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भारत-न्यूजीलैंड FTA अंतिम चरण में, अमेरिका के टैरिफ विवाद से बढ़े व्यापार के विकल्प

भारत-न्यूजीलैंड FTA अंतिम चरण में, अमेरिका के टैरिफ विवाद से बढ़े व्यापार के विकल्प

भारत और न्यूजीलैंड ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की चौथी वार्ता पूरी कर ली। वार्ता में वस्तु व सेवा व्यापार, निवेश और तकनीकी सहयोग पर चर्चा हुई। दोनों देश इसे जल्द अंतिम रूप देने के लिए सहमत हैं।

World News: अमेरिका के साथ चल रहे टैरिफ को लेकर तनाव के बीच भारत ने अपने व्यापारिक विकल्पों का विस्तार करते हुए न्यूजीलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। दोनों देशों ने इस समझौते के चौथे दौर की वार्ता शुक्रवार को पूरी कर ली है। इस दौर में वस्तु बाजार, सेवाओं, निवेश और आर्थिक तथा तकनीकी सहयोग के अवसरों पर विशेष ध्यान दिया गया। दोनों पक्षों ने इसे जल्द से जल्द अंतिम रूप देने की दिशा में काम करने की सहमति व्यक्त की है।

पीयूष गोयल ने वार्ता की दी जानकारी 

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल न्यूजीलैंड के व्यापार और निवेश मंत्री टॉड मैक्ले के साथ इस वार्ता की प्रगति की समीक्षा करने के लिए रोटोरुआ पहुंचे। गोयल ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए कहा कि चौथे दौर की वार्ता वस्तु बाजार पहुंच, सेवाओं, आर्थिक और तकनीकी सहयोग और निवेश के अवसरों पर केंद्रित रही। उन्होंने कहा कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच बढ़ते रणनीतिक और आर्थिक संबंधों के अनुरूप एक संतुलित, व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते को शीघ्र पूरा करने की दिशा में काम किया जा रहा है।

निवेश को बढ़ावा देने की रणनीति

इस तीन दिवसीय यात्रा के दौरान गोयल ने उद्योग जगत के दिग्गजों के साथ बैठकें कीं और व्यापार तथा निवेश को बढ़ावा देने के उपायों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि बातचीत तेजी से आगे बढ़ रही है और मुक्त व्यापार समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा। एफटीए वार्ता औपचारिक रूप से 16 मार्च 2025 को शुरू की गई थी। इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच व्यापार की जाने वाली अधिकतम वस्तुओं पर सीमा शुल्क को काफी हद तक कम करने या समाप्त करने की योजना है।

न्यूजीलैंड के साथ द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और न्यूजीलैंड के बीच द्विपक्षीय व्यापार 1.3 अरब डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 49 प्रतिशत अधिक है। न्यूजीलैंड का औसत आयात शुल्क मात्र 2.3 प्रतिशत है, जो एफटीए के जरिए और कम होने की संभावना है। इस समझौते से दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार को बढ़ावा मिलेगा और व्यापारिक मानदंडों को सरल बनाने में मदद मिलेगी।

वस्तु और सेवा क्षेत्र में एफटीए का महत्व

मुक्त व्यापार समझौते के तहत दोनों देशों के बीच व्यापार करने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क में कटौती या समाप्ति की जाएगी। इससे निर्यातकों और आयातकों को लागत में राहत मिलेगी और व्यापारिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, सेवाओं के व्यापार के लिए नियमों को भी आसान बनाया जाएगा, जिससे भारत के तकनीकी और सेवा क्षेत्र के उद्यमियों को नए अवसर मिलेंगे।

भारत और न्यूजीलैंड के बीच एफटीए से न केवल व्यापारिक लेनदेन में वृद्धि होगी, बल्कि यह दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को भी मजबूत करेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समझौता अमेरिका के साथ चल रहे टैरिफ तनाव के बीच भारत को वैकल्पिक बाजार प्रदान करेगा और वैश्विक व्यापार नेटवर्क में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा।

भारत की वैश्विक व्यापार नीति में एफटीए की भूमिका

भारत की वैश्विक व्यापार नीति में मुक्त व्यापार समझौते महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये समझौते भारतीय उत्पादों और सेवाओं के लिए विदेशी बाजारों में पहुंच को आसान बनाते हैं। न्यूजीलैंड के साथ होने वाला एफटीए भारत को ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अन्य पैसिफिक देशों के बाजार में मजबूती से प्रवेश करने का अवसर देगा।

वार्ता के अंतिम दौर में दोनों देशों ने समझौते को शीघ्र पूरा करने की दिशा में काम करने की सहमति व्यक्त की है। वाणिज्य मंत्रालय और दोनों देशों की टीमों का उद्देश्य इस समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देना है ताकि दोनों देशों के व्यापारिक समुदाय को इससे लाभ मिल सके। एफटीए के लागू होने के बाद भारत और न्यूजीलैंड के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार बढ़ेगा और निवेश के नए अवसर खुलेंगे।

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