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Swiggy-Zomato पर 18% GST का नया बोझ, डिलिवरी चार्ज बढ़ने की संभावना

Swiggy-Zomato पर 18% GST का नया बोझ, डिलिवरी चार्ज बढ़ने की संभावना

GST परिषद ने फूड डिलिवरी और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्मों की डिलिवरी सेवा पर 18% कर लागू किया है। इसका असर स्विगी और जोमैटो पर पड़ेगा, जिससे कंपनियों का मुनाफा कम हो सकता है और ग्राहकों के लिए डिलिवरी चार्ज बढ़ सकता है। नए नियम से कर की जिम्मेदारी गिग वर्कर्स से प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित हो गई है।

GST 2.0: वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद ने फूड डिलिवरी और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्मों की डिलिवरी सेवा पर 18 प्रतिशत GST लागू करने का फैसला किया है। इसका सीधा असर स्विगी और जोमैटो जैसी कंपनियों पर पड़ेगा, जो डिलिवरी पर निर्भर हैं। नए नियम के तहत कर की जिम्मेदारी अब अपंजीकृत गिग वर्कर्स से प्लेटफॉर्म्स पर आ गई है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए डिलिवरी चार्ज बढ़ने की संभावना है और कंपनियों को सालाना लगभग 500 करोड़ रुपये अतिरिक्त कर देना पड़ सकता है।

18% GST का नया बोझ

विश्लेषकों का कहना है कि इस नए नियम के लागू होने से फूड डिलिवरी कंपनियों को सालाना करीब 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर भुगतान करना पड़ सकता है। इसके पहले, कर की देनदारी अपंजीकृत गिग वर्कर्स पर थी, लेकिन अब यह जिम्मेदारी सीधे प्लेटफॉर्म्स पर आ गई है। इसका मतलब यह है कि जो स्वतंत्र डिलीवरी पार्टनर काम करते थे, उन पर अब इस कर का बोझ नहीं रहेगा।

ईवाई इंडिया के अप्रत्यक्ष कर पार्टनर संकेत देसाई ने बताया कि अब इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स ऑपरेटरों द्वारा दी जाने वाली स्थानीय डिलिवरी सेवा पर 18 प्रतिशत GST लगेगा। उन्होंने कहा कि यह नियम व्यापक रूप से फूड डिलिवरी, क्विक कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स सर्विसेज पर लागू होगा।

कंपनियों और उपभोक्ताओं पर असर

स्विगी और जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म्स के लिए यह नियम सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि इनका मुख्य व्यवसाय डिलिवरी है। नए GST लागू होने से उनके संचालन की लागत बढ़ सकती है। कंपनियों के पास यह विकल्प होगा कि या तो अतिरिक्त कर का बोझ खुद उठाएँ या उसे उपभोक्ताओं पर डालें।

रिसर्च फर्म डाटम इंटेलिजेंस के संस्थापक सतीश मीणा ने कहा कि उपभोक्ताओं को अधिक डिलिवरी शुल्क देना पड़ सकता है। हालांकि कंपनियां कुछ हद तक इस लागत को वहन कर सकती हैं, लेकिन इसका असर ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा।

फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स में बदलाव

GST परिषद ने इस बदलाव को लागू करने का कारण यह बताया कि पहले कम मूल्य की आपूर्ति और स्वतंत्र डिलिवरी पार्टनर्स पर कर की छूट थी। अब यह छूट समाप्त हो गई है। इसका उद्देश्य कर प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है।

CGST अधिनियम की धारा 9(5) के अनुसार, GST का भुगतान अब गिग वर्कर्स से हटकर प्लेटफॉर्म्स पर आ गया है। इसका मतलब यह है कि अब फूड एग्रीगेटर्स और क्विक कॉमर्स ऑपरेटर सीधे कर के दायित्व के तहत आएंगे।

क्विक कॉमर्स सेक्टर पर असर

फूड डिलिवरी के अलावा क्विक कॉमर्स कंपनियों को भी नए कर के बोझ का सामना करना पड़ सकता है। इस सेक्टर में घरेलू सामान, किराना और डेली प्रोडक्ट्स की त्वरित डिलिवरी होती है। इस पर भी अब 18 प्रतिशत GST लगेगा। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है, क्योंकि कंपनियों को अपनी लागत बढ़ाने के लिए कीमतें बढ़ानी पड़ सकती हैं।

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