श्री हरे-कृष्णा स्पंज आयरन लिमिटेड का आईपीओ लगभग 30 करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य के साथ खुला था, जिसे निवेशकों से मजबूत प्रतिक्रिया मिली। हालांकि, ग्रे मार्केट में इस इश्यू को लेकर रुझान अपेक्षाकृत सुस्त रहा।
श्री हरे-कृष्णा स्पंज आयरन लिमिटेड का SME आईपीओ भले ही ग्रे मार्केट में ठंडा रहा हो, लेकिन सब्सक्रिप्शन के मोर्चे पर इसने उम्मीद से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है। महज 29.91 करोड़ रुपये का यह इश्यू 24 जून से 26 जून 2025 तक खुला रहा और आखिरी दिन 6.84 गुना सब्सक्राइब हुआ। यह ऐसे समय में हुआ है जब इस इश्यू का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) शून्य बना रहा। यानी अनौपचारिक बाजार में शेयर को लेकर कोई हलचल नहीं थी, फिर भी निवेशकों ने जमकर भागीदारी की।
शेयरों की मांग ने सबको चौंकाया
इस आईपीओ में कुल 50.70 लाख नए शेयर जारी किए गए, और इसे सब्सक्रिप्शन के पहले दिन ही 0.67 गुना आवेदन मिला। दूसरे दिन यह आंकड़ा बढ़कर 1.13 गुना पहुंच गया। लेकिन अंतिम दिन निवेशकों की दिलचस्पी चरम पर पहुंच गई और रिटेल, एनआईआई (नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स) और क्यूआईबी (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स) कैटेगरी में जोरदार भागीदारी दिखी।
रिटेल कैटेगरी को 3.10 गुना, एनआईआई कैटेगरी को 10.09 गुना और क्यूआईबी को 10.97 गुना सब्सक्रिप्शन मिला, जो यह दर्शाता है कि बिना GMP के भी निवेशकों को कंपनी के फंडामेंटल्स पर पूरा भरोसा है।
कब होगा अलॉटमेंट और लिस्टिंग
इस आईपीओ के शेयरों का अलॉटमेंट 27 जून को अंतिम रूप से तय किया जाएगा। निवेशकों को 30 जून तक डीमैट अकाउंट में शेयर मिलने की उम्मीद है। वहीं, NSE SME प्लेटफॉर्म पर इसकी लिस्टिंग 1 जुलाई को होने की संभावना है।
IPO का रजिस्ट्रार केफिन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड है। निवेशक कंपनी की वेबसाइट पर जाकर अपना अलॉटमेंट स्टेटस चेक कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें कंपनी का नाम चुनना होगा, फिर पैन, एप्लिकेशन नंबर या डीमैट डिटेल दर्ज करके स्थिति देखी जा सकती है।
क्या करती है कंपनी
श्री हरे-कृष्णा स्पंज आयरन लिमिटेड छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के सिलतरा में स्थित है। यह कंपनी स्पंज आयरन का निर्माण और बिक्री करती है, जो स्टील निर्माण की प्रक्रिया में एक प्रमुख कच्चा माल होता है। स्पंज आयरन का उपयोग खास तौर पर इंडक्शन फर्नेस और इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस में स्टील बनाने के लिए किया जाता है।
स्टील इंडस्ट्री में स्पंज आयरन की मांग लगातार बनी रहती है और इस सेक्टर में कंपनी की मजबूत पकड़ है। यह फैक्ट निवेशकों को आकर्षित करने में अहम साबित हुआ है।
कैसे होगा फंड का इस्तेमाल
कंपनी इस इश्यू से मिली राशि में से 2.30 करोड़ रुपये अपने रायपुर स्थित प्लांट में कैप्टिव पावर प्लांट की स्थापना पर खर्च करेगी। इसके अलावा, शेष फंड का इस्तेमाल कॉर्पोरेट जरूरतों को पूरा करने और ऑपरेशन को मजबूत करने में किया जाएगा।
कैप्टिव पावर प्लांट लगाने से कंपनी को अपनी बिजली जरूरतों के लिए बाहरी स्रोतों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और इससे ऑपरेशनल एफिशिएंसी में बढ़ोतरी होगी। यह कदम उत्पादन लागत को कंट्रोल करने और मार्जिन बेहतर करने में भी मदद करेगा।
आकर्षक नहीं रहा ग्रे मार्केट
IPO से पहले ग्रे मार्केट में इस इश्यू को लेकर कोई खास हलचल नहीं रही। GMP यानी ग्रे मार्केट प्रीमियम लगातार शून्य पर ही बना रहा। यह उस समय खास तौर पर हैरान करने वाला रहा, जब अन्य IPO में GMP बढ़ने पर ही निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ती है। लेकिन श्री हरे-कृष्णा स्पंज आयरन के मामले में ऐसा नहीं हुआ।
GMP भले ही नकारात्मक संकेत दे रहा था, लेकिन निवेशकों का भरोसा कंपनी के बुनियादी पहलुओं पर बना रहा। यही वजह है कि इश्यू को तगड़ी प्रतिक्रिया मिली।
SME सेगमेंट में खास स्थिति
यह आईपीओ SME (Small and Medium Enterprises) सेगमेंट में आया है, जो आमतौर पर मझोले निवेशकों और संस्थागत खरीदारों के लिए एक आकर्षक विकल्प होता है। SME कंपनियां आम तौर पर मजबूत लोकल ऑपरेशंस, कम प्रतिस्पर्धा और केंद्रित व्यापार मॉडल के लिए जानी जाती हैं।
इस सेगमेंट में लिस्टिंग होते ही प्राइस मूवमेंट तेज हो सकते हैं, इसलिए निवेशकों में इस सेगमेंट को लेकर उत्साह देखा जाता है। हालांकि वोलैटिलिटी का जोखिम भी उतना ही ज्यादा होता है।
मार्केट में IPO की रफ्तार
हाल के महीनों में SME सेगमेंट में IPO की लाइन लगी हुई है और निवेशकों की दिलचस्पी इस ओर बढ़ती जा रही है। एक तरफ जहां कुछ आईपीओ में तगड़ा GMP देखने को मिला है, वहीं कुछ में भले ही GMP नहीं हो, लेकिन सब्सक्रिप्शन दमदार देखने को मिला है। इससे साफ होता है कि निवेशक अब केवल ग्रे मार्केट सेंटिमेंट पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि कंपनी की स्थिति, बिजनेस मॉडल और ग्रोथ प्लान पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
श्री हरे-कृष्णा स्पंज आयरन लिमिटेड का मामला इसका ताजा उदाहरण है, जहां बिना प्रीमियम के भी निवेशकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह ट्रेंड SME सेगमेंट की तरफ बढ़ते विश्वास और समझदारी की ओर इशारा करता है।