Pune

पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ेंगे? पुरी ने बताया भारत की ऊर्जा रणनीति

Strait of Hormuz: ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिला है। ऐसे में जानिये केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने क्या कहा?

Strait of Hormuz: वेस्ट एशिया में अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने की आशंका ने वैश्विक ऊर्जा बाजार में खलबली मचा दी है। भारत, जो विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, इस संकट से सीधे तौर पर प्रभावित हो सकता है। ऐसे में भारत सरकार की तैयारी और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी की प्रतिक्रिया पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

क्या है होर्मुज जलडमरूमध्य और क्यों है यह अहम?

होर्मुज जलडमरूमध्य एक संकीर्ण समुद्री मार्ग है, जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और आगे अरब सागर से जोड़ता है। यह समुद्री मार्ग दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण तेल परिवहन मार्गों में गिना जाता है। वैश्विक तेल का लगभग 20 प्रतिशत इसी रास्ते से गुजरता है, जिसमें खाड़ी देशों जैसे सऊदी अरब, ईरान, कुवैत, यूएई और इराक से निर्यात होने वाला कच्चा तेल शामिल है।

भारत अपनी कुल तेल आवश्यकताओं का लगभग 90 प्रतिशत आयात करता है, और उसमें से भी 30 से 35 प्रतिशत तेल होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर आता है। ऐसे में इस मार्ग के बाधित होने पर भारत की ऊर्जा आपूर्ति, कीमतें और अर्थव्यवस्था तीनों पर व्यापक असर हो सकता है।

अमेरिकी हमले के बाद बढ़ा तनाव

हाल ही में अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया है, जिसके जवाब में ईरान ने संकेत दिए हैं कि वह होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है। अगर यह स्थिति बनी रही और समुद्री मार्ग अवरुद्ध हुआ, तो विश्व स्तर पर कच्चे तेल की आपूर्ति पर भारी असर पड़ेगा। पहले ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 91 डॉलर प्रति बैरल के पार जा चुकी हैं, और विशेषज्ञों का मानना है कि यह 105 डॉलर से ऊपर भी जा सकती हैं।

भारत की रणनीति और पेट्रोलियम मंत्री का बयान

बढ़ते संकट के बीच केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्थिति पर भारत की तैयारियों को लेकर भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार पिछले दो सप्ताह से वेस्ट एशिया में हो रहे घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर बनाए हुए है। उन्होंने बताया कि भारत ने बीते कुछ वर्षों में तेल आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाई है और अब केवल खाड़ी देशों पर निर्भर नहीं है।

उनके मुताबिक, भारत अब ब्राजील, रूस, अमेरिका और पश्चिमी अफ्रीका जैसे देशों से भी बड़े पैमाने पर तेल आयात करता है। इसके अलावा, भारतीय तेल विपणन कंपनियों के पास करीब 25 दिनों तक का पर्याप्त भंडार मौजूद है, जिससे तत्काल संकट से निपटा जा सकता है।

क्या महंगा होगा पेट्रोल और डीजल?

सवाल यह उठता है कि क्या भारत में आम आदमी को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उछाल का सामना करना पड़ेगा? इस पर विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें 105 डॉलर प्रति बैरल के पार जाती हैं और संकट एक हफ्ते से अधिक खिंचता है, तो सरकार को विकल्पों की समीक्षा करनी पड़ेगी।

सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क (excise duty) में कटौती पर विचार कर सकती है, ताकि आम उपभोक्ता पर बोझ न बढ़े। हालांकि यह फैसला कच्चे तेल की कीमतों और वैश्विक स्थिति पर निर्भर करेगा।

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संभावित असर

अगर होर्मुज जलडमरूमध्य लंबी अवधि के लिए बंद होता है, तो इसका असर केवल भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। समुद्री मार्ग बाधित होने से न केवल तेल बल्कि एलएनजी (तरल प्राकृतिक गैस) की आपूर्ति भी प्रभावित होगी। इससे शिपिंग लागत, बीमा दरें और उत्पादन लागत बढ़ सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति वैश्विक मुद्रास्फीति को भी हवा दे सकती है और देशों की मौद्रिक नीतियों पर दबाव बना सकती है। भारत के लिए यह स्थिति इसलिए और गंभीर हो सकती है क्योंकि वह विकासशील अर्थव्यवस्था है और आयात पर उसकी निर्भरता काफी अधिक है।

क्या है निवेशकों और कंपनियों की प्रतिक्रिया?

तेल की कीमतों में उछाल का असर शेयर बाजारों पर भी देखने को मिल रहा है। ऊर्जा सेक्टर की कंपनियों के शेयर तो बढ़ रहे हैं, लेकिन ऑटोमोबाइल, एविएशन, और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में गिरावट देखने को मिली है। निवेशक फिलहाल सुरक्षित विकल्पों जैसे गोल्ड और डॉलर की ओर रुख कर रहे हैं।

इसके साथ ही, रिफाइनिंग कंपनियां, जैसे इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भी सप्लाई चेन को लेकर सतर्क हो गई हैं। वे वैकल्पिक मार्गों से आपूर्ति सुनिश्चित करने की रणनीति बना रही हैं।

सरकार की तैयारियां और वैकल्पिक उपाय

भारत सरकार संकट की इस स्थिति में कई विकल्पों पर काम कर रही है

  • वैश्विक सहयोग अमेरिका, रूस और अन्य तेल उत्पादक देशों से संपर्क बनाए रखना।
  • रणनीतिक भंडारण  भारत के पास रणनीतिक तेल भंडारण की क्षमता है, जिसे आवश्यकता पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • वैकल्पिक मार्ग  ईंधन आयात के लिए वैकल्पिक समुद्री मार्गों की पहचान और इस्तेमाल।
  • टैक्स नीति में लचीलापन  उत्पाद शुल्क और अन्य टैक्सों में समय पर बदलाव कर कीमतों को स्थिर बनाए रखना।

Leave a comment