भारत की मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को लेकर चीन की नई रणनीति ने चिंता बढ़ा दी है। इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) ने केंद्र सरकार को एक लेटर लिखकर आगाह किया है कि चीन ने बिना किसी औपचारिक घोषणा के कुछ ऐसे अनौपचारिक प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं, जिनका सीधा असर भारत के स्मार्टफोन निर्यात पर पड़ सकता है। एसोसिएशन का कहना है कि इन प्रतिबंधों से 2025 में तय किए गए 32 अरब डॉलर के एक्सपोर्ट लक्ष्य पर संकट खड़ा हो गया है।
भारत की सप्लाई चेन पर हो रहा है सीधा वार
ICEA के मुताबिक, चीन ने जानबूझकर कैपिटल इक्विपमेंट, रेयर मिनरल्स और टेक्निकल स्टाफ पर अनौपचारिक रोक लगाई है। इससे भारत में मैन्युफैक्चरिंग की लागत काफी बढ़ गई है और शिपमेंट में देरी हो रही है। संगठन ने यह भी दावा किया है कि चीन की मंशा भारत की ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पोजिशन को कमजोर करना है ताकि वह इंटरनेशनल मार्केट में आगे न बढ़ पाए।
एपल और गूगल जैसी कंपनियां हो सकती हैं प्रभावित
इन अनौपचारिक पाबंदियों का असर उन कंपनियों पर सीधा पड़ सकता है जो भारत से अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों में स्मार्टफोन भेज रही हैं। ICEA की मेंबर कंपनियों में ऐपल, गूगल, मोटोरोला, वीवो, ओप्पो, फॉक्सकॉन, लावा, डिक्सन, फ्लेक्स और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। इन कंपनियों ने भारत में बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाई हैं और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत भारी निवेश भी किया है।
भारत में आईफोन मैन्युफैक्चरिंग पर असर
पिछले कुछ वर्षों में भारत आईफोन प्रोडक्शन का बड़ा हब बनकर उभरा है। पांच साल पहले तक सभी आईफोन चीन में बनते थे, लेकिन अब वैश्विक उत्पादन का लगभग 20% हिस्सा भारत से होता है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और फॉक्सकॉन जैसी कंपनियों ने तमिलनाडु और कर्नाटक में आईफोन बनाने की बड़ी यूनिट्स स्थापित की हैं। इन यूनिट्स से अमेरिका और यूरोपीय देशों को स्मार्टफोन एक्सपोर्ट किए जाते हैं।
स्मार्टफोन बना है भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट आइटम
वित्तीय वर्ष 2025 में भारत ने 64 बिलियन डॉलर के स्मार्टफोन बनाए, जिनमें से 24.1 बिलियन डॉलर के फोन्स विदेश भेजे गए। इससे यह प्रोडक्ट भारत का टॉप एक्सपोर्ट आइटम बन चुका है। लेकिन ICEA ने चेतावनी दी है कि अगर चीन की ओर से लगाए गए प्रतिबंध ऐसे ही जारी रहे तो यह पूरा ग्रोथ मॉडल खतरे में पड़ सकता है।
रेयर अर्थ मिनरल्स की कमी बढ़ी
चीन की ओर से रेयर अर्थ मिनरल्स पर भी एक्सपोर्ट प्रतिबंध लगाए गए हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में आवश्यक होते हैं। भारत में इन मिनरल्स की कमी के कारण कई यूनिट्स को कच्चा माल समय पर नहीं मिल पा रहा है। इससे उत्पादन धीमा हो रहा है और कंपनियों को अपने डेडलाइन मिस करने पड़ रहे हैं।
ग्लोबल मार्केट में भारत की प्रतिस्पर्धा पर असर
भारत ने बीते तीन सालों में तेजी से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा दिया है और खासकर मोबाइल इंडस्ट्री में चीन का विकल्प बनने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। लेकिन ICEA ने इस बात पर जोर दिया है कि अगर चीन की यह रणनीति यूं ही जारी रही तो भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बड़ा झटका लग सकता है।
सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग
ICEA ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह इस मामले को गंभीरता से ले और चीन की इन नीतियों के खिलाफ कूटनीतिक स्तर पर ठोस कदम उठाए। संगठन का मानना है कि यह सिर्फ व्यापार का नहीं बल्कि भारत की रणनीतिक मैन्युफैक्चरिंग स्थिति का भी मामला है, जिसमें देरी नुकसानदायक हो सकती है।
भारत बनाम चीन: मैन्युफैक्चरिंग की जंग
भारत को मैन्युफैक्चरिंग का अगला हब बनाने की दिशा में केंद्र सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। लेकिन चीन की यह नई रणनीति उस प्रगति को धीमा करने का प्रयास करती दिख रही है। PLI स्कीम, मेक इन इंडिया अभियान और ग्लोबल ब्रांड्स का भारत में बढ़ता विश्वास इन सब पर अब चीन के प्रतिबंधों की छाया मंडरा रही है।