Columbus

ITR में नया कोड 16021: कंटेंट क्रिएटर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स पर बढ़ी टैक्स सख्ती

ITR में नया कोड 16021: कंटेंट क्रिएटर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स पर बढ़ी टैक्स सख्ती

सोशल मीडिया से कमाई करने वाले कंटेंट क्रिएटर्स और डिजिटल इंफ्लुएंसर्स के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक अहम बदलाव किया है। वित्त वर्ष 2024-25 (असेस्मेंट ईयर 2025-26) के लिए ITR फाइल करने वालों को अब अपनी प्रोफेशनल पहचान एक खास कोड के तहत दर्ज करनी होगी। सरकार ने ITR-3 और ITR-4 (सुगम) फॉर्म में एक नया कोड 16021 शामिल किया है, जो खासतौर पर सोशल मीडिया प्रोफेशनल्स के लिए लागू होगा।

डिजिटल इकोनॉमी के बढ़ते आकार को लेकर सख्ती

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कंटेंट बनाकर कमाई करने वालों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। इंस्टाग्राम, यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल प्लेटफॉर्म्स से जुड़े हजारों लोग आज प्रमोशनल वीडियो, प्रोडक्ट रिव्यू और ब्रांड एंडोर्समेंट के जरिए हर महीने लाखों रुपये कमा रहे हैं। इसी ट्रेंड को देखते हुए इनकम टैक्स विभाग ने डिजिटल प्रोफेशन से जुड़ी इनकम को पहचानने और ट्रैक करने के लिए नया कोड लागू किया है।

ITR-3 और ITR-4 फॉर्म में अब अलग से विकल्प

चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के अनुसार, यह नया कोड अब ITR-3 और ITR-4 फॉर्म में ‘प्रोफेशन’ कैटेगरी के तहत एक्टिव कर दिया गया है। यह कोड ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में उपलब्ध है। यानी अब सोशल मीडिया प्रोफेशनल्स को अपनी इनकम के अनुसार इन दो फॉर्म्स में से एक का चुनाव करना होगा।

कोड 16021 किसके लिए है जरूरी

नया कोड 16021 उन सभी डिजिटल वर्कर्स, इंफ्लुएंसर्स, क्रिएटर्स, ऑनलाइन कोच, ब्लॉगर्स और ब्रांड प्रमोटर्स के लिए है, जिनकी कमाई सोशल मीडिया या किसी ऑनलाइन कंटेंट प्लेटफॉर्म से हो रही है। अभी तक ये सभी लोग ITR फॉर्म में अपनी कमाई को ‘अन्य’ (Others) श्रेणी में दिखाते थे। लेकिन अब उन्हें सीधे प्रोफेशनल कोड 16021 के तहत अपनी इनकम दर्ज करनी होगी।

किस फॉर्म का करें चुनाव

ITR-3 फॉर्म उन लोगों के लिए है, जिनकी आय प्रोफेशन या बिजनेस से होती है और जिनकी आमदनी सैलरी, हाउस प्रॉपर्टी या किसी अन्य स्रोत से भी आती है।

ITR-4 फॉर्म (सुगम) उन लोगों के लिए है जो प्रीमम्प्टिव टैक्स स्कीम को चुनते हैं यानी अनुमानित आय के आधार पर टैक्स भरते हैं। अगर किसी क्रिएटर की सालाना आमदनी 50 लाख रुपये तक है और वह सरल टैक्स ऑप्शन चुनता है, तो ITR-4 भर सकता है।

धारा 44ADA का भी मिल सकता है लाभ

कई कंटेंट क्रिएटर्स के लिए धारा 44ADA भी विकल्प हो सकती है, जिसमें अनुमानित कराधान का विकल्प मिलता है। अगर किसी पेशेवर की कुल सकल प्राप्ति 50 लाख रुपये तक है और उसकी नकद प्राप्तियां कुल का 5 फीसदी से कम हैं, तो वह इस धारा के तहत टैक्स भर सकता है। वहीं, डिजिटल पेमेंट करने वालों के लिए यह सीमा 75 लाख रुपये तक बढ़ाई गई है।

AIS और 26AS का मिलान जरूरी

नया कोड लागू होने के साथ ही यह जरूरी हो गया है कि क्रिएटर्स अपना Annual Information Statement (AIS) और फॉर्म 26AS जरूर चेक करें। इसमें बैंकिंग, TDS और डिजिटल पेमेंट से जुड़ी सभी जानकारी होती है। विभाग इन दोनों दस्तावेजों के जरिए यह जांच करेगा कि आपकी घोषित आमदनी और असल आमदनी में कोई अंतर तो नहीं।

रिपोर्ट्स में हुआ खुलासा, करोड़ों कमा रहे हैं सोशल मीडिया प्रोफेशनल्स

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स की संख्या 2 करोड़ के पार पहुंच चुकी है। इनमें से बड़ी संख्या उन युवाओं की है जो यूट्यूब चैनल, इंस्टाग्राम रील्स, ऑनलाइन कोर्स और डिजिटल ब्लॉग से हर महीने लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। कुछ स्टार इंफ्लुएंसर्स की सालाना कमाई करोड़ों में है। इसी को देखते हुए सरकार ने टैक्स अनुपालन की प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए अलग कोड की शुरुआत की है।

टैक्स चोरी पर लगेगी लगाम, विभाग को मिलेगी सटीक जानकारी

पहले इंफ्लुएंसर्स टैक्स रिटर्न भरते समय खुद को बिजनेस या अन्य प्रोफेशन की श्रेणी में दिखाते थे, जिससे विभाग को उनकी असली कमाई का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता था। नया कोड लागू होने से विभाग को स्पष्ट तौर पर पता चलेगा कि किस टैक्सपेयर्स की कमाई किस प्लेटफॉर्म से हो रही है, और कितनी हो रही है।

इन कैटेगरीज के लिए भी शामिल किए गए नए कोड

सरकार ने सिर्फ कंटेंट क्रिएटर्स ही नहीं, बल्कि अन्य डिजिटल या वित्तीय प्रोफेशन से जुड़ी कैटेगरीज के लिए भी नए कोड शामिल किए हैं:

  • सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स – 16021
  • फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडर (F&O) – 21010
  • स्टॉक ट्रेडिंग (शेयर खरीद-बिक्री) – 21011
  • सट्टा और जुआ कारोबार – 21009
  • कमीशन एजेंट – 09029

इन कोड्स का उद्देश्य हर प्रोफेशनल की आय को उसकी असली कैटेगरी में दर्ज कराना और टैक्स बेस को विस्तृत करना है।

डिजिटल कमाई के युग में अब टैक्स नियम भी बदल रहे हैं

डिजिटल प्लेटफॉर्म से कमाई करने वालों के लिए यह बदलाव एक संकेत है कि टैक्स व्यवस्था अब परंपरागत ढांचे से बाहर निकल रही है। कंटेंट क्रिएशन, डिजिटल मार्केटिंग और ऑनलाइन एजुकेशन जैसे क्षेत्रों से जुड़ी आमदनी पर अब सीधी नजर रखी जाएगी।

Leave a comment