श्रावण मास अपने आप में ही धार्मिक महत्ता रखता है। यह महीना शिव भक्ति के लिए जाना जाता है, लेकिन सावन में भगवान विष्णु से जुड़े व्रत भी बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन्हीं में से एक है पुत्रदा एकादशी। हर साल दो बार पुत्रदा एकादशी आती है, लेकिन सावन की पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं और संतान के जीवन में आने वाली समस्याएं दूर होती हैं।
इस बार कब है पुत्रदा एकादशी
सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 4 अगस्त 2025 को सुबह 11 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी और 5 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 12 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि की मान्यता के आधार पर पुत्रदा एकादशी 5 अगस्त को मनाई जाएगी। व्रत करने वाले भक्तजन 6 अगस्त को सुबह 5 बजकर 45 मिनट से 8 बजकर 26 मिनट तक पारण कर सकते हैं।
क्यों कहा जाता है इसे पुत्रदा एकादशी
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। विशेष रूप से पुत्र की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों के लिए यह दिन वरदान समान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो दंपत्ति संतान प्राप्ति की कामना से इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की सच्चे मन से आराधना करते हैं, उन्हें शीघ्र ही संतान सुख प्राप्त होता है। यही कारण है कि इसे पुत्रदा यानी पुत्र देने वाली एकादशी कहा जाता है।
कैसे करें व्रत और पूजा
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को गंगाजल से शुद्ध कर पीले पुष्प, धूप, दीप, चंदन, पंचामृत और तुलसी दल से पूजा की जाती है। पीले वस्त्रों से श्रृंगार कर भगवान को भोग अर्पित किया जाता है और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना शुभ माना जाता है।
तुलसी के पास दीप जलाना है शुभ
पुत्रदा एकादशी के दिन तुलसी के पौधे के समीप शुद्ध गाय के घी का दीपक जलाना बहुत पुण्यदायी माना जाता है। इसके बाद तुलसी स्तोत्र का जाप किया जाता है जिसमें श्री महालक्ष्मी, धर्म और संतान सुख की कामना की जाती है। कहा जाता है कि यह उपाय संतान की दीर्घायु, सुख और समृद्धि के लिए बहुत फलदायी होता है।
भगवान विष्णु को भोग में लगाएं मखाने की खीर
व्रत के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को भोग में मखाने की खीर अर्पित करने की परंपरा है। इसे पवित्रता से तैयार किया जाता है और घर के सभी सदस्य इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि इस प्रसाद को खाने से जीवन में संतान सुख की प्राप्ति होती है और जो संतान है, उसके जीवन से रोग, कष्ट और बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
गाय को चारा खिलाने से बनते हैं शुभ योग
पुराणों में उल्लेख मिलता है कि पुत्रदा एकादशी के दिन गाय को हरा चारा या गुड़ खिलाने से संतान के उज्ज्वल भविष्य के योग बनते हैं। इसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावशाली तरीका माना गया है। साथ ही, यह भी माना जाता है कि इससे संतान की पढ़ाई-लिखाई, करियर और स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव आता है।
संतानहीन दंपत्तियों के लिए विशेष दिन
पुत्रदा एकादशी उन दंपत्तियों के लिए एक विशेष दिन है, जो संतान की प्राप्ति के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहे हैं। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु से सच्चे मन से प्रार्थना की जाए तो जीवन में संतान सुख का मार्ग प्रशस्त होता है। कई धार्मिक कथाओं में ऐसे प्रसंग मिलते हैं जब संतान सुख के लिए की गई एकादशी व्रत पूजा से लोगों की झोली खुशियों से भर गई।
परिवार के कल्याण के लिए भी रखा जाता है व्रत
केवल संतान की प्राप्ति के लिए ही नहीं, बल्कि परिवार के समग्र कल्याण, संतान के अच्छे संस्कार और उज्ज्वल भविष्य के लिए भी इस व्रत का महत्व है। खासतौर पर माताएं इस दिन विशेष रूप से व्रत रखती हैं और भगवान विष्णु से अपनी संतान के सुखद और सफल जीवन की कामना करती हैं।