अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) के लोन खाते को ‘फ्रॉड’ घोषित करने का मामला अब नया मोड़ ले चुका है। गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान केनरा बैंक ने खुद कोर्ट को जानकारी दी कि उसने इस खाते से ‘धोखाधड़ी’ का टैग हटा लिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने अंबानी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अब इसमें कोई विवाद बाकी नहीं रह गया है।
कोर्ट ने कहा RBI को दी जाए जानकारी
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और नीला गोखले की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि इस बदलाव की जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को भी दी जाए। गौरतलब है कि RBI के मास्टर सर्कुलर के तहत बैंकों को किसी भी खाते को फ्रॉड घोषित करने से पहले कुछ विशेष प्रक्रियाओं का पालन करना होता है।
RCom के दिवालिया होने के बाद उठे सवाल
यह पूरा मामला रिलायंस कम्युनिकेशंस की दिवालिया प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है। कंपनी ने 2019 में स्वेच्छा से दिवालिया कार्यवाही शुरू की थी। लेकिन इसके कुछ साल बाद 8 नवंबर 2024 को केनरा बैंक ने उसके 1,050 करोड़ रुपये के लोन खाते को ‘फ्रॉड’ घोषित कर दिया था। बैंक ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने 2017 में लिए गए इस लोन को अपनी एक ग्रुप कंपनी में ट्रांसफर कर दिया था, और वहां से इन पैसों का इस्तेमाल पुराने कर्ज चुकाने में हुआ, जो कि नियमों के खिलाफ था।
SBI भी कर चुका है फ्रॉड का दावा
सिर्फ केनरा बैंक ही नहीं, बल्कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने भी RCom के लोन खाते को फ्रॉड घोषित किया था। कंपनी को भेजे गए एक पत्र में SBI ने कहा था कि उसने अंबानी समूह से मिले जवाबों पर विचार किया है, लेकिन वे बैंक को संतुष्ट नहीं कर सके। बैंक ने साफ तौर पर यह भी कहा था कि लोन की शर्तों का पालन नहीं किया गया है और खाते में कई अनियमितताएं पाई गई हैं।
अनिल अंबानी ने कोर्ट में दी थी चुनौती
इस पूरे मामले में अनिल अंबानी ने फरवरी 2025 में बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने कहा था कि केनरा बैंक ने उनके खाते को फ्रॉड घोषित करने से पहले उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया और न ही जवाब देने का मौका दिया गया। उनका तर्क था कि यह सुप्रीम कोर्ट और RBI दोनों के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। कोर्ट ने भी यह सवाल उठाया था कि क्या बैंक नियमानुसार काम कर रहा है या नहीं।
फरवरी में कोर्ट ने लगाई थी रोक
अदालत ने उस समय केनरा बैंक के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी। कोर्ट ने साफ किया था कि फ्रॉड घोषित करने जैसी बड़ी कार्रवाई से पहले उधारकर्ता को सुनवाई का अधिकार मिलना चाहिए। कोर्ट का यह स्टैंड RCom के पक्ष में एक राहत माना गया था।
अब क्यों बदला केनरा बैंक ने फैसला
गुरुवार को कोर्ट में जब बैंक ने खुद यह बताया कि उसने RCom के लोन खाते से ‘फ्रॉड’ का टैग हटा लिया है, तो इस मामले ने पूरी दिशा बदल दी। बैंक ने अपने पहले के स्टैंड से पीछे हटते हुए कहा कि वह इस टैग को हटाने का निर्णय ले चुका है और अब इसे RBI को भी सूचित किया जाएगा।
क्या इससे अन्य मामलों पर असर होगा
हालांकि, इस मामले में कोर्ट का फैसला याचिका पर तकनीकी रूप से खत्म हो जाने के कारण आया, लेकिन यह जरूर देखा जा रहा है कि आने वाले समय में अन्य बैंकों द्वारा उठाए गए ऐसे कदमों की वैधता भी इसी तरह से अदालत में परखी जाएगी। खासकर तब जब बिना उचित प्रक्रिया अपनाए किसी कंपनी या व्यक्ति को फ्रॉड करार दे दिया जाए।
केस से जुड़े कुछ अहम आंकड़े
- लोन राशि: लगभग 1050 करोड़ रुपये
- लोन की तारीख: 2017
- फ्रॉड टैग लगाने की तारीख: 8 नवंबर 2024
- कोर्ट में याचिका: फरवरी 2025
- फ्रॉड टैग हटाने की सूचना: जुलाई 2025
- कंपनी की स्थिति: दिवालिया कार्यवाही में चल रही
इस घटनाक्रम ने बैंकिंग सेक्टर में धोखाधड़ी घोषित करने की प्रक्रिया और पारदर्शिता पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। RCom की तरफ से राहत भले ही मिल गई हो, लेकिन अन्य कंपनियों के लिए यह एक मिसाल बन सकती है।