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वायु प्रदूषण रोकने के लिए राज्यों पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी चेतावनी, तीन माह में कार्रवाई जरूरी

वायु प्रदूषण रोकने के लिए राज्यों पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी चेतावनी, तीन माह में कार्रवाई जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब को वायु प्रदूषण रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए। सभी खाली पद तीन माह में भरने और वायु गुणवत्ता सुधारने की योजना बनाने का आदेश दिया गया।

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब समेत कई राज्यों को वायु प्रदूषण रोकने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से स्पष्ट रूप से कहा है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और तुरंत कार्य योजना तैयार करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश की बढ़ती वायु प्रदूषण की समस्या अब अनदेखी नहीं की जा सकती और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाना अनिवार्य है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को रिपोर्ट देने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से तीन सप्ताह के भीतर वायु प्रदूषण रोकने के उपायों पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि आयोग को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ मिलकर वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए बैठकें करनी चाहिए और ठोस रणनीति बनानी चाहिए। रिपोर्ट में आयोग को यह स्पष्ट करना होगा कि वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए गए हैं और आगे क्या योजनाएं बनाई जा रही हैं।

राज्यों में खाली पदों पर नाराज़गी

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में खाली पदों के मुद्दे पर भी नाराज़गी जताई। अदालत ने कहा कि कई राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में अभी भी कई उच्च पद खाली हैं, जिससे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के प्रयास प्रभावित हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब को कोर्ट ने तीन माह के भीतर सभी खाली पदों को भरने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ प्रशासनिक मामला नहीं है, बल्कि इससे सीधे जनता की सेहत और जीवन गुणवत्ता प्रभावित होती है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आयोग को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से भी सभी खाली पदों को तीन माह के भीतर भरने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि जब तक जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह तैनात नहीं होंगे, वायु प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण संभव नहीं होगा। कोर्ट ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि अगर समय सीमा में कार्रवाई नहीं हुई तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

वायु प्रदूषण की गंभीरता को लेकर चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए कहा कि बढ़ती औद्योगिकीकरण, वाहन और निर्माण गतिविधियों से वायु में प्रदूषक तत्व लगातार बढ़ रहे हैं। अदालत ने राज्यों को चेतावनी दी कि अगर समय पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। 

राज्यों के लिए योजना बनाने की आवश्यकता

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे वायु प्रदूषण रोकने के लिए स्थायी और प्रभावी योजना बनाएं। इस में ट्रैफिक मैनेजमेंट, औद्योगिक इकाइयों का नियमन, हरित क्षेत्र बढ़ाने और सार्वजनिक परिवहन के सुधार जैसे कदम शामिल होने चाहिए। राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पूरी तरह सक्रिय रहें और वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने के उपाय तुरंत लागू हों।

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