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आंध्र प्रदेश में ₹100 तक सस्ती हुई शराब, हर महीने 116 करोड़ की बचत का दावा

आंध्र प्रदेश में ₹100 तक सस्ती हुई शराब, हर महीने 116 करोड़ की बचत का दावा

आंध्र प्रदेश में सरकार द्वारा शराब की कीमतों में की गई कटौती ने राज्य में एक नई आर्थिक और सामाजिक तस्वीर पेश की है। अब शराब की कीमत ₹10 से ₹100 प्रति बोतल तक सस्ती हो गई है, जिससे शराब पीने वाले उपभोक्ताओं को हर महीने करीब 116 करोड़ रुपये की बचत हो रही है। यह बदलाव नई सरकार के आने के बाद की गई शराब नीति में पारदर्शिता, गुणवत्ता और निगरानी की बड़ी पहल का नतीजा बताया जा रहा है।

तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु से सस्ती शराब

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश में अब 30 प्रमुख ब्रांड्स की शराब की कीमतें पड़ोसी राज्यों तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु की तुलना में कम हो गई हैं। इससे राज्य के उपभोक्ताओं को बेहतर विकल्प मिलने लगे हैं और सीमावर्ती इलाकों से शराब की तस्करी की घटनाएं भी कम हो रही हैं।

मुख्यमंत्री का निर्देश: सिर्फ ब्रांडेड और सुरक्षित शराब ही बिके

मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने सोमवार को समीक्षा बैठक के दौरान साफ किया कि राज्य में अब सिर्फ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता वाली शराब की ही बिक्री की अनुमति होगी। उन्होंने अधिकारियों को कहा कि बिना शुल्क चुकाए बिकने वाली, अवैध या हानिकारक शराब पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए।

साथ ही मुख्यमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि आम लोगों को किफायती दर पर शराब मिलनी चाहिए, ताकि नशा से जुड़ी अवैध गतिविधियों को रोका जा सके और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सके।

राजस्व में भी दिखा सुधार, पुराना घाटा हुआ कम

राज्य सरकार ने यह भी दावा किया कि नई नीति लागू होने के बाद राज्य का राजस्व भी बढ़ा है। पुराने शासन यानी वाईएसआरसीपी के कार्यकाल में जो राजस्व घाटा हुआ था, वह अब धीरे-धीरे भरता जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच शराब राजस्व का अंतर जो 5 साल पहले 4,186 करोड़ रुपये था, वह मार्च 2025 तक बढ़कर 42,762 करोड़ रुपये हो गया था। इसे नई नीति से धीरे-धीरे संतुलित करने की कोशिश की जा रही है।

डिजिटल पेमेंट और GPS ट्रैकिंग अनिवार्य होगी

सरकार की योजना केवल कीमतें घटाने तक सीमित नहीं है। राज्य में अब शराब की दुकानों पर डिजिटल पेमेंट को अनिवार्य किया जाएगा। इसके साथ ही पूरी सप्लाई चेन को AI और GPS से ट्रैक किया जाएगा, जिससे नकली शराब और अवैध सप्लाई को जड़ से खत्म किया जा सके।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि राज्य में जो बेल्ट शॉप्स (अवैध शराब की दुकानें) अब भी सक्रिय हैं, उन्हें जल्द से जल्द बंद किया जाए और इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।

सरकारी ब्रांड्स की जगह अब निजी ब्रांड्स 

नया सिस्टम पहले के मुकाबले पूरी तरह से बदला गया है। पहले जहां सरकारी शराब दुकानों में लोकल ब्रांड्स का बोलबाला था, अब वहां निजी कंपनियों के गुणवत्ता प्रमाणित ब्रांड्स की मांग बढ़ी है। यह बदलाव उपभोक्ताओं की सुरक्षा और सरकारी छवि दोनों के लिए सकारात्मक माना जा रहा है।

गरीब तबके में नशे की आदत पर भी लगा ब्रेक

सरकार का दावा है कि पहले जो लोकल बिना ब्रांड वाली सस्ती शराब गरीब तबकों को आसानी से मिल जाती थी, उसने समाज में नशे की लत को बढ़ावा दिया था। अब ब्रांडेड शराब के सस्ते होने से न केवल गुणवत्ता सुधरी है, बल्कि उपभोक्ताओं की आदतों पर भी सकारात्मक असर हुआ है।

समीक्षा बैठकों में मुख्यमंत्री की सख्ती

मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में बीते कुछ हफ्तों से लगातार समीक्षा बैठकों का दौर चल रहा है। इन बैठकों में शराब नीति को लेकर उठाए गए कदमों की प्रगति और उनके असर पर बारीकी से चर्चा की जा रही है। अधिकारियों को यह निर्देश भी दिए गए हैं कि इस नीति को पूरी पारदर्शिता के साथ लागू किया जाए और आमजन को इसका सीधा लाभ मिले।

पिछली सरकार पर आरोप, नई सरकार की छवि संवारने की कोशिश

सरकार का यह भी कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार की नीतिगत विफलताओं ने शराब व्यवसाय को भारी नुकसान पहुंचाया था। नई सरकार अब उसी को ठीक करने और जनता का विश्वास फिर से जीतने की दिशा में काम कर रही है।

वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही राज्य में शराब से जुड़ी कई नीतियों को बदला गया है, और यह बदलाव अब ज़मीनी स्तर पर असर दिखाने लगे हैं।

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