GST काउंसिल ने हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर 18% टैक्स हटाने का फैसला किया है, लेकिन कोटक की रिपोर्ट के मुताबिक इसका फायदा ग्राहकों को नहीं मिलेगा। इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) खत्म होने से बीमा कंपनियां प्रीमियम दरों में 3-5% तक बढ़ोतरी कर सकती हैं, जिससे पॉलिसी सस्ती होने के बजाय महंगी पड़ सकती है।
Life Insurance: GST काउंसिल की 56वीं बैठक में बड़ा फैसला लिया गया, जिसके तहत 22 सितंबर 2025 से हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर 18% GST को हटाकर इसे शून्य कर दिया जाएगा। आम धारणा थी कि इससे पॉलिसी सस्ती हो जाएगी, लेकिन कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट बताती है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट खत्म होने के कारण बीमा कंपनियों का खर्च बढ़ेगा। इस बढ़ी हुई लागत की भरपाई के लिए वे प्रीमियम दरों में 3-5% बढ़ोतरी कर सकती हैं। नतीजतन, टैक्स छूट का फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचेगा और बीमा महंगा हो सकता है।
GST हटाने का फैसला कब से लागू होगा
GST काउंसिल की 56वीं बैठक में हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर टैक्स खत्म करने का बड़ा फैसला लिया गया। यह छूट 22 सितंबर 2025 से लागू होगी। इस फैसले को लेकर शुरू में ग्राहकों को उम्मीद थी कि पॉलिसी की प्रीमियम दरें घटेंगी और बीमा सस्ता हो जाएगा। लेकिन हकीकत इससे अलग दिखाई दे रही है।
इनपुट टैक्स क्रेडिट खत्म होने से कंपनियों की मुश्किल
अब तक बीमा कंपनियां अपने संचालन खर्च जैसे एजेंटों का कमीशन, विज्ञापन, ऑफिस खर्च और पुनर्बीमा सेवाओं पर GST का भुगतान करती थीं। इस पर उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी आईटीसी का लाभ मिल जाता था। इससे कंपनियों की कुल लागत कुछ हद तक कम हो जाती थी। लेकिन अब जीएसटी खत्म होने के बाद कंपनियां आईटीसी का दावा नहीं कर पाएंगी।
इससे बीमा कंपनियों का खर्च बढ़ जाएगा। रिपोर्ट का कहना है कि इस अतिरिक्त बोझ को संतुलित करने के लिए कंपनियां प्रीमियम दरों में 3 से 5 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर सकती हैं। यानी जो राहत ग्राहकों तक पहुंचनी चाहिए थी, वह कंपनियों की लागत बढ़ने की वजह से उनसे ही वसूली जाएगी।
ग्राहकों तक क्यों नहीं पहुंचेगी राहत
रिपोर्ट में बताया गया है कि बीमा पॉलिसियों की कुल लागत में 12 से 15 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। लेकिन यह कमी सीधे ग्राहकों को महसूस नहीं होगी। इसकी वजह यह है कि कंपनियां आईटीसी न मिलने से हुए नुकसान की भरपाई टैरिफ में इजाफा करके करेंगी। ऐसे में बीमा की मांग थोड़ी बढ़ सकती है, लेकिन प्रीमियम का बोझ आम ग्राहकों पर ही पड़ेगा।
पुनर्बीमा सेवाओं को भी मिलेगी छूट
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पुनर्बीमा सेवाओं को GST से छूट मिलेगी। हालांकि बीमा कंपनियों को अन्य कई सेवाओं पर अब भी GST चुकाना होगा। इस वजह से कुल मिलाकर टैक्स राहत अधूरी ही रहेगी। इसके अलावा व्यक्तिगत बीमा पॉलिसियों को छूट वाली सेवाओं में गिना जाएगा। इसलिए इन पर इनवर्टेड टैक्स स्ट्रक्चर का लाभ भी नहीं मिलेगा।
इस स्थिति में बीमा कंपनियों को जो कर ढांचा मिलेगा, वह उनके लिए अनुकूल नहीं होगा। यही कारण है कि वे अपनी लागत की भरपाई सीधे प्रीमियम दरें बढ़ाकर करने की कोशिश करेंगी।
ग्राहकों की उम्मीद पर असर
सरकार के इस कदम से शुरुआत में लोगों को सस्ते बीमा की उम्मीद जगी थी। लेकिन ताजा रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह राहत केवल कागजों पर ही रह सकती है। असल में ग्राहकों को प्रीमियम दरों में गिरावट के बजाय बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बीमा कंपनियां इस फैसले का लाभ सीधे अपने खर्चों की भरपाई में लगाएंगी। ऐसे में आम ग्राहक जो कम कीमत पर पॉलिसी लेने की सोच रहे थे, उन्हें झटका लग सकता है। खासकर वे लोग जिन्होंने सोचा था कि टैक्स खत्म होने के बाद प्रीमियम में बड़ी राहत मिलेगी, उन्हें निराशा हाथ लग सकती है।
बीमा उद्योग के लिए नई चुनौती
भारतीय बीमा उद्योग पहले से ही कम पैठ और महंगे प्रीमियम की समस्या से जूझ रहा है। अब GST हटने के बावजूद ITC न मिलने से कंपनियों की लागत बढ़ेगी। इसका सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा।
रिपोर्ट यह संकेत देती है कि आने वाले महीनों में जब यह फैसला लागू होगा तो पॉलिसीधारकों को महंगे प्रीमियम का सामना करना पड़ सकता है। बीमा सस्ता होने की जो उम्मीद बनाई गई थी, वह हकीकत में उलट साबित हो सकती है।