प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल अंबानी को 17 हजार करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड केस में पूछताछ के लिए समन भेजा। पहले उनकी कंपनियों पर छापेमारी हो चुकी है।
Anil Ambani: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अनिल अंबानी को पूछताछ के लिए समन भेजा है। उन्हें 5 अगस्त को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पेश होने को कहा गया है। यह समन 17 हजार करोड़ रुपये के कथित बैंक लोन फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत जारी किया गया है। इससे पहले ईडी ने 24 जुलाई को रिलायंस ग्रुप से जुड़ी कई कंपनियों और व्यक्तियों के परिसरों पर छापेमारी की थी।
मुंबई में 35 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मुंबई में कम से कम 35 लोकेशनों पर छापे मारे। ये छापे रिलायंस ग्रुप की 50 कंपनियों और उनसे जुड़े 25 व्यक्तियों के खिलाफ हुए। एजेंसी ने लोन फ्रॉड और फंड डायवर्जन से जुड़े दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक सबूत जब्त किए। यह कार्रवाई उस समय की गई जब मामले की गहराई से जांच चल रही थी।
CBI की दो एफआईआर बनीं जांच की नींव
इस जांच की शुरुआत केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दर्ज दो एफआईआर के बाद हुई। इन एफआईआर में यह आरोप लगाया गया कि अनिल अंबानी की कंपनियों को 2017 से 2019 के बीच यस बैंक से जो लोन दिए गए, उनमें गंभीर वित्तीय अनियमितताएं थीं। ईडी के अनुसार लोन जारी करने से ठीक पहले यस बैंक के प्रमोटरों को संदिग्ध रूप से बड़ी धनराशि प्राप्त हुई थी। एजेंसी को संदेह है कि यह पूरा लेनदेन रिश्वत और साजिश का हिस्सा हो सकता है।
लोन वितरण में मिली कई खामियां
ईडी की जांच में यह सामने आया कि जिन कंपनियों को लोन दिया गया, उनके वित्तीय स्रोतों की उचित जांच नहीं की गई थी। कई कंपनियों में एक ही निदेशक और पता पाया गया। लोन की फाइलों में आवश्यक दस्तावेज भी नहीं थे। इसके अलावा, कुछ कंपनियां शेल कंपनियों के रूप में सामने आईं, जिन्हें बिना किसी ठोस गारंटी के लोन जारी किए गए। यहां तक कि पुराने कर्ज को चुकाने के लिए नए लोन दिए गए, जो बैंकिंग नियमों का खुला उल्लंघन है।
रिलायंस ग्रुप ने दी प्रतिक्रिया
रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने 26 जुलाई को स्टॉक एक्सचेंज को सूचित करते हुए कहा कि वे जांच एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहे हैं। दोनों कंपनियों ने यह भी स्पष्ट किया कि छापेमारी का उनके रोजमर्रा के कामकाज, वित्तीय स्थिति, निवेशकों, कर्मचारियों या किसी अन्य हितधारक पर कोई असर नहीं पड़ा है।
सेबी और अन्य संस्थाओं की रिपोर्ट भी जांच में शामिल
इस मामले में केवल ईडी ही नहीं बल्कि अन्य वित्तीय नियामकों की भी भूमिका रही है। सेबी (SEBI), नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB), नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी संस्थाओं ने भी अपनी रिपोर्टें ईडी को सौंपी हैं। सेबी की रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) का कॉर्पोरेट लोन पोर्टफोलियो वर्ष 2017-18 के ₹3,742 करोड़ से बढ़कर 2018-19 में ₹8,670 करोड़ हो गया, जो एक असामान्य वृद्धि है और वित्तीय लेनदेन की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है।
पहले भी घोषित किए गए थे फ्रॉड अकाउंट
यह पहली बार नहीं है जब अनिल अंबानी की कंपनियों पर वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लगे हैं। नवंबर 2020 में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) और अनिल अंबानी के खातों को फ्रॉड अकाउंट घोषित किया था। इसके बाद 5 जनवरी 2021 को सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई गई थी, लेकिन 6 जनवरी को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के चलते शिकायत वापस ले ली गई थी। अब एक बार फिर यह मामला प्रमुखता से जांच के दायरे में आ गया है।