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अमेरिकी कंपनियों में भारतीय CEOs का जलवा, H-1B वीज़ा बढ़ोतरी से नहीं रुका करियर

अमेरिकी कंपनियों में भारतीय CEOs का जलवा, H-1B वीज़ा बढ़ोतरी से नहीं रुका करियर

भारतीय टैलेंट की कमाल की छवि अमेरिका में कायम है। H-1B वीजा फीस बढ़ने के बावजूद, टी-मोबाइल ने श्रीनिवास गोपालन को CEO और मोल्सन कूर्स ने राहुल गोयल को प्रेसिडेंट और CEO बनाया। भारतीयों की यह उपलब्धि दिखाती है कि अमेरिकी कंपनियां अभी भी अपनी शीर्ष भूमिकाओं में भारतीय अधिकारियों को प्राथमिकता दे रही हैं।

H-1B वीजा की फीस बढ़ने के बावजूद अमेरिकी कंपनियां भारतीय टैलेंट को शीर्ष पदों पर चुन रही हैं। टी-मोबाइल ने श्रीनिवास गोपालन को 1 नवंबर से CEO और मोल्सन कूर्स ने राहुल गोयल को 1 अक्टूबर से प्रेसिडेंट और CEO नियुक्त किया। गोपालन और गोयल दोनों का अनुभव भारत और विदेशों की बड़ी कंपनियों में रहा है। यह साबित करता है कि अमेरिकी फॉर्च्यून 500 कंपनियां भारतीय पेशेवरों पर भरोसा करती हैं और उन्हें नेतृत्व की जिम्मेदारी दे रही हैं।

श्रीनिवास गोपालन बनेंगे टी-मोबाइल के CEO

IIM अहमदाबाद के पूर्व छात्र श्रीनिवास गोपालन को टेलीकॉम सेक्टर की दिग्गज कंपनी टी-मोबाइल का नया CEO नियुक्त किया गया है। 1 नवंबर से वह कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम संभालेंगे। इससे पहले उन्होंने कंपनी के CFO (Chief Operating Officer) के रूप में जिम्मेदारी निभाई। श्रीनिवास गोपालन ने अपनी उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि टी-मोबाइल का अगला CEO बनकर उन्हें गर्व है। उन्होंने कंपनी की तकनीकी नवाचार और ग्राहकों की सेवा के लिए किए गए कामों की सराहना की।

गोपालन ने अपने करियर की शुरुआत हिंदुस्तान यूनिलीवर में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने भारती एयरटेल, वोडाफोन, कैपिटल वन और डॉयचे टेलीकॉम जैसी कंपनियों में काम किया। इन कंपनियों में उनके योगदान ने लाखों घरों में फाइबर नेटवर्क पहुंचाया और जर्मनी में मोबाइल शेयर में रिकॉर्ड बनाया। टी-मोबाइल में उन्होंने टेक्नोलॉजी, कंज्यूमर और बिजनेस डिवीजन की देखरेख की, साथ ही 5G और AI जैसी नई तकनीकों के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर काम किया।

राहुल गोयल बने मोल्सन कूर्स के CEO

इस बीच शिकागो बेस्ड बेवरेज कंपनी मोल्सन कूर्स ने 49 साल के राहुल गोयल को 1 अक्टूबर से अपना नया प्रेसिडेंट और CEO नियुक्त किया। राहुल गोयल मूल रूप से भारत के हैं और उन्होंने मैसूर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने बिजनेस की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए। उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन और भारत में मोल्सन और कूर्स ब्रांड्स के साथ काम किया और अहम पदों पर अपनी छाप छोड़ी।

राहुल गोयल ने अपने नए पद को लेकर कहा कि वह कंपनी की विरासत को आगे बढ़ाते हुए चुनौतियों का डटकर सामना करेंगे। उनका अनुभव और नेतृत्व क्षमता कंपनी के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।

भारतीय टैलेंट की अमेरिकी कंपनियों में बढ़ती मांग

हाल ही में H-1B वीजा की फीस बढ़कर 100,000 डॉलर कर दी गई है। इससे पहले यह लगभग 5 लाख रुपये होती थी। इसके बावजूद अमेरिकी कंपनियां भारतीय पेशेवरों को बड़े पदों पर नियुक्त कर रही हैं। यह दिखाता है कि भारतीय टैलेंट का महत्व कम नहीं हुआ है।

सिर्फ गोपालन और राहुल ही नहीं, बल्कि भारतीय मूल के कई अन्य पेशेवर भी अमेरिका की कंपनियों में शीर्ष पदों पर हैं। माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्य नडेला और अल्फाबेट के CEO सुंदर पिचाई इसके उदाहरण हैं। अब फॉर्च्यून ग्लोबल 500 की दूसरी कंपनियां भी इसी दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।

भारतीयों के नेतृत्व में कंपनियों का विकास

टॉप भारतीय अधिकारियों के नेतृत्व में कंपनियों ने तकनीकी नवाचार, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और ग्राहक सेवा में बेहतर प्रदर्शन किया है। श्रीनिवास गोपालन और राहुल गोयल ने यह साबित किया कि भारतीय पेशेवरों की योग्यता और नेतृत्व क्षमता किसी भी अंतरराष्ट्रीय कंपनी के लिए महत्वपूर्ण है।

टी-मोबाइल में गोपालन ने नए तकनीकी प्रोजेक्ट्स, डिजिटल बदलाव और ग्राहक सेवा में सुधार लाकर कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। वहीं, राहुल गोयल अपने अनुभव का इस्तेमाल कर मोल्सन कूर्स की ब्रांड वैल्यू और वैश्विक विस्तार को मजबूत करेंगे।

H-1B वीजा बढ़ी फीस का असर

H-1B वीजा की बढ़ी हुई फीस के बावजूद अमेरिकी कंपनियों ने भारतीय पेशेवरों को बड़े पदों पर नियुक्त करना जारी रखा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि टैलेंट और क्षमता का महत्व पैसे से कहीं ज्यादा है।

भारत के पेशेवर अपने तकनीकी ज्ञान, प्रबंधन क्षमता और नेतृत्व कौशल के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त कर रहे हैं। यह भारत के लिए गर्व की बात है कि वैश्विक कंपनियों में भारतीय टैलेंट को उच्च पदों पर रखा जा रहा है।

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