इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस बार आयकर रिटर्न की जांच इतनी कड़ी कर दी है कि करीब 40 हजार लोगों को अपने दावे वापस लेने पड़े हैं। पिछले चार महीनों में 1,045 करोड़ रुपये के फर्जी क्लेम खुद ही टैक्सपेयर्स ने रिवाइज्ड रिटर्न के ज़रिए कैंसिल कर दिए। विभाग का कहना है कि सख्त स्क्रूटनी और तकनीकी टूल्स की मदद से बड़े पैमाने पर टैक्स फ्रॉड पकड़े गए हैं।
आयकर विभाग की चेतावनी से घबराए करदाता
सोमवार को जारी आधिकारिक बयान में आयकर विभाग ने जानकारी दी कि फर्जी कटौती और छूट पर कार्रवाई तेज कर दी गई है। जिसके बाद देशभर में हड़कंप मच गया है। बड़ी संख्या में करदाता अब संशोधित रिटर्न दाखिल कर रहे हैं ताकि कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके। विभाग ने साफ किया है कि यह किसी सामान्य त्रुटि पर कार्रवाई नहीं कर रहा, बल्कि संगठित रूप से की जा रही धोखाधड़ी पर फोकस कर रहा है।
कहां-कहां हुई सबसे ज्यादा कार्रवाई
इनकम टैक्स विभाग ने अपनी छानबीन में पाया कि कुछ आयकर सलाहकार और बिचौलिये कमीशन लेकर फर्जी रिफंड का लालच देकर लोगों को भ्रमित कर रहे थे। ऐसे मामलों में सबसे ज्यादा छापे महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पड़े हैं। इन जगहों पर संगठित रैकेट्स टैक्सपेयर्स को नकली दस्तावेजों के आधार पर बड़े रिफंड दिलाने का वादा कर रहे थे।
कैसे होता है टैक्स फ्रॉड का खेल
जांच में सामने आया कि टैक्स फ्रॉड करने वाले कुछ रिटर्न फाइलर अपनी कमीशन के लिए Section 80C, 80D, 10(14), HRA और अन्य कटौतियों में फर्जी एंट्री करते थे। कुछ मामलों में मेडिकल खर्चों और एलटीए क्लेम्स में भी गड़बड़ियां पाई गईं। टैक्सपेयर्स को बताया गया था कि उनके रिटर्न में ऐसे क्लेम डालने से उन्हें ज्यादा रिफंड मिलेगा। कई ने बिना जांचे-परखे ऐसे दावे कर दिए और अब खुद को मुश्किल में पाया।
धारा 271 और 276 के तहत लग सकती है जेल
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत यदि कोई करदाता जानबूझकर टैक्स चोरी करता है या फर्जी क्लेम डालता है, तो उस पर धारा 271 के तहत भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा, धारा 276 के तहत धोखाधड़ी की गंभीरता के आधार पर 6 महीने से लेकर 7 साल तक की जेल की सजा का भी प्रावधान है। टैक्स विभाग ने ऐसे मामलों में अब एक भी ढिलाई नहीं बरतने की बात कही है।
कुछ मामलों में संपत्ति जब्त करने की तैयारी
फर्जीवाड़ा पकड़ में आने पर आयकर विभाग ने न सिर्फ जुर्माना लगाने की प्रक्रिया तेज की है, बल्कि गंभीर मामलों में संपत्ति की जब्ती, बैंक खातों को फ्रीज करने और ट्रांजेक्शन पर रोक लगाने जैसे कदम भी उठाए हैं।
आखिर क्यों बढ़ाई गई ITR फाइलिंग की डेडलाइन
CBDT ने इनकम टैक्स फाइलिंग की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी है। इसका उद्देश्य ईमानदार टैक्सपेयर्स को राहत देना है, लेकिन साथ ही इस अतिरिक्त समय का उपयोग विभाग फ्रॉड की पहचान और कार्रवाई के लिए भी कर रहा है।
आईटी डिपार्टमेंट की नजरें अब ऑडिट रिपोर्ट और TDS पर
फिलहाल विभाग की निगाहें उन रिटर्न्स पर हैं जिनमें TDS क्लेम्स और ऑडिट रिपोर्ट में भारी अंतर पाया गया है। ऐसे मामलों की स्क्रूटनी हाथ से नहीं, बल्कि सिस्टम द्वारा स्वत: की जा रही है। विभाग के सूत्रों का कहना है कि आने वाले समय में इससे भी बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है।
अब बचना मुश्किल, तकनीक ने बढ़ाई पकड़ की रफ्तार
जैसे-जैसे टैक्स विभाग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ा रहा है, वैसे-वैसे टैक्सपेयर्स की तरफ से की जाने वाली चालाकियों की पहचान और तेजी से हो रही है। टैक्स रिटर्न की सभी एंट्रीज को बैंक स्टेटमेंट, फॉर्म 26AS, AIS और GST डाटा से क्रॉस चेक किया जा रहा है।
देश में टैक्स कंप्लायंस को लेकर नई जागरूकता
भले ही बड़ी संख्या में लोग अब भी टैक्स को बचाने के लिए शॉर्टकट अपनाते हैं, लेकिन विभाग की लगातार जांच और कार्रवाई से एक नई जागरूकता भी देखने को मिल रही है। टैक्सपेयर्स अब पहले से ज्यादा सतर्क हैं और अपनी जानकारी जांच कर ही फाइलिंग कर रहे हैं।