बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कई अहम सीटों पर मुकाबला बेहद रोमांचक होने वाला है, जिनमें से बांका विधानसभा क्षेत्र भी प्रमुख है। बांका सीट पर इस बार सभी की नजरें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर पर लगी हैं।
बांका: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के इंडिया गठबंधन के लिए चुनौतियों भरी सीटों में बांका का नाम भी शामिल है। यह सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है, और इस चुनाव में भी आरजेडी के लिए यहां जीत हासिल करना आसान नहीं होगा। अगर विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस को यह सीट मिलती है, तो उनके लिए भी खोई जमीन वापस पाना मुश्किल साबित हो सकता है।
2024 के लोकसभा चुनाव में भी एनडीए के उम्मीदवार ने यहां बढ़त बनाई थी। ऐसे में बांका सीट विपक्षी गठबंधन के लिए एक साफ चुनौती बनकर उभर रही है, और यहां से जीत हासिल करना उनकी रणनीति और मेहनत पर निर्भर करेगा।
बांका में बीजेपी की मजबूती
बांका विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी का दबदबा काफी मजबूत है। यहां से रामनारायण मंडल लगातार विधायक बन चुके हैं। रामनारायण मंडल ने अब तक छह बार इस सीट से जीत हासिल की है और इस बार उनकी कोशिश सातवीं जीत हासिल करने की होगी। 2014 में हुए उपचुनाव में जीतने के बाद से वह लगातार विधायक बने हुए हैं। उनके लिए यह सीट जीतना चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन इतिहास और पार्टी के संगठन को देखते हुए उनका पलड़ा भारी माना जा रहा है।
बीजेपी के लिए यह सीट सिर्फ जीतने की नहीं, बल्कि लगातार सत्ता में अपनी पकड़ और मजबूत करने का मौका भी है। लोकसभा चुनाव में जेडीयू के गिरधारी यादव ने भी यहां से लगातार तीन बार सांसद बनकर अपनी पकड़ मजबूत की थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी एनडीए उम्मीदवार ने यहां बढ़त हासिल की थी।
विपक्षी गठबंधन की चुनौती
इस बार आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन के लिए बांका सीट जीतना आसान नहीं होगा। अगर कांग्रेस को यह सीट मिलती है, तो उसे भी बीजेपी की मजबूत पकड़ और रामनारायण मंडल की लोकप्रियता को चुनौती देना होगी। विपक्ष के लिए इस क्षेत्र में एंटी-इंकंबेंसी ही एकमात्र उम्मीद दिखाई देती है। बांका जिले का ज्यादातर इलाका झारखंड से सटा हुआ है और यहां पर विकास की प्रक्रिया अभी भी पूरी तरह नहीं पहुंची है।
कुछ साल पहले तक नक्सलियों का प्रभाव भी अधिक था। हालांकि हाल के वर्षों में स्थिति बेहतर हुई है, लेकिन मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी और इलाके की राजनीतिक संवेदनशीलता को देखते हुए विपक्ष को जीत के लिए कड़ा प्रयास करना होगा।
बांका में ऐतिहासिक जीत का रिकॉर्ड
बांका विधानसभा क्षेत्र में अब तक 20 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिसमें चार उपचुनाव भी शामिल हैं। इतिहास पर नजर डालें तो:
- बीजेपी और उसके पूर्ववर्ती जनसंघ ने 8 बार जीत हासिल की है।
- कांग्रेस ने 7 बार यहां जीत दर्ज की।
- आरजेडी को 2 बार जीत मिली।
- स्वतंत्र और जनता पार्टी को एक-एक बार सफलता मिली।
रामनारायण मंडल ने 2014 के उपचुनाव के बाद लगातार तीन बार जीत दर्ज की है। इसलिए उनकी सातवीं जीत की संभावना इस बार भी मजबूत बनी हुई है।बांका सीट पर बीजेपी का उम्मीदवार रामनारायण मंडल होंगे। विपक्षी गठबंधन के लिए सीट पर चुनाव लड़ना चुनौतीपूर्ण होगा, खासकर तब जब एनडीए की तीन दशकों से लगातार पकड़ रही है।