वंदे भारत एक्सप्रेस की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है, और इसका सीधा असर अब शताब्दी एक्सप्रेस पर देखने को मिल रहा है। कई रूट्स पर जहां पहले शताब्दी एक्सप्रेस यात्रियों की पहली पसंद हुआ करती थी, वहां अब वंदे भारत के विकल्प के चलते यात्री संख्या में गिरावट आई है।
धनबाद: भारतीय रेलवे में प्रीमियम ट्रेनों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज होती जा रही है। गया-हावड़ा वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरूआत ने पारंपरिक प्रीमियम ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस पर सीधा प्रभाव डाला है। यात्रियों की घटती संख्या को देखते हुए रेलवे ने शताब्दी एक्सप्रेस से दो एसी चेयर कार कोच कम करने का निर्णय लिया है। यह बदलाव 1 सितंबर 2025 से प्रभावी होगा।
शताब्दी एक्सप्रेस से हटाए जाएंगे दो कोच
अब तक सात एसी चेयर कार कोच के साथ चलने वाली रांची-हावड़ा शताब्दी एक्सप्रेस को अब सिर्फ पांच कोच के साथ संचालित किया जाएगा। रेलवे के पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (PRS) में इस बदलाव को अपडेट कर दिया गया है। इस निर्णय के पीछे प्रमुख कारण है वंदे भारत एक्सप्रेस के आगमन के बाद यात्रियों का झुकाव शताब्दी की बजाय वंदे भारत की ओर बढ़ना। पूर्व में, शताब्दी एक्सप्रेस में कंफर्म टिकट पाना मुश्किल था, लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि ट्रेन में दर्जनों सीटें हर दिन खाली जा रही हैं।
धनबाद में 25 मिनट के अंतर से चलती हैं दोनों ट्रेनें
धनबाद स्टेशन पर शाम 5:35 बजे शताब्दी एक्सप्रेस का आगमन और 5:40 बजे प्रस्थान होता है। वहीं, गया से हावड़ा जाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस शाम 6:00 बजे पहुंचती है और 6:02 बजे रवाना हो जाती है। महज 25 मिनट के अंतराल में दो प्रीमियम ट्रेनों के संचालन से यात्री दोनों विकल्पों में से सुविधा अनुसार एक चुन रहे हैं, जिससे वंदे भारत को अधिक वरीयता मिल रही है।
आंकड़ों में दिखा फर्क
रेलवे के आंकड़े साफ तौर पर इस परिवर्तन को दर्शाते हैं: रांची-हावड़ा शताब्दी एक्सप्रेस में 11 से 31 जुलाई के बीच 51 से 75 चेयर कार सीटें प्रतिदिन खाली रहीं। गया-हावड़ा वंदे भारत एक्सप्रेस में इसी अवधि के दौरान 477 से 929 चेयर कार सीटें खाली रहीं। यह दर्शाता है कि वंदे भारत की क्षमता ज्यादा होने के बावजूद, यात्रियों का रुझान वहां धीरे-धीरे बढ़ रहा है जबकि शताब्दी एक्सप्रेस की लोकप्रियता में गिरावट आई है।
झारखंड रेल यूजर्स एसोसिएशन की संरक्षक पूजा रत्नाकर ने कहा, हावड़ा से गया तक चल रही वंदे भारत को अगर वाराणसी तक विस्तारित किया जाए, तो इसे जबरदस्त यात्री प्रतिक्रिया मिलेगी। देश की अन्य वंदे भारत ट्रेनों की तरह इस रूट पर भी विस्तार संभव है। इसी तरह डीआरयूसीसी सदस्य विजय शर्मा ने कहा कि, सावन के महीने में वाराणसी की ओर जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती है। अगर वंदे भारत को वाराणसी तक बढ़ाया जाए तो यात्रियों को सीधी और तेज़ सुविधा मिलेगी, वहीं रेलवे को आर्थिक घाटा नहीं झेलना पड़ेगा।