सावन के पवित्र महीने में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसी महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को दामोदर द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप की पूजा की जाती है। 'दामोदर' नाम का उल्लेख विष्णु सहस्रनाम में भी मिलता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दामोदर द्वादशी पर व्रत और पूजा करने से भगवान विष्णु जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
दामोदर द्वादशी कब है
इस बार दामोदर द्वादशी 5 अगस्त 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 5 अगस्त को दोपहर 01:12 बजे से शुरू होगी और अगले दिन 6 अगस्त को दोपहर 02:08 बजे तक रहेगी।
इस समयावधि में भक्त व्रत, पूजा और भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप का ध्यान करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
दामोदर द्वादशी के प्रमुख मुहूर्त
इस दिन कई शुभ मुहूर्त और योग बन रहे हैं जो पूजा को और अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। इन मुहूर्तों में पूजा करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति मानी जाती है।
- ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:20 से 05:02 तक
- अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:00 से 12:54 तक
- विजय मुहूर्त – दोपहर 02:41 से 03:35 तक
- गोधूलि मुहूर्त – शाम 07:09 से 07:30 तक
- रवि योग – सुबह 05:45 से 11:23 तक
इन मुहूर्तों में से किसी एक समय पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। विशेष रूप से अभिजीत और ब्रह्म मुहूर्त को पूजा के लिए उत्तम बताया गया है।
दामोदर द्वादशी की पूजा विधि
इस पावन दिन पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा विधि इस प्रकार है, जिसे घर पर भी आसानी से किया जा सकता है।
- स्नान और स्वच्छता: सुबह जल्दी ब्रह्म मुहूर्त में उठें। नित्य क्रियाओं के बाद स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
- मंदिर की तैयारी: घर के पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें। वहां एक दीपक जलाएं और पूजा की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं।
- भगवान की स्थापना: चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। उनकी प्रतिमा को जल, पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं।
- पूजा सामग्री अर्पित करें: भगवान को धूप, दीप, अक्षत, अष्टगंध, पीले फूल, फल, मिठाई, तुलसीदल आदि अर्पित करें। उन्हें केले, नारियल और पीले रंग की मिठाई विशेष रूप से पसंद होती है।
- पाठ और आरती करें: इसके बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। फिर भगवान विष्णु की आरती करें। पूजा के अंत में भगवान से किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा याचना करें।
क्यों कहा जाता है भगवान विष्णु को 'दामोदर'
'दामोदर' नाम का अर्थ है – 'दम' यानी रस्सी और 'उदर' यानी पेट। यह नाम भगवान विष्णु के श्रीकृष्ण रूप से जुड़ा है, जब बालकृष्ण को यशोदा माता ने ऊखल से बांधा था। इसी घटना के कारण भगवान को दामोदर कहा गया।
इसलिए दामोदर द्वादशी केवल व्रत और पूजा का दिन नहीं, बल्कि भगवान विष्णु के वात्सल्य और प्रेम से जुड़े स्वरूप को याद करने का भी अवसर होता है।
कौन रख सकता है ये व्रत
दामोदर द्वादशी का व्रत कोई भी व्यक्ति रख सकता है जो भगवान विष्णु में आस्था रखता हो। विशेष रूप से वे लोग जो जीवन में सुख-शांति, पारिवारिक समृद्धि या किसी खास इच्छा की पूर्ति चाहते हैं, इस व्रत को श्रद्धा से कर सकते हैं।
स्त्री, पुरुष, गृहस्थ या विद्यार्थी सभी के लिए यह व्रत लाभकारी माना गया है। व्रत के दौरान फलाहार या केवल जल ग्रहण करके भगवान विष्णु का ध्यान करने की परंपरा है।
कहां-कहां होती है विशेष पूजा
भारत के कई हिस्सों में दामोदर द्वादशी को बड़े उत्साह से मनाया जाता है। खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और ओड़िशा में यह पर्व पारंपरिक रीति से मनाया जाता है।
मंदिरों में भगवान विष्णु के लिए विशेष श्रृंगार होता है और संकीर्तन, भजन, प्रसाद वितरण का आयोजन भी किया जाता है।