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देश के ऐसे मंदिर जहां मिलता है सबसे अनोखा प्रसाद, कहीं अलग तरह का भोजन तो कहीं खास पेय

देश के ऐसे मंदिर जहां मिलता है सबसे अनोखा प्रसाद, कहीं अलग तरह का भोजन तो कहीं खास पेय

भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जहां प्रसाद की परंपरा आम धार्मिक मान्यताओं से बिल्कुल अलग है। कहीं माता को नूडल्स और फ्राइड राइस चढ़ाया जाता है, तो कहीं भगवान को चॉकलेट का भोग लगाया जाता है। कुछ मंदिरों में मदिरा और मांस भी प्रसाद के रूप में अर्पित किए जाते हैं। यह परंपराएं स्थानीय संस्कृति, आस्था और लोकविश्वास का अनोखा संगम पेश करती हैं।

अनूठे मंदिर प्रसाद परंपरा: भारत में धार्मिक परंपराओं की विविधता दुनिया भर में जानी जाती है, जहां हर प्रदेश की मान्यता और पूजा पद्धति अपनी संस्कृति को दर्शाती है। इसी कड़ी में देश भर में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं जिनमें प्रसाद की परंपरा आम प्रचलन से बिल्कुल अलग है। कोलकाता के चाइनीज काली मंदिर में नूडल्स और फ्राइड राइस चढ़ाए जाते हैं, तो केरल के बाला मुरुगन मंदिर में भगवान को चॉकलेट का भोग लगता है। असम के कामाख्या मंदिर में लाल कपड़ा प्रसाद मिलता है और पटियाला के काली माता मंदिर में मदिरा और मांस चढ़ाने की परंपरा वर्षों से जारी है। ये अनोखे रीति-रिवाज भारतीय आस्था की विविधता और सांस्कृतिक विरासत का अनूठा उदाहरण हैं।

देश में ऐसे मंदिर भी जहां प्रसाद मिलता है सबसे हटकर

भारत में मंदिरों और धार्मिक परंपराओं की बात होती है, तो श्रद्धा, संस्कार और सदियों पुरानी मान्यताएं हमारे जेहन में उभरती हैं। हर राज्य, हर क्षेत्र और हर आस्था केंद्र का अपना एक अनूठा इतिहास है। भगवान की पूजा में भोग और प्रसाद का विशेष महत्व होता है। आमतौर पर मंदिरों में फल, मिष्ठान, हलवा-पूरी, पान या पंचामृत जैसे प्रसाद देखने को मिलते हैं। हालांकि देश में कई ऐसे मंदिर भी हैं, जहां परंपराएं अलग हैं और यहां चढ़ाया जाने वाला प्रसाद आम प्रचलन से काफी हटकर है। यही वजह है कि ये मंदिर सिर्फ अपनी आस्था या चमत्कारों के लिए नहीं, बल्कि असामान्य प्रसाद परंपरा के लिए भी खास पहचान रखते हैं।

कहीं माता को नूडल्स और फ्राइड राइस चढ़ाए जाते हैं, तो कहीं भगवान के बाल स्वरूप को चॉकलेट का भोग लगाया जाता है। ऐसा भी स्थान है जहां देवी को मदिरा और मांस अर्पित किया जाता है, जो सामान्य हिंदू पूजन प्रक्रिया से बिल्कुल विपरीत माना जाता है। इन अनोखी परंपराओं के पीछे धार्मिक मान्यता के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति और सैकड़ों वर्षों से चली आ रही लोकश्रद्धा भी जुड़ी है।

आइए जानते हैं देश के कुछ ऐसे अनोखे मंदिरों के बारे में जहां प्रसाद परंपरा सबसे अलग और आकर्षक है।

1. चाइनीज काली मंदिर, कोलकाता

कोलकाता के टांगरा इलाके में स्थित चाइनीज काली मंदिर हिन्दू और चाइनीज संस्कृति के संगम की अनोखी मिसाल है। यह इलाका कभी चीन से आए परिवारों का प्रमुख बसेरा माना जाता था और आज भी यहां चाइनीज खानपान और संस्कृति का प्रभाव देखा जा सकता है। मंदिर में माँ काली को प्रसाद में नूडल्स और फ्राइड राइस चढ़ाया जाता है।

पूजन की प्रक्रिया पारंपरिक तरीके से होती है, लेकिन प्रसाद पूरी तरह से स्थानीय चीनी समुदाय की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। माना जाता है कि यह परंपरा लगभग 70-80 साल पुरानी है और आज भी यहां आने वाले भक्त श्रद्धा से नूडल्स और फ्राइड राइस को देवी के भोग के रूप में ग्रहण करते हैं।

2. बाला मुरुगन मंदिर, अलेप्पी (केरल)

केरल के अलेप्पी में स्थित बाला मुरुगन मंदिर भगवान कार्तिकेय के बाल स्वरूप को समर्पित है। यहां बच्चों के साथ आने वाले परिवारों का विशेष रुझान देखा जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भगवान को चॉकलेट चढ़ाई जाती है।

लोगों का मानना है कि जैसे एक बच्चे को खुशी देने के लिए मिठाई या चॉकलेट दी जाती है, वैसे ही भगवान के बाल स्वरूप को भी चॉकलेट अर्पित करने से प्रसन्नता मिलती है। मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में भक्त चॉकलेट लेकर पहुंचते हैं और इन्हें बाद में प्रसाद रूप में बांटा जाता है। बच्चों में इस परंपरा को लेकर खास उत्साह दिखाई देता है।

3. कामाख्या देवी मंदिर, गुवाहाटी (असम)

कामाख्या देवी मंदिर भारत के शक्तिपीठों में से एक है और तांत्रिक साधना का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहां हर वर्ष अंबुबाची मेला आयोजित होता है, जो पूरी दुनिया में विख्यात है। मान्यता है कि इस दौरान माता रजस्वला होती हैं और पूजा स्थल तीन दिनों के लिए बंद रहता है। चौथे दिन जब मंदिर के द्वार खुलते हैं, तो भक्तों को एक लाल रंग का कपड़ा प्रसाद स्वरूप दिया जाता है।

स्थानीय मान्यता है कि यह कपड़ा देवी के पवित्र रज से भीगा होता है और इसे घर में रखने से सुख-समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। यह प्रसाद परंपरा हिंदू धर्म में स्त्री ऊर्जा और सृजन शक्ति को सम्मान देने की महत्वपूर्ण परंपरा का प्रतिनिधित्व करती है।

4. काली माता मंदिर, पटियाला (पंजाब)

पटियाला के ऐतिहासिक काली माता मंदिर में सदियों पुरानी परंपराओं का पालन किया जाता है। यहां देवी को मदिरा और मुर्गा चढ़ाए जाते हैं। जहां हिंदू धर्म में आमतौर पर मदिरा और मांस का सेवन पूजन विधि से अलग रखा जाता है, वहीं इस मंदिर में यह मुख्य प्रसाद परंपरा का हिस्सा है।

स्थानीय मान्यता के अनुसार, माता काली के उग्र रूप को शांत करने और संतुष्ट करने के लिए इस भोग की परंपरा प्रारंभ हुई थी। भक्तों की श्रद्धा और विश्वास अब भी उसी रूप में कायम है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और प्रसाद चढ़ाने की यह अनोखी परंपरा मंदिर की पहचान बन चुकी है।

प्रसाद परंपराएं संस्कृति की पहचान

भारत जैसे विविधताओं वाले देश में धार्मिक परंपराओं का स्वरूप भी अलग-अलग नजर आता है। कई स्थानों पर भक्त जिस भोजन का सेवन करते हैं, वही भगवान को भी भोग के रूप में अर्पित करते हैं। कई परंपराएं प्रकृति और स्त्री शक्ति की पूजा से जुड़ी हैं। कई मंदिरों में स्थानीय समुदायों की आस्थाएं सदियों से चली आ रही हैं और उन्हें पूरी श्रद्धा से निभाया जा रहा है।

इन अनोखे प्रसादों के पीछे सिर्फ धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि संस्कृति, समुदाय और लोक परंपरा का अनोखा संगम भी मिलता है। भारत की यही विशेषता इसे दुनिया में सबसे अलग स्थान देती है।

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