Bank of Baroda (BoB) ने एक बार फिर अपने ग्राहकों के लिए बड़ी अपडेट दी है। बैंक ने MCLR यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट को संशोधित कर दिया है। यह नया बदलाव 12 जुलाई 2025 से लागू होगा।
हालांकि इस बार बदलाव सिर्फ एक रात (overnight) की अवधि वाले एमसीएलआर में किया गया है, बाकी सभी अवधियों के रेट पहले की तरह ही बने रहेंगे। ऐसे में उन ग्राहकों को थोड़ी राहत मिल सकती है, जिनका लोन एक रात के MCLR से जुड़ा है।
MCLR क्या होता है और क्यों है जरूरी?
MCLR वह ब्याज दर होती है जिस पर बैंक अपने ग्राहकों को लोन देता है। यह दर सीधे बैंक के फंड की लागत पर आधारित होती है। बैंक समय-समय पर इसे अपडेट करते हैं, जिससे लोन पर लगने वाली ब्याज दर में बदलाव होता है।
जो ग्राहक MCLR लिंक्ड लोन पर लोन ले चुके हैं, उनकी EMI में बदलाव MCLR में हुए बदलाव के मुताबिक ही होता है।
Bank of Baroda ने बदले केवल Overnight MCLR रेट, बाकी अवधि की दरें
- एक रात (Overnight): 8.15% → 8.10%
- एक महीना: 8.30% → 8.30% (कोई बदलाव नहीं)
- तीन महीने: 8.50% → 8.50% (कोई बदलाव नहीं)
- छह महीने: 8.75% → 8.75% (कोई बदलाव नहीं)
- एक साल: 8.90% → 8.90% (कोई बदलाव नहीं)
बाकी सभी अवधियों की MCLR दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
पिछले महीने भी हुआ था बदलाव
Bank of Baroda ने इससे पहले 12 जून 2025 को भी अपने MCLR रेट में बदलाव किया था। तब बैंक ने एक महीने से लेकर एक साल तक की सभी अवधियों में 5 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी।
जून में की गई बढ़ोतरी के बाद अब जुलाई में एक रात के रेट में कटौती यह इशारा देती है कि बैंक बाजार के संकेतों और रेपो रेट की दिशा को ध्यान में रखकर लोन दरों में संतुलन बना रहा है।
EMI पर क्या असर पड़ेगा?
हालांकि इस बार केवल एक रात की अवधि के MCLR में बदलाव हुआ है, लेकिन अगर भविष्य में अन्य अवधियों पर भी कटौती होती है, तो होम लोन, पर्सनल लोन और बिजनेस लोन वाले ग्राहकों को फायदा हो सकता है।
जो लोग MCLR आधारित लोन चुका रहे हैं, उनके लिए MCLR में गिरावट का मतलब होता है कम EMI या फिर कम ब्याज दर। हालांकि यह बदलाव ग्राहक के रीसेट डेट पर लागू होता है, जो आमतौर पर हर तीन या छह महीने पर होता है।
रेपो रेट कम होने पर क्या होता है असर?
अगर रिजर्व बैंक रेपो रेट में कटौती करता है, तो बैंक की RLLR दरें घट जाती हैं। इससे
- लोन की ब्याज दर घट जाती है
- EMI कम हो सकती है
- ब्याज की कुल राशि में कटौती होती है
- लोन जल्दी खत्म हो सकता है
लेकिन ये फायदे लोन की रीसेट डेट पर मिलते हैं। रीसेट डेट वह समय होता है जब बैंक आपकी ब्याज दरों को दोबारा तय करता है।
EMI घटाना हो तो क्या विकल्प?
अगर ग्राहक EMI को कम करना चाहते हैं, तो वे लोन की अवधि वही रखते हुए EMI घटा सकते हैं। ऐसा करने से मासिक किस्तों का बोझ कम होता है, हालांकि ब्याज की कुल राशि थोड़ी बढ़ सकती है।
जो ग्राहक EMI की संख्या घटाना चाहते हैं, वे मौजूदा EMI दर पर भुगतान करते रहें, ताकि लोन जल्दी खत्म हो।