दिन-रात परेशानी 

बाढ़ के बाद आईटीओ और अन्य क्षेत्रों के राहत शिविरों में रह रहे लोग न केवल अपने घर और सामान खोने का दर्द झेल रहे हैं, बल्कि दिन-रात की कठिनाइयों का भी सामना कर रहे हैं। शबनम, जो बेला गांव की झुग्गियों में अपने तीन बच्चों और पति के साथ रहती थीं, ने बताया कि दिन में उमस और रात में मच्छरों से रहना बेहद मुश्किल हो गया है।

राहत शिविर में उन्हें सुबह चाय और बिस्कुट, दोपहर में चावल और सब्जी, और रात में रोटियां मिलती हैं। हालांकि भोजन की व्यवस्था है, लेकिन गर्मी और उमस में टेंट में रहना मुश्किल है। मोबाइल टॉयलेट्स की संख्या कम होने के कारण महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी हो रही है।

बाढ़ में झुग्गियां डूबीं, राहत शिविर में मुश्किलें जारी

रजनी, जो आईटीओ राहत शिविर में रह रही हैं, बताती हैं कि बाढ़ में उनकी झुग्गी पूरी तरह से पानी में डूब गई। सामान निकालने तक का समय नहीं मिला और कीमती सामान बह गया। उनका कहना है कि शिविर सिर्फ अस्थायी ठिकाना है और पानी का स्तर कम होने के बाद उन्हें दोबारा झुग्गी बनानी पड़ेगी।

धर्मेंद्र ने बताया कि राहत शिविर में लगातार एक ही तरह का खाना परोसा जा रहा है, इसलिए वे खुद खाना बनाकर खा रहे हैं। मच्छरों की भरमार से कई दिन से ठीक से नींद नहीं आ रही है।

बाढ़ से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित 

दरियागंज के सर्वोदय कन्या विद्यालय की आठवीं कक्षा की छात्रा कुमुद का कहना है कि बाढ़ में उनकी कॉपी-किताब बह गई। इस कारण वे इस बार एग्जाम नहीं दे पा रही हैं। बच्चों की पढ़ाई पर भी बाढ़ का गहरा असर पड़ा है। स्कूल बंद होने और किताबों के बह जाने से उनके भविष्य की चिंता बढ़ गई है।

कई परिवारों के लिए रोजगार भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। पति-पत्नी दोनों अस्थायी कामों पर निर्भर हैं और बाढ़ के कारण उनकी आजीविका पर भी असर पड़ा है। राहत शिविरों में रहने के दौरान काम-काज और जीवन निर्वाह की समस्या लोगों को सताए जा रही है।

राहत शिविरों में सुधार की जरूरत

बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि राहत शिविरों में सुविधाएं पर्याप्त नहीं हैं। पंखों की कमी, साफ-सफाई की समस्याएं, और टॉयलेट की अपर्याप्त व्यवस्था लोगों की मुश्किलें बढ़ा रही हैं। उन्हें उम्मीद है कि प्रशासन इन समस्याओं को जल्द ही हल करेगा ताकि लोग बर्दाश्त योग्य हालात में रह सकें।

विशेषज्ञों का कहना है कि यमुना नदी के आसपास इन क्षेत्रों में बाढ़ नियंत्रण और आपातकालीन प्रबंधन प्रणाली मजबूत करनी होगी। इससे न केवल घरों और संपत्ति को बचाया जा सकता है, बल्कि लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर भी असर कम होगा।

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