अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा के लिए 1 लाख अमेरिकी डॉलर फीस लगाने के फैसले के बाद अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियों में खलबली मची हुई है। मेटा, माइक्रोसॉफ्ट और अमेज़न के बाद अब गूगल ने भी अपने अंतरराष्ट्रीय कर्मचारियों को अमेरिका तुरंत लौटने के लिए ई-मेल भेजा है।
Worls News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा के लिए 1 लाख अमेरिकी डॉलर फीस लगाने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद अमेरिका की टेक कंपनियां सकते में हैं। गूगल, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसी बड़ी कंपनियों में कई कर्मचारी H-1B वीजा होल्डर हैं, जिन पर यह नया नियम सीधे प्रभाव डालता है।
इस फैसले के बाद मेटा, अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट ने अपने विदेशी कर्मचारियों को इस संबंध में ईमेल भेजकर जानकारी दी थी। वहीं अब गूगल ने भी एक मेमो जारी किया है, जिसमें कर्मचारियों से तुरंत अमेरिका लौटने का निर्देश दिया गया है। गूगल ने कहा कि जो कर्मचारी वर्तमान में अमेरिका के बाहर हैं, उन्हें 21 सितंबर, रविवार, सुबह 12:01 बजे तक वापस अमेरिका लौट आना चाहिए। कंपनी ने अपने कर्मचारियों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचने की भी सलाह दी है, ताकि इस नए नियम के तहत किसी प्रकार की समस्या से बचा जा सके।
Google का मेमो और दिशा-निर्देश
गूगल ने अपने कर्मचारियों को एक आधिकारिक मेमो जारी किया, जिसमें लिखा गया है कि यदि आप अमेरिका के बाहर हैं, तो 21 सितंबर, रविवार, सुबह 12:01 AM तक वापस लौट आएं। कंपनी ने स्पष्ट किया कि नई पॉलिसी के तहत अमेरिका से बाहर होने पर री-एंट्री में दिक्कत आ सकती है। गूगल ने कहा, "हम समझते हैं कि इससे कुछ असुविधा हो सकती है, लेकिन हम कर्मचारियों का समर्थन करने के लिए तत्पर हैं।
स्थिति पर नजर रखी जा रही है और जैसे ही नई जानकारी मिलेगी, कर्मचारियों को अपडेट किया जाएगा। कंपनी ने यह भी निर्देश दिया कि जो कर्मचारी तुरंत लौट नहीं सकते, वे इमिग्रेशन सपोर्ट टीम से संपर्क करें।
अन्य टेक कंपनियों की प्रतिक्रिया
इससे पहले मेटा, माइक्रोसॉफ्ट और अमेज़न ने भी अपने H-1B वीजा धारक विदेशी कर्मचारियों को ई-मेल भेजकर अमेरिका लौटने और यात्रा स्थगित करने की सलाह दी थी। यह कदम कंपनियों द्वारा संभावित इमिग्रेशन जोखिम से बचने के लिए उठाया गया है। व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया है कि नया नियम सिर्फ नए H-1B वीजा एप्लीकेशन पर लागू होगा। जिन लोगों के पास पहले से H-1B वीजा है, उन्हें री-एंट्री में किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
हालांकि, अमेरिकी कंपनियां किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहतीं। H-1B वीजा धारकों में भारतीय पेशेवर सबसे आगे हैं और बड़ी संख्या में भारतीय विशेषज्ञ अमेरिका की टेक कंपनियों में काम कर रहे हैं। H-1B वीजा नियम में बदलाव का सीधा असर भारत के युवाओं और पेशेवरों पर पड़ सकता है। अमेरिका में कार्यरत भारतीयों के लिए यह फैसले नई चुनौतियां खड़ी कर सकते हैं। टेक कंपनियां और कर्मचारी इस पॉलिसी के संभावित प्रभावों को लेकर सतर्क हैं।