महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन ने दावा किया कि शिवसेना (यूबीटी) सहित विपक्षी सांसद भाजपा से संपर्क में हैं। इससे लोकसभा में भाजपा की संख्या बढ़ सकती है। मानसून सत्र के दौरान यह दावा अहम माना जा रहा है।
New Delhi: संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के साथ संसद की कार्यवाही का आगाज़ हुआ। सत्ताधारी और विपक्षी दलों के नेता सत्र को लेकर अपनी-अपनी रणनीति बना रहे हैं। इस बीच महाराष्ट्र सरकार में जल संसाधन मंत्री और भाजपा नेता गिरीश महाजन ने एक ऐसा दावा किया है जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।
भाजपा के संपर्क में हैं विपक्षी सांसद
गिरीश महाजन ने कहा है कि विपक्ष के कई सांसद भाजपा के संपर्क में हैं। उनका दावा है कि भाजपा की संख्या लोकसभा में जल्द ही और बढ़ सकती है। खास तौर पर शिवसेना (यूबीटी) से जुड़े सांसद भाजपा के संपर्क में हैं। महाजन ने कहा कि पहले चार सांसदों से बातचीत चल रही थी, अब तीन और सांसदों के पार्टी में आने की संभावना है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ये सांसद अलग-अलग विपक्षी दलों से हैं लेकिन अधिकांश शिवसेना (यूबीटी) से हैं।
पंढरपुर मंदिर से दिया बड़ा बयान
गिरीश महाजन रविवार को महाराष्ट्र के प्रसिद्ध पंढरपुर मंदिर में दर्शन करने पहुंचे थे। वहीं पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने विपक्षी सांसदों के भाजपा से संपर्क में होने की बात कही। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका है और केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष एकजुटता दिखाने की कोशिश कर रहा है।
ठाकरे ब्रांड पर गिरीश महाजन का तंज
महाजन ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर सीधा हमला किया। हाल ही में उद्धव ठाकरे ने एक इंटरव्यू में कहा था कि "ठाकरे" केवल एक ब्रांड नहीं है बल्कि यह महाराष्ट्र, मराठी मानुस और हिंदू गौरव का प्रतीक है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए महाजन ने कहा कि ठाकरे ब्रांड अपनी प्रासंगिकता बहुत पहले ही खो चुका है।
उनके अनुसार, बालासाहेब ठाकरे ही शिवसेना के असली नेता थे लेकिन 2019 में जब उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया, तब उन्होंने बालासाहेब की विचारधारा को त्याग दिया। यही वह मोड़ था जब ठाकरे ब्रांड कमजोर हुआ और जनता से उसका जुड़ाव कम होता गया।
2019 के बाद बदली शिवसेना की दिशा
महाजन का इशारा सीधे-सीधे 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद बने शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की ओर था। इस गठबंधन को लेकर शिवसेना को काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी क्योंकि यह पार्टी की मूल विचारधारा से हटने जैसा माना गया था। महाजन ने यही दोहराया कि इस गठबंधन के कारण ही शिवसेना (यूबीटी) की पकड़ कमजोर हुई है और अब उनके सांसद भाजपा से संपर्क साध रहे हैं।