ऑपरेशन सिंदूर में मिली सफलता के बाद भारतीय सेना ब्रह्मोस मिसाइलों का नया ऑर्डर देने जा रही है। वायुसेना और नौसेना अपने प्लेटफॉर्म्स पर इन्हें तैनात करेंगी। पीएम मोदी ने स्वदेशी हथियारों की सराहना की।
Brahmos Missiles: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के रणनीतिक ठिकानों को तहस‑नहस कर दिया था। एयरबेस और आतंकी ठिकानों पर निशाना साधकर केवल चार दिनों में पाकिस्तान को हाथ खड़े करना पड़ा था। इस कारनामे ने वैश्विक स्तर पर भारत के स्वदेशी रक्षा क्षमताओं की ताकत का संदेश भेजा।
नया बड़ा ऑर्डर और उच्च‑स्तरीय बैठक
रक्षा सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन के बाद सेना ने ब्रह्मोस मिसाइलों की धाराप्रवाह खरीद का निर्णय लिया है। जल्द ही उच्च स्तरीय बैठक में इस सौदे पर अंतिम मुहर लग सकती है। इस खरीद से नौसेना और वायुसेना की मारक क्षमता में भारी सुधार होगा।
ब्रह्मोस से लैस पनडुब्बियाँ और लड़ाकू विमान
नौसेना अपनी वीर‑क्लास पनडुब्बियों को ब्रह्मोस से लैस करेगी। वहीं, वायुसेना अपने सुखोई‑30 MKI विमानों में अतिरिक्त ब्रह्मोस मिसाइल तैनात करेगी। इससे एयर डिफेंस और स्ट्राइक ऑपरेशन दोनों की रणनीति मजबूत होगी।
पीएम मोदी की सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर को “स्वदेशी हथियारों की जीत” बताया था। उन्होंने कहा था, “ब्रहमोस, ड्रोन और भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने विश्व स्तर पर दिखाया कि आत्मनिर्भर भारत कितनी ताकतवर है।”
लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों पर प्रहार
ब्रहमोस मिसाइल से पाकिस्तान के पंजाब स्थित लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय को निशाना बनाया गया। यह हमला इतना शक्तिशाली था कि आतंकी ठिकाना पूरी तरह तहस‑नहस हो गया और कई आतंकी ढेर हो गए। इस सफलता ने आतंकवादी साजिशों को ठोस जवाब दिया।
नया प्लान: संभव प्रभाव और चुनौतियाँ
- आपात तत्परता और तत्काल प्रभाव: ब्रह्मोस की गति और सटीकता त्वरित प्रभाव पैदा करती है।
- रणनीतिक संतुलन: कम समय में मिसाइलों की उपलब्धता से रक्षा संतुलन सुनिश्चित होता है।
- रूस-जोड़तोड़: भारत‑रूस संयुक्त वेंचर दोनों देशों के रक्षा संबंधों को और गहरा करता है।