सोमवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में अचानक 2.7 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली। बीएसई पर शेयर 1,436.85 रुपये तक फिसल गए, जबकि शुक्रवार को कंपनी ने अब तक का सबसे ज्यादा मुनाफा दर्ज किया था। निवेशक इस गिरावट से हैरान रह गए, क्योंकि कंपनी ने 30,783 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट दिखाया, जो कि किसी भी तिमाही में अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है।
एशियन पेंट्स से कमाई ने बढ़ाया लाभ
इस तिमाही में कंपनी को एशियन पेंट्स में अपनी हिस्सेदारी बेचने से 8,924 करोड़ रुपये मिले। इसके अलावा ब्याज खर्च और टैक्स भुगतान में भी राहत मिली, जिससे नेट प्रॉफिट और ज्यादा मजबूत हो गया। हालांकि, बाजार को इससे उतना भरोसा नहीं मिला, क्योंकि कंपनी के मुख्य बिजनेस सेगमेंट—रिटेल और O2C—का प्रदर्शन उम्मीद से कम रहा।
ब्रोकरेज रिपोर्टों ने जताई नाराज़गी
जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी का कंसोलिडेटेड EBITDA उनकी उम्मीद से 3 प्रतिशत कम रहा। खासकर O2C बिजनेस में 5 प्रतिशत और रिटेल में 4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। मोतीलाल ओसवाल और एमके ग्लोबल जैसी ब्रोकरेज फर्मों ने भी इसी तरह की चिंता जताई। एमके ने बताया कि EBITDA 5 प्रतिशत और प्रॉफिट 7 प्रतिशत तक अनुमान से नीचे रहा।
रिटेल बिजनेस ने किया निराश
रिलायंस रिटेल को ग्रोथ ड्राइवर माना जाता रहा है, लेकिन इस बार के नतीजे ने एनालिस्टों को चिंतित कर दिया है। मोतीलाल ओसवाल के अनुसार, ऑपरेशनल EBITDA उनकी उम्मीद से 7 प्रतिशत कम रहा। वहीं जेपी मॉर्गन ने बताया कि रिटेल ग्रोथ 11 प्रतिशत पर रुक गई, जबकि वे 16 प्रतिशत की उम्मीद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स की बिक्री मानसून की शुरुआत के कारण धीमी रही और नई दुकानों के विस्तार की गति भी सुस्त रही।
ऑयल-टू-केमिकल बिजनेस में भी कमजोरी
रिलायंस का O2C बिजनेस हमेशा से कमाई का बड़ा स्रोत रहा है। लेकिन इस बार इसमें भी गिरावट दर्ज की गई। मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक, O2C का कंसोलिडेटेड EBITDA तिमाही-दर-तिमाही 4 प्रतिशत घटा और यह उनके अनुमान से 8 प्रतिशत कम रहा। इसकी मुख्य वजह प्लांट बंद रहना और वॉल्यूम में कमी थी। नुवामा ने कहा कि टर्नअराउंड गतिविधियों से O2C सेगमेंट प्रभावित हुआ।
जियो बना कंपनी की ताकत
इस बार की तिमाही में रिलायंस जियो ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया। मोतीलाल ओसवाल के अनुसार, जियो का EBITDA 5 प्रतिशत बढ़ा और यह अनुमान से 2 प्रतिशत ज्यादा रहा। इसका मुख्य कारण ऑपरेशनल कॉस्ट में कमी और मजबूत मार्जिन रहा। EBITDA मार्जिन 97 प्रतिशत तक पहुंच गया। एमके के मुताबिक, जियो ने 9.9 मिलियन नए ग्राहक जोड़े और ARPU बढ़कर 208.8 रुपये हो गया।
एनालिस्टों की राय में मिली-जुली प्रतिक्रिया
हालांकि जियो का प्रदर्शन बेहतर रहा, लेकिन एनालिस्टों की राय में कंपनी के अन्य सेगमेंट में कमज़ोरी साफ नज़र आई। मैक्वेरी ने बताया कि जियो मजबूत रहा, लेकिन रिटेल कमजोर और O2C सेगमेंट में सुधार के संकेत मिले हैं। जेफरीज, जेपी मॉर्गन और मोतीलाल ओसवाल ने रिलायंस के भविष्य को लेकर पॉजिटिव रुख दिखाया है, लेकिन मौजूदा तिमाही में प्रदर्शन को लेकर सतर्कता भी जताई है।
बाजार में भरोसे की कमी बनी वजह
बाजार में यह मान लिया गया कि कंपनी का मुनाफा भले ही रिकॉर्ड स्तर पर रहा हो, लेकिन वह मुख्य रूप से गैर-ऑपरेशनल आय से आया है, न कि कोर बिजनेस से। इसी कारण निवेशकों में भरोसे की कमी दिखी और शेयरों में बिकवाली देखने को मिली। निवेशकों को उम्मीद थी कि O2C और रिटेल जैसे सेगमेंट दमदार प्रदर्शन करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
ब्रोकरेज फर्मों ने दिए नए टारगेट
जेफरीज ने रिलायंस के लिए 1,726 रुपये का टारगेट प्राइस रखा है, जबकि जेपी मॉर्गन ने अपने पुराने 1,568 रुपये के लक्ष्य को बढ़ाकर 1,695 रुपये कर दिया है। इससे पता चलता है कि लंबी अवधि में कंपनी को लेकर आशावाद है, लेकिन अल्पकाल में प्रदर्शन को लेकर सावधानी बरती जा रही है।
ग्राहक संख्या बढ़ने से टेलीकॉम में उम्मीद
टेलीकॉम सेगमेंट में ग्राहकों की संख्या बढ़ना और ARPU में सुधार निवेशकों को संतोष देने वाला पहलू रहा। लेकिन जब तक रिटेल और O2C दोबारा गति नहीं पकड़ते, तब तक शेयर में स्थिरता की उम्मीद मुश्किल दिखती है। यही कारण रहा कि मुनाफे के बावजूद बाजार ने कंपनी पर भरोसा नहीं जताया।