मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर गिरावट का दौर देखने को मिला। विदेशी बाजारों से मिल रहे कमजोर संकेतों और टैरिफ को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच निवेशकों की धारणा नकारात्मक बनी रही। निफ्टी करीब 73 अंक की गिरावट के साथ 24650 पर बंद हुआ, जबकि सेंसेक्स 300 अंक से ज्यादा गिरकर बंद हुआ।
ट्रेड वॉर की चर्चा अब फिर से तेज हो गई है। अमेरिका की ओर से आयात पर टैरिफ बढ़ाने की बात से वैश्विक निवेशकों में घबराहट है। भारतीय बाजार भी इससे अछूता नहीं रहा। इसका असर मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर भी दिखा, जो दिनभर दबाव में रहे।
बैंकिंग इंडेक्स सबसे ज्यादा दबाव में
बाजार की गिरावट में बैंकिंग सेक्टर का बड़ा योगदान रहा। बैंकिंग इंडेक्स में करीब आधा फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 55400 के स्तर पर बंद हुआ। सोमवार को जहां बाजार में थोड़ी रिकवरी देखने को मिली थी, वहीं मंगलवार को बैंक निफ्टी में कोई खास सुधार नजर नहीं आया।
विशेषज्ञों का कहना है कि बैंकिंग शेयरों में भारी शॉर्ट पोजिशन बनी हुई है, जिससे गिरावट का असर और बढ़ गया है। खासकर सरकारी बैंकों और मिडसाइज प्राइवेट बैंकों में बिकवाली का दबाव ज्यादा देखा गया।
एफआईआई की बिकवाली बनी चिंता की वजह
विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली थमने का नाम नहीं ले रही है। जानकारों के अनुसार, विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकालकर ऐसे देशों में निवेश कर रहे हैं जहां उन्हें बेहतर रिटर्न की उम्मीद दिख रही है। इसका सीधा असर घरेलू बाजार पर पड़ रहा है।
सीएनबीसी आवाज के मैनेजिंग एडिटर अनुज सिंघल के मुताबिक, बाजार का बड़ा ट्रेंड अब कमजोर हो चुका है और जब तक विदेशी निवेशकों की वापसी नहीं होती, तब तक इस तरह की गिरावट आगे भी जारी रह सकती है।
कंपनियों के नतीजे अब तक मिले-जुले
हालांकि कुछ सेक्टर्स में कंपनियों के तिमाही नतीजे अच्छे रहे हैं, लेकिन बाजार को इससे कोई खास राहत नहीं मिली है। आईटी, फार्मा और एफएमसीजी कंपनियों ने ठीक-ठाक प्रदर्शन किया है, लेकिन बैंकिंग, ऑटो और मेटल शेयरों में उम्मीद से कम प्रदर्शन देखने को मिला है।
Complete Circle के मैनेजिंग पार्टनर गुरमीत चड्ढा ने कहा कि बीते कुछ दिनों में जो नतीजे आए हैं, वे संकेत देते हैं कि घरेलू खपत आधारित कंपनियों में स्थिरता है। लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं और टैरिफ से जुड़ी खबरों ने बाजार की धारणा को कमजोर बना दिया है।
टैरिफ को लेकर बढ़ी अनिश्चितता
अमेरिका और चीन के बीच एक बार फिर से टैरिफ को लेकर तनातनी की स्थिति बनती दिख रही है। डोनाल्ड ट्रंप के बयानों ने एक बार फिर से ग्लोबल ट्रेड वॉर की आशंका को बढ़ा दिया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत पर इसका अप्रत्यक्ष असर पड़ेगा और यह असर शेयर बाजार में पहले से दिखने लगा है।
Marcellus Investment Managers के सौरभ मुखर्जी के अनुसार, टैरिफ को लेकर जो माहौल बन रहा है, उससे बाजार में डर बढ़ा है। उन्होंने कहा कि फार्मा सेक्टर फिलहाल बेहतर दिख रहा है क्योंकि यह सेक्टर वैश्विक नीतिगत उतार-चढ़ाव से थोड़ा कम प्रभावित होता है।
ट्रेडर्स के लिए अभी भी अनिश्चित माहौल
मार्केट एनालिस्ट आशीष बहेती ने बताया कि निफ्टी और बैंक निफ्टी दोनों में अभी दबाव बना हुआ है। जब तक कोई स्पष्ट ट्रिगर नहीं मिलता, तब तक बाजार में स्थिरता की उम्मीद नहीं की जा सकती।
उनके मुताबिक अगर बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी रहा, तो जल्द ही निफ्टी 24450 के स्तर तक फिसल सकता है। वहीं बैंक निफ्टी के लिए 55100 का लेवल अहम सपोर्ट बन सकता है। अगर यह स्तर भी टूटता है, तो गिरावट और गहराने की आशंका है।
बाजार में बना है जोखिम का माहौल
बाजार विशेषज्ञों की राय में अभी ओवरनाइट पोजिशन लेना जोखिम भरा हो सकता है। बाजार में बहुत कम ऐसे शेयर हैं जिनमें स्थिरता दिख रही है। ऐसे में ट्रेडर्स छोटे मुनाफे पर फोकस कर रहे हैं और लॉन्ग पोजिशन लेने से बच रहे हैं।
निफ्टी में जो गिरावट आई है, वो पूरे बाजार की धारणा को दर्शा रही है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि बाजार अब सिर्फ कंपनियों के नतीजों पर नहीं, बल्कि वैश्विक घटनाक्रमों पर भी पूरी तरह से निर्भर हो गया है। इसलिए अब छोटी खबरें भी बाजार को झटका देने लगी हैं।