उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है, जिसके केंद्र में है बलरामपुर का रहने वाला जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा। एटीएस की जांच में सामने आया है कि छांगुर बाबा ‘शिजर-ए-तैयबा’ नामक एक विवादित किताब के जरिए युवाओं को लव जिहाद और धर्मांतरण के लिए उकसाता था। इस किताब में मौजूद कई विवादास्पद बातें एटीएस के रडार पर हैं, जिनकी गंभीरता से जांच की जा रही है।
बताया जा रहा है कि यह किताब मुस्लिम युवकों के साथ-साथ हिंदू युवाओं को भी भ्रमित करने के मकसद से लिखी गई थी, ताकि उन्हें धर्म परिवर्तन की ओर धकेला जा सके। एटीएस ने छांगुर बाबा को पूछताछ के लिए बलरामपुर लाया है, जहां उससे कई अहम जानकारियां निकलने की उम्मीद है। जांच एजेंसी का मानना है कि छांगुर बाबा लंबे समय से इस रैकेट को ऑपरेट कर रहा था और उसकी पहुंच कई जिलों तक फैली थी।
ईडी की जांच भी तेज

अवैध धर्मांतरण की इस साजिश में आर्थिक पहलू भी सामने आ रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छांगुर बाबा और उसके सहयोगियों की फंडिंग जांचना शुरू कर दिया है। ईडी को जानकारी मिली है कि छांगुर के करीबी नवीन रोहरा के सात बैंक खातों का पता चल चुका है, जबकि 18 अन्य खातों की जांच की जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, बलरामपुर और आसपास के जिलों में कई संपत्तियां खरीदी गई हैं, जिनका संबंध इस नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है। ईडी को शक है कि इन संपत्तियों की खरीद-फरोख्त विदेशी और घरेलू फंडिंग के जरिए की गई, और इनका उपयोग धर्मांतरण के प्रचार-प्रसार में हो रहा था।
कई जिलों में नामजद आरोपी

एटीएस की ताजा एफआईआर में यह भी सामने आया है कि छांगुर बाबा के चार करीबी सहयोगी—मोहम्मद सबरोज, रशीद, शहाबुद्दीन (बलरामपुर निवासी) और रमजान (गोंडा निवासी)—पूर्वांचल के कई जिलों में धर्मांतरण कराने में सक्रिय थे। इन सभी के खिलाफ पहले से ही 25 मई 2023 को आजमगढ़ के देवगांव थाने में मामला दर्ज था, जिसमें कुल 18 नामजद आरोपी हैं।
नए मामले में आजमगढ़, मऊ, गोंडा और जौनपुर से जुड़े कई नाम सामने आए हैं, जिनमें अवधेश सरोज उर्फ वकील, ऊषा देवी, पन्ना लाल गुप्ता, हसीना, कुंदन बेनवंशी, आकाश सरोज, मोहम्मद जावेद, परवेज आलम, इरफान अहमद, साबिर अली, जावेद अहमद और फैयाज अहमद शामिल हैं।
जांच के दायरे में बढ़ेगा नेटवर्क
एटीएस अब पूरे नेटवर्क की तह तक पहुंचने की कोशिश में है। अफसरों का कहना है कि यह रैकेट सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें अन्य राज्यों या अंतरराष्ट्रीय फंडिंग से भी जुड़ी हो सकती हैं। आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं और पूरे षड्यंत्र की परतें खुलने की संभावना जताई जा रही है।













