मेटा एक नया इंटरव्यू फॉर्मेट विकसित कर रहा है जिसमें कोडिंग टेस्ट के दौरान उम्मीदवारों को एआई सहायक इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाएगी। यह बदलाव मेटा की एआई क्षमताओं को प्राथमिकता देने की रणनीति का हिस्सा है।
Meta: तकनीकी क्षेत्र में एआई का बढ़ता प्रभाव अब सिर्फ उत्पादों तक सीमित नहीं रहा है। मेटा (Meta) — जो फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसी दिग्गज सेवाओं के लिए जानी जाती है — अब अपने नौकरी इंटरव्यू के तरीके में भी क्रांतिकारी बदलाव करने जा रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, मेटा एक ऐसा नया साक्षात्कार प्रारूप विकसित कर रही है जिसमें कोडिंग टेस्ट देने वाले उम्मीदवारों को जनरेटिव एआई टूल्स का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाएगी।
क्या है मेटा का नया इंटरव्यू मॉडल?
मेटा का यह नया इंटरव्यू फॉर्मेट पारंपरिक कोडिंग टेस्ट से अलग होगा। इस प्रारूप में, शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों को एक विशेष एआई सहायक की सुविधा दी जाएगी जो उनके कोडिंग टेस्ट के दौरान उनके साथ मौजूद रहेगा। उम्मीदवार इस एआई से सहायता ले सकेंगे, जिससे यह देखा जाएगा कि वे एआई टूल्स के साथ मिलकर काम करने में कितने सक्षम हैं। यह मॉडल मेटा के उस मिशन से जुड़ा हुआ है जिसमें कंपनी भविष्य के ऐसे कर्मचारियों को चुनना चाहती है जो जनरेटिव एआई टूल्स का इस्तेमाल करके प्रोडक्टिविटी और इनोवेशन दोनों बढ़ा सकें।
मेटा क्यों कर रही है यह बदलाव?
404 मीडिया द्वारा प्राप्त एक आंतरिक दस्तावेज़ में खुलासा हुआ है कि मेटा न केवल उम्मीदवारों की तकनीकी योग्यता परखना चाहती है, बल्कि यह भी देखना चाहती है कि वे एआई के साथ कितनी सहजता से काम कर सकते हैं। यह बदलाव मेटा के एआई क्षेत्र में तेजी से बढ़ते कदमों का हिस्सा है। कंपनी मानती है कि आने वाले वर्षों में एआई डेवलपमेंट का एक बड़ा भाग होगा, और ऐसे में डेवलपर्स को एआई टूल्स के साथ मिलकर काम करने की कला आनी चाहिए।
कैसे होगा यह इंटरव्यू?
रिपोर्ट के अनुसार, उम्मीदवारों को एक कोडिंग चैलेंज दिया जाएगा, जिसे वे एक एआई असिस्टेंट की मदद से हल कर सकेंगे। एआई असिस्टेंट, जैसे कि कोड-सहायक टूल या जनरेटिव कोडिंग मॉडल, उनके इनपुट्स को समझेगा और सुझाव देगा। यह इंटरव्यू न केवल तकनीकी ज्ञान की जांच करेगा बल्कि यह भी परखेगा कि उम्मीदवार एआई से कैसे संवाद करते हैं, कैसे उसका सही उपयोग करते हैं और किस तरह से जटिल समस्याओं का समाधान खोजते हैं।
मॉक टेस्ट से होगी शुरुआत
मेटा ने अपने मौजूदा कर्मचारियों से भी कहा है कि वे मॉक एआई-सक्षम इंटरव्यू में भाग लें। इससे न केवल सिस्टम की विश्वसनीयता की जांच की जाएगी, बल्कि कर्मचारियों से मिले फीडबैक के आधार पर फॉर्मेट को बेहतर भी किया जाएगा। एक आंतरिक पोस्ट के अनुसार, 'यह नया इंटरव्यू फॉर्मेट उस डेवलपर वातावरण को बेहतर दर्शाता है जिसमें हमारे भविष्य के कर्मचारी काम करेंगे।'
धोखाधड़ी को भी करेगा नियंत्रित
एलएलएम (Large Language Models) आधारित धोखाधड़ी को रोकने के लिए भी यह नया तरीका मददगार हो सकता है। जब उम्मीदवारों को एआई का नियंत्रित उपयोग करने की अनुमति होगी, तो इसके दुरुपयोग की संभावना घटेगी और इंटरव्यू अधिक पारदर्शी हो सकेंगे।
मेटा की भविष्य की एआई रणनीति
मेटा के सीईओ मार्क ज़करबर्ग पहले ही यह संकेत दे चुके हैं कि आने वाले समय में एआई एक मिड-लेवल इंजीनियर की तरह कार्य कर सकेगा। रोगन पॉडकास्ट में उन्होंने कहा था, “'025 तक मेटा और अन्य कंपनियों के पास ऐसे एआई होंगे जो कोडिंग जैसे कार्य स्वतंत्र रूप से कर सकें।' इसके साथ ही, मेटा ने 'सुपरइंटेलिजेंस लैब्स' की स्थापना की है, जो यह दर्शाता है कि कंपनी न केवल एआई डेवलप कर रही है, बल्कि एक ऐसा कार्यबल भी बना रही है जो एआई के साथ सहजता से काम कर सके।