जामिया मिल्लिया इस्लामिया की QS एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में स्थिति गिर गई है। पिछले साल जहां विश्वविद्यालय टॉप 200 में शामिल था, वहीं इस बार वह 197वें स्थान पर पहुंच गया है। लगातार दो रैंकिंग्स में कमजोर प्रदर्शन ने जामिया की अकादमिक प्रगति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
QS Asia University Ranking 2026: जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) को इस साल एशिया की यूनिवर्सिटियों की प्रतिष्ठित रैंकिंग में झटका लगा है। 2025 में शानदार प्रदर्शन के बाद अब इसकी रैंक 188 से गिरकर 197 पर पहुंच गई है। रैंकिंग एजेंसी के मुताबिक, शिक्षण गुणवत्ता, रिसर्च इम्पैक्ट और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे पैमानों पर प्रतिस्पर्धा बढ़ने से यह गिरावट दर्ज की गई है। लगातार दो प्रमुख रैंकिंग्स QS और निरफ में कमजोरी दिखने से अब संस्थान के शैक्षणिक सुधार पर नए सवाल उठने लगे हैं।
रैंकिंग में फिसली जामिया मिल्लिया इस्लामिया
जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) की QS एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 में स्थिति गिर गई है। पिछले साल यानी 2025 में विश्वविद्यालय ने शानदार प्रदर्शन करते हुए टॉप 200 में जगह बनाई थी, लेकिन इस बार वह कुछ स्थान पीछे चला गया है। QS रैंकिंग के ताजा नतीजों के अनुसार, जामिया को 197वां स्थान मिला है, जबकि 2025 में वह 188वें पायदान पर थी। इससे पहले 2024 में जामिया की रैंक 206 थी, यानी 2025 में 18 पायदान की छलांग के बाद अब यह गिरावट चिंता का विषय बन गई है।

लगातार दो रैंकिंग्स में कमजोर प्रदर्शन
यह लगातार दूसरा मौका है जब किसी प्रतिष्ठित रैंकिंग प्लेटफॉर्म पर जामिया का प्रदर्शन नीचे गया है। QS रैंकिंग से पहले जारी NIRF 2025 में भी विश्वविद्यालय को पिछली बार की तुलना में दो स्थान नीचे दर्ज किया गया था। तब प्रशासन ने इसे सुधार की प्रक्रिया का हिस्सा बताया था और भरोसा जताया था कि आने वाले वर्षों में यह स्थिति बदलेगी। हालांकि, QS एशिया रैंकिंग 2026 में गिरावट ने इस बयान पर फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
2025 में मिली थी बड़ी सफलता
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के लिए 2025 का साल ऐतिहासिक रहा था। उस वर्ष विश्वविद्यालय ने 2024 के मुकाबले कई पायदानों की छलांग लगाते हुए एशिया के शीर्ष 200 संस्थानों में जगह बनाई थी। रैंकिंग एजेंसियों ने तब जामिया की शिक्षा गुणवत्ता, रिसर्च सहयोग और विविधता को सराहा था। कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से रिसर्च पार्टनरशिप और छात्रों के लिए नई स्कॉलरशिप योजनाओं ने भी विश्वविद्यालय को मजबूती दी थी।
इस बार क्यों हुई गिरावट
QS एजेंसी के अनुसार, एशिया की यूनिवर्सिटियों का मूल्यांकन कई पैमानों पर किया गया जिनमें शिक्षण गुणवत्ता, फैकल्टी-स्टूडेंट अनुपात, रिसर्च इम्पैक्ट, अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा और विदेशी छात्रों की संख्या शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जामिया की रैंकिंग में गिरावट का कारण इन क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा बढ़ना और अन्य संस्थानों द्वारा बेहतर प्रदर्शन करना भी हो सकता है। अभी तक कुलपति प्रोफेसर मजहर आसिफ या किसी अन्य अधिकारी की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
NIRF रैंकिंग में भी हुआ था नुकसान
NIRF 2025 में जामिया की रैंकिंग में गिरावट ने ही संकेत दे दिया था कि संस्थान को शिक्षा और रिसर्च गुणवत्ता पर और ध्यान देने की जरूरत है। पिछले कुछ वर्षों में अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने अपने अकादमिक आउटपुट और इंडस्ट्री-लिंक्ड प्रोजेक्ट्स में तेजी दिखाई है। वहीं, जामिया की प्रगति अपेक्षाकृत धीमी रही। विश्वविद्यालय प्रशासन ने तब दावा किया था कि अगले साल सुधार दिखेगा, लेकिन QS रैंकिंग के नतीजे विपरीत दिशा में गए।
रैंकिंग में गिरावट के बावजूद जामिया अभी भी भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों में शुमार है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर संस्थान रिसर्च, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और स्टूडेंट-फैकल्टी रेशियो पर काम करे, तो वह फिर से अपनी स्थिति सुधार सकता है। विश्वविद्यालय के लिए यह समय आत्ममंथन का है ताकि भविष्य की रणनीति तय की जा सके।












