संसद मार्ग स्थित मस्जिद में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा की गई बैठक पर विवाद गहराता जा रहा है। पहले भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर कड़ा ऐतराज जताया था, और अब मुस्लिम संगठनों ने भी इस पर आपत्ति दर्ज की है।
Akhilesh Yadav Mosque Meeting: संसद मार्ग स्थित प्रसिद्ध मस्जिद में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की अध्यक्षता में हुई राजनीतिक बैठक पर विवाद गहराता जा रहा है। इस बैठक को लेकर न केवल राजनीतिक दलों, बल्कि अब मुस्लिम संगठनों ने भी कड़ी आपत्ति जताई है। खासकर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने इस घटनाक्रम को इस्लाम के सिद्धांतों के विरुद्ध बताते हुए मस्जिद की पवित्रता भंग होने का आरोप लगाया है।
मस्जिद में राजनीतिक बैठक ने खड़ा किया बड़ा विवाद
बीते सप्ताह संसद मार्ग मस्जिद में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव, सांसद जिया उर रहमान बर्क और अन्य नेताओं की मौजूदगी में एक बैठक आयोजित की गई। यह बैठक पूरी तरह से राजनीतिक थी, जिसमें समाजवादी पार्टी के आगामी कार्यक्रमों, रणनीति और चुनावी मुद्दों पर चर्चा की गई।
इस बैठक का वीडियो और तस्वीरें जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। वहीं, अब ऑल इंडिया मुस्लिम जमात जैसे प्रभावशाली धार्मिक संगठन ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
मुस्लिम संगठन ने बताया इस्लाम विरोधी कृत्य
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने एक पत्र लिखकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से संसद मार्ग मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को उनके पद से हटाने की मांग की है। मौलाना रजवी का कहना है कि मस्जिद को राजनीति का मंच बनाना इस्लामिक शरीयत और परंपराओं के पूरी तरह खिलाफ है।
उन्होंने लिखा, मस्जिदों का उपयोग केवल इबादत, शिक्षा और आध्यात्मिक कार्यों के लिए होना चाहिए। राजनीतिक मीटिंग मस्जिद की गरिमा और पवित्रता को ठेस पहुंचाती है।
महिलाओं और 'अशोभनीय वस्त्रों' पर भी उठे सवाल
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि इस बैठक में कुछ ऐसे लोग शामिल हुए, जिनकी वेशभूषा इस्लामिक मर्यादाओं के अनुरूप नहीं थी। मौलाना रजवी ने कहा, “इस मीटिंग में महिलाएं भी शामिल हुईं, जबकि शरीयत के अनुसार मस्जिद में प्रवेश के लिए विशेष नियम होते हैं। कुछ लोगों के पहनावे भी अशोभनीय थे, जो कि मस्जिद के पाक माहौल के प्रतिकूल है।
इस मुद्दे पर भाजपा ने भी समाजवादी पार्टी को घेरा है। पार्टी प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि वोट बैंक की राजनीति के लिए धर्मस्थलों का इस्तेमाल करना बेहद निंदनीय है। भाजपा ने चुनाव आयोग और अन्य संबंधित एजेंसियों से इस बैठक की जांच कराने की भी मांग की है।
विवाद के बीच संसद मार्ग मस्जिद प्रशासन की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि उन्होंने इस बैठक को मस्जिद में आयोजित करने की अनुमति क्यों दी। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि धार्मिक नेताओं को राजनीति से दूर रहना चाहिए, ताकि मस्जिदों की गरिमा बनी रहे।