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शनि देव की आरती कृपा प्राप्त करने के लिए गाई जाती है। इसे ध्यानपूर्वक पढ़ने से भक्तों को शांति और समृद्धि मिलती है।

शनि देव की आरती कृपा प्राप्त करने के लिए गाई जाती है। इसे ध्यानपूर्वक पढ़ने से भक्तों को शांति और समृद्धि मिलती है।
अंतिम अपडेट: 21-09-2024

शनि देव की आरती

जय जय श्री शनिदेव, सुनहु विनय महाराज।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज।

(चौपाई)

जयति जयति शनिदेव दयाला।

करत सदा भक्तन प्रतिपाला।

 

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।

माथे रतन मुकुट छबि छाजै।

 

परम विशाल मनोहर भाला।

टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला।

 

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।

हिय माल मुक्तन मणि दमके। (४)

 

कर में गदा त्रिशूल कुठारा।

पल बिच करैं अरिहिं संहारा।

 

पिंगल, कृष्णों, छाया नन्दन।

यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन।

 

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।

भानु पुत्र पूजहिं सब कामा।

 

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।

रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं।

 

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