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नाग पंचमी 2025: शिव और नाग देवता की भक्ति में डूबा पूरा देश, जानिए इस दिन के चमत्कारी प्रभाव

नाग पंचमी 2025: शिव और नाग देवता की भक्ति में डूबा पूरा देश, जानिए इस दिन के चमत्कारी प्रभाव

हर साल सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाने वाली नाग पंचमी इस बार 29 जुलाई को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जा रही है। भारत के कई राज्यों में सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं। इस दिन नाग देवता की पूजा के साथ-साथ भगवान शिव का रुद्राभिषेक भी किया जाता है। लोग घरों में और मंदिरों में दूध, चंदन, केसर, और पुष्पों से नाग देव की पूजा कर रहे हैं।

नागों की पूजा का महत्व

सनातन परंपरा में नागों को धरती के रक्षक और ऊर्जा के प्रतीक माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी पर जो व्यक्ति नागों की सच्चे मन से पूजा करता है, उसके जीवन से सर्प दोष और भय दूर हो जाते हैं। यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी मंदिरों तक, हर जगह आज के दिन विशेष पूजन का आयोजन किया गया।

नाग पंचमी पर गूंजे विशेष मंत्र

नाग पंचमी के दिन विशेष मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। भक्तों ने सुबह के समय नाग देवता को केसर मिश्रित दूध चढ़ाते हुए 'ॐ नागराजाय नमः' मंत्र का उच्चारण किया। कई श्रद्धालुओं ने कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए 'ॐ क्रौं नमो अस्तु सर्पेभ्यो कालसर्प शांति कुरु कुरु स्वाहा' मंत्र का 108 बार जाप किया। इस मंत्रोच्चार से मंदिर परिसर का वातावरण पूरी तरह भक्तिमय बन गया।

शिव योग और सिद्ध योग बना दिन को विशेष

इस बार नाग पंचमी पर दो शुभ योगों का संयोग बना है। एक ओर शिव योग और दूसरी ओर सिद्ध योग ने इस दिन की महत्ता को और भी बढ़ा दिया। पंडितों के अनुसार ऐसा संयोग वर्षों बाद बनता है, और इस दिन की गई पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। इस कारण भक्तों ने विशेष रूप से रुद्राभिषेक, नाग मंत्रों का जाप और व्रत रखकर इस दिन को पूर्ण श्रद्धा से मनाया।

नागों से जुड़ी पौराणिक कहानियां

नाग पंचमी का उल्लेख कई पुराणों और ग्रंथों में मिलता है। कहा जाता है कि महाभारत काल में जब जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए नाग यज्ञ शुरू किया था, तब तक्षक नाग को बचाने के लिए आस्तिक मुनि ने यह यज्ञ रुकवाया था। उसी घटना की स्मृति में नाग पंचमी मनाई जाती है। इसके अलावा भगवान शिव का आभूषण भी सर्प ही हैं, और विष्णु भगवान शेषनाग पर शयन करते हैं। इसीलिए नागों की पूजा का विशेष महत्व है।

पूजा की पारंपरिक विधि

इस दिन नाग देवता को दूध, केसर, फूल, अक्षत और चंदन चढ़ाया जाता है। मिट्टी या चांदी के नाग-नागिन की मूर्ति बनाकर या खरीदकर उसकी पूजा की जाती है। महिलाएं विशेष रूप से व्रत रखती हैं और परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं। कुछ स्थानों पर सर्प की विशेष झांकियां और मेलों का भी आयोजन किया जाता है, जहां सांपों की झलक पाने के लिए भीड़ उमड़ती है।

शुभकामनाओं का सिलसिला दिनभर जारी

सोशल मीडिया और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर आज नाग पंचमी की शुभकामनाएं देने वालों की भरमार रही। लोग एक-दूसरे को संदेश भेज रहे हैं जैसे -

  • "नाग पंचमी के पावन पर्व पर भगवान शिव और नाग देवता की कृपा सदा बनी रहे"
  • "इस नाग पंचमी पर आपके जीवन से सभी दोष दूर हों और सुख-शांति का वास हो"
  • "शिव शंकर के प्रिय नागराज का आशीर्वाद सदा आप पर बना रहे"

इसके अलावा लोग अपने घरों में पूजा के फोटो और वीडियो भी साझा कर रहे हैं, जिससे त्योहार का उत्साह डिजिटल दुनिया में भी देखने को मिल रहा है।

मंत्रों का जाप बना पूजा का मुख्य हिस्सा

पूरे देश में आज नाग पंचमी पर विशेष मंत्रों का जाप किया गया। मंदिरों में 'नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय' और 'ओम नवकुलाय विद्महे, विषदंताय धीमहि, तन्नो सर्प प्रचोदयात्' जैसे मंत्र गूंजते रहे। ये मंत्र विशेष रूप से कालसर्प दोष से मुक्ति, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए बोले जाते हैं। कुछ भक्तों ने नव नागों के नामों का भी पाठ किया - अनंत, वासुकी, शेष, पद्म, कम्बल, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक और कालिया।

पर्यावरण और नागों की सुरक्षा का संदेश

नाग पंचमी सिर्फ पूजा का पर्व नहीं बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक बनता जा रहा है। आज के दिन लोग सांपों के प्रति करुणा और संरक्षण की भावना भी व्यक्त करते हैं। कई सामाजिक संस्थाएं इस मौके पर लोगों को सांपों को न मारने और उनके महत्व को समझाने के लिए अभियान भी चलाती हैं।

नाग पंचमी की छाया गांव से लेकर शहर तक

उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में नाग पंचमी बड़े धूमधाम से मनाई गई। सुबह से ही मंदिरों में भीड़ और घरों में पूजा की तैयारी शुरू हो गई थी। महिलाएं पारंपरिक परिधान में पूजा करती नजर आईं। वहीं दक्षिण भारत में भी यह पर्व अलग अंदाज में मनाया जाता है, जहां विशेष रूप से नाग मंदिरों में दीप जलाकर पूजा की जाती है।

त्योहार के रंग में रंगे श्रद्धालु, हर ओर भक्तिभाव का माहौल

सावन के इस पावन महीने में नाग पंचमी जैसे पर्व श्रद्धालुओं के लिए खास महत्व रखते हैं। भगवान शिव की कृपा पाने का यह अवसर भक्तों के लिए विश्वास और श्रद्धा से भरा होता है। इस दिन नाग देवता की आराधना से लोगों को मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

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