भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है, जो डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन की स्मृति में समर्पित है। यह दिन शिक्षकों के योगदान के साथ-साथ प्राचीन काल के महान गुरुओं की शिक्षाओं को भी याद करने का अवसर है, जिन्होंने ज्ञान, धर्म और नैतिकता के माध्यम से समाज को दिशा दी।
Teacher’s Day 2025: भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है, जो डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन की याद में समर्पित है। यह दिन देशभर में शिक्षकों के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का अवसर है। हिंदू धर्म में गुरु-शिष्य परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, जिसमें महाभारत और रामायण काल के महान गुरुओं ने ज्ञान, धर्म और नैतिक शिक्षा का मार्ग दिखाया। शिक्षक दिवस के इस अवसर पर वेद व्यास, महर्षि वाल्मीकि, आदि शंकराचार्य और अन्य महान गुरुओं के योगदान को याद किया जाता है, जिन्होंने समाज में ज्ञान और आध्यात्मिक मूल्यों की नींव रखी।
वेद व्यास और महर्षि वाल्मीकि
वेद व्यास, जिन्हें आदि गुरु के रूप में सम्मानित किया जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख धर्मज्ञों में से एक हैं। इन्हें महाभारत, 18 पुराण और ब्रह्मसूत्र के रचयिता के रूप में जाना जाता है। वेद व्यास ने वेदों का संकलन कर धर्म और ज्ञान को व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया, जिससे सनातन धर्म की शिक्षाएं स्थायी बनीं। वहीं, महर्षि वाल्मीकि को रामायण का रचयिता माना जाता है। इन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवनचरित्र रचा और समाज में धर्म, कर्तव्य और आदर्श जीवन का संदेश दिया।
आदि शंकराचार्य और दार्शनिक गुरू
आदि शंकराचार्य अद्वैत वेदांत के प्रमुख आचार्य माने जाते हैं। इन्होंने सनातन धर्म के पुनर्जागरण में अहम भूमिका निभाई और चारों दिशाओं में मठों की स्थापना कर धार्मिक शिक्षा और आध्यात्मिक अभ्यास को संगठित किया। इसी तरह, महर्षि कणाद, कपिल और गौतम ने क्रमशः वैशेषिक, सांख्य और न्याय दर्शन की स्थापना करके ज्ञान, विज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए।
युद्धकला और नैतिक शिक्षा के गुरू
महाभारत काल के गुरु द्रोणाचार्य और कृपाचार्य ने कौरव और पांडवों को युद्धकला में प्रशिक्षित किया और धर्म, रणनीति और शौर्य की शिक्षा दी। रामायण काल के ऋषि गुरु वशिष्ठ और विश्वामित्र ने धर्म, शिक्षा और तपस्या का महत्व समाज में उजागर किया और नैतिक मूल्यों के माध्यम से लोगों को सही मार्ग चुनने की प्रेरणा दी।
शिक्षक दिवस 2025 के अवसर पर यह याद रखना जरूरी है कि ये महान गुरू हमें सिर्फ ज्ञान नहीं देते, बल्कि जीवन के सही मार्गदर्शन, नैतिकता और आध्यात्मिक मूल्यों से भी अवगत कराते हैं। इनकी शिक्षाओं का प्रभाव आज भी हमारे जीवन और समाज में स्पष्ट दिखाई देता है।