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भारत-अमेरिका व्यापार डील फाइनल की कगार पर? 1 अगस्त से पहले दिखेगा फैसला!

भारत-अमेरिका व्यापार डील फाइनल की कगार पर? 1 अगस्त से पहले दिखेगा फैसला!

भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से अटकी व्यापार वार्ता अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती नजर आ रही है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को साफ किया कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता करने की कोशिशें तेज़ी से चल रही हैं। खास बात ये है कि भारतीय वार्ताकारों की एक टीम अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन पहुंच चुकी है, जहां समझौते की शर्तों पर गहन बातचीत हो रही है।

समझौते में तेजी लाने की वजह क्या है?

भारत और अमेरिका के बीच यह व्यापार वार्ता ऐसे समय पर हो रही है, जब भारत पर 26 प्रतिशत तक के जवाबी शुल्क का खतरा मंडरा रहा है। अगर 1 अगस्त तक दोनों देश किसी अंतरिम समझौते पर नहीं पहुंचते, तो अमेरिका की ओर से कुछ भारतीय वस्तुओं पर भारी-भरकम शुल्क लगाया जा सकता है। ऐसे में भारत पर दबाव बढ़ गया है कि वह तय समयसीमा से पहले कोई सहमति बना ले।

कौन कर रहा है वार्ता का नेतृत्व?

इस बातचीत का नेतृत्व भारत की ओर से वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव और मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल कर रहे हैं। वह वॉशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों के साथ लगातार बैठकों में शामिल हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि बातचीत काफी गंभीर दौर में पहुंच चुकी है और कई अहम मुद्दों पर प्रगति हुई है।

कई स्तरों पर हो रही बातचीत

वर्तमान में वार्ता सिर्फ एक ही स्तर पर नहीं, बल्कि कई स्तरों पर हो रही है। अधिकारी तकनीकी पहलुओं पर चर्चा कर रहे हैं, जबकि राजनीतिक नेतृत्व समझौते की दिशा तय कर रहा है। भारत की ओर से फार्मा, कृषि उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्नोलॉजी सेक्टर से जुड़े मसलों पर बातचीत हो रही है, वहीं अमेरिका की तरफ से पेटेंट, डेटा संरक्षण और आयात शुल्क जैसे मुद्दे उठाए जा रहे हैं।

1 अगस्त की समयसीमा क्यों अहम है?

1 अगस्त की तारीख इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि अमेरिका की ओर से कुछ भारतीय निर्यात उत्पादों पर 26 फीसदी तक का अतिरिक्त शुल्क लगाने की चेतावनी दी गई है। ऐसे में भारत के निर्यातकों के लिए यह बड़ा झटका हो सकता है। इसीलिए भारत सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि इस समयसीमा से पहले कोई राह निकाली जा सके।

पिछले अनुभवों से मिली सीख

भारत और अमेरिका के बीच इससे पहले भी व्यापार से जुड़े कई मुद्दों पर विवाद हो चुका है। अमेरिका ने कई बार भारत को वाणिज्यिक प्राथमिकताओं की सूची (GSP) से बाहर कर दिया था, जिससे भारत के कुछ निर्यातकों को नुकसान हुआ था। इसके बाद से भारत अमेरिका के साथ संतुलित व्यापारिक रिश्ते बनाने की कोशिश में जुटा है।

वार्ता की चुनौतियां क्या हैं?

इस बातचीत में कई मुद्दे ऐसे हैं जिन पर सहमति बनाना आसान नहीं है। जैसे- कृषि सब्सिडी, पेटेंट कानून, डेटा शेयरिंग, डिजिटल व्यापार, ई-कॉमर्स नीति, सीमा शुल्क में कटौती आदि। अमेरिका चाहता है कि भारत इन नीतियों में ढील दे, जबकि भारत का रुख अपनी आंतरिक नीतियों को सुरक्षित रखने का है।

क्या होगा अगर समझौता नहीं हुआ?

अगर 1 अगस्त तक कोई समझौता नहीं होता है, तो अमेरिकी शुल्क लागू हो सकते हैं, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में तनाव आ सकता है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि तब भी बातचीत पूरी तरह नहीं रुकेगी, बल्कि 2025 के अंत तक एक व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौते की दिशा में प्रयास जारी रहेंगे।

दोनों देशों को है व्यापक व्यापारिक साझेदारी की उम्मीद

भारत और अमेरिका दोनों ही दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। बीते वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार काफी बढ़ा है और टेक्नोलॉजी, रक्षा, ऊर्जा व फार्मा जैसे क्षेत्रों में साझेदारी गहरी हुई है। ऐसे में एक व्यापार समझौता न सिर्फ आर्थिक फायदे पहुंचाएगा, बल्कि रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

समझौते की दिशा में अगला कदम

वर्तमान में अधिकारी स्तर पर वार्ता जारी है और उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ दिनों में इस पर उच्च स्तर की बैठक भी हो सकती है। अगर दोनों देश प्रमुख मुद्दों पर सहमत हो जाते हैं, तो 1 अगस्त से पहले एक संयुक्त घोषणा की जा सकती है।

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