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BJP के लिए बढ़ सकती है मुश्किल: टीडीपी ने एसआईआर में बदलाव की रखी मांग, गठबंधन में दरार के संकेत?

BJP के लिए बढ़ सकती है मुश्किल: टीडीपी ने एसआईआर में बदलाव की रखी मांग, गठबंधन में दरार के संकेत?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। 

नई दिल्ली: भारत में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) को लेकर राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा हुआ है। खासकर बिहार चुनाव के संदर्भ में मतदाता सूची में हो रहे संशोधनों को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार और चुनाव आयोग दोनों पर सवाल उठा रहा है। 

अब इसी कड़ी में एनडीए (NDA) के प्रमुख घटक दल तेलुगू देशम पार्टी (TDP) ने भी बड़ा कदम उठाते हुए आंध्र प्रदेश में SIR प्रक्रिया को लेकर नए सिरे से मांग रख दी है, जिससे बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

क्या है टीडीपी की मांग?

टीडीपी ने निर्वाचन आयोग (ECI) से आग्रह किया है कि आंध्र प्रदेश में मतदाता सूची के SIR के लिए अधिक समय दिया जाए और यह प्रक्रिया किसी भी बड़े चुनाव से छह महीने पहले नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, टीडीपी ने यह भी साफ कहा है कि पहले से पंजीकृत मतदाताओं को अपनी नागरिकता या पहचान फिर से साबित करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।

टीडीपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के समक्ष अपनी मांग रखते हुए यह भी स्पष्ट किया कि SIR का उद्देश्य केवल मतदाता सूची में सुधार और नए नाम जोड़ने तक सीमित रहना चाहिए। इसे नागरिकता सत्यापन से बिल्कुल अलग रखा जाए और इस अंतर को सभी निर्देशों और दिशा-निर्देशों में स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया जाए।

गठबंधन में बढ़ सकती है खटास?

टीडीपी, एनडीए की सबसे मजबूत सहयोगी पार्टियों में से एक है। लोकसभा 2024 में उसके पास 16 सीटें हैं। ऐसे में टीडीपी का इस तरह से SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाना और उसमें बदलाव की मांग करना यह संकेत देता है कि एनडीए के भीतर पूरी तरह से सब कुछ ठीक नहीं है। बीजेपी फिलहाल अपने दम पर 240 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत से 32 सीट पीछे है और उसे सरकार बचाने के लिए सहयोगी दलों पर पूरी तरह निर्भर रहना पड़ रहा है। ऐसे में TDP जैसी बड़ी सहयोगी पार्टी के साथ मतभेद बीजेपी के लिए राजनीतिक सिरदर्द साबित हो सकते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बीजेपी TDP की इन मांगों को नजरअंदाज करती है, तो इससे गठबंधन में तनाव और बढ़ सकता है। वहीं यदि बीजेपी TDP की शर्तों को मानती है, तो बिहार सहित अन्य राज्यों में SIR प्रक्रिया को लेकर उसकी रणनीति कमजोर पड़ सकती है।

विपक्ष को मिला नया हथियार

चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने SIR प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी बनाने, इसे नागरिकता सत्यापन से अलग रखने और मतदाताओं को हटाने के नियमों में स्पष्टता की मांग रखी है। इस मांग के सामने आने से विपक्षी दलों को बीजेपी पर हमला करने का एक और मजबूत मौका मिल गया है। कांग्रेस और INDIA गठबंधन पहले ही SIR को चुनावी हेरफेर की कोशिश बताकर सरकार और चुनाव आयोग को घेर रहे हैं। 

अब जब बीजेपी की सहयोगी पार्टी TDP भी SIR प्रक्रिया पर सवाल उठा रही है, तो विपक्ष इसे एनडीए के भीतर मतभेद के रूप में प्रचारित कर सकता है। इससे बीजेपी की रणनीति और छवि दोनों पर असर पड़ सकता है। यदि चुनाव आयोग SIR की प्रक्रिया में बदलाव करता है या देरी करता है, तो विपक्ष इसे अपनी जीत के तौर पर पेश करेगा, जिससे जनता के बीच बीजेपी की साख पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

SIR यानी Special Intensive Revision का सीधा संबंध चुनावों में मतदाता सूची की पारदर्शिता और निष्पक्षता से जुड़ा होता है। किसी भी संशोधन या पुनरीक्षण में देरी या बदलाव राजनीतिक दलों के लिए रणनीतिक मायने रखते हैं। ऐसे में TDP जैसी सहयोगी पार्टी का इस पर विरोध जताना बीजेपी के लिए एक बड़ा राजनीतिक संदेश है।

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