Columbus

GST कटौती से किसानों को बड़ी राहत? ट्रैक्टर और फर्टिलाइजर होंगे सस्ते

GST कटौती से किसानों को बड़ी राहत? ट्रैक्टर और फर्टिलाइजर होंगे सस्ते

GST 2.0 सुधारों से किसानों की खेती की लागत घटने की उम्मीद है, क्योंकि जैव कीटनाशक, उर्वरक और कुछ कृषि इनपुट्स पर कर कम किया गया है। ट्रैक्टरों की कीमतों में भी कमी आई है। वहीं, कन्फेक्शनरी-बेकरी पर टैक्स घटने से चीनी की मांग बढ़ सकती है और सी-फूड उत्पाद सस्ते होने से निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी।

GST Reforms: GST काउंसिल द्वारा हाल में किए गए सुधारों से किसानों और कृषि से जुड़े क्षेत्रों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। कृषि इनपुट्स, जैव कीटनाशकों और उर्वरकों पर कर घटने से खेती की लागत कम होगी, जबकि महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे ट्रैक्टर निर्माताओं ने 50-60 हजार रुपये तक कीमत घटाने की घोषणा की है। साथ ही, फिश ऑयल और मछली उत्पादों पर GST घटकर 5% होने से सी-फूड घरेलू उपभोक्ताओं के लिए सस्ता होगा और निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। कन्फेक्शनरी और बेकरी पर टैक्स घटने से चीनी की मांग में वृद्धि की संभावना है, हालांकि कृषि उपकरणों पर GST कटौती न होने से किसानों की चिंता बरकरार है।

किसानों की लागत पर सीधा असर

हाल के वर्षों में कृषि मशीनरी और इनपुट की कीमतें लगातार बढ़ रही थीं जिससे किसानों की लागत पर भारी दबाव पड़ा। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) के आंकड़ों के अनुसार मई 2023 से नवंबर 2024 के बीच थोक मूल्य सूचकांक में 2.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि कृषि इनपुट का सूचकांक 2.8 प्रतिशत नीचे आया। इससे साफ है कि इनपुट की कीमतें बाजार की गति से मेल नहीं खा पा रही थीं।

अब GST दरों में कटौती के बाद स्थिति में सुधार होगा। जैव कीटनाशक और उर्वरकों पर कर कम किए जाने से किसानों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा। इससे फसल उत्पादन की लागत घटेगी और उनकी आय में अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ोतरी होगी।

ट्रैक्टर और मशीनरी की कीमतों में कमी

महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे बड़े ट्रैक्टर निर्माता कंपनियों ने पहले ही यह घोषणा कर दी है कि GST कटौती का फायदा ग्राहकों को मिलेगा। कंपनी का कहना है कि ट्रैक्टरों की कीमतों में अब 50 हजार से 60 हजार रुपये तक की कमी आएगी। इसका सीधा फायदा किसानों को होगा जो खेती में मशीनरी का ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं।

सी-फूड होगा सस्ता, निर्यातकों को मिलेगा बल

पशुधन मंत्रालय ने जानकारी दी है कि फिश ऑयल, फिश एक्सट्रैक्ट और प्रिजर्व्ड मछली व झींगा उत्पादों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे घरेलू उपभोक्ताओं को सी-फूड सस्ता मिलेगा और निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा क्षमता भी बढ़ेगी।

मछली पकड़ने के जाल, जलीय कृषि इनपुट और समुद्री खाद्य उत्पाद अब केवल 5 प्रतिशत GST के दायरे में आ गए हैं। पहले इन पर 12 से 18 प्रतिशत तक कर लगता था। यह बदलाव मछली पालन और सी-फूड उद्योग के लिए बड़ी राहत है।

चीनी उद्योग को नई उम्मीद

कन्फेक्शनरी और बेकरी उत्पादों पर कर 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किए जाने से चीनी उद्योग में नई उम्मीद जगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे चीनी की खपत बढ़ेगी और उद्योग को मजबूती मिलेगी।

चीनी मिलें पहले से ही उत्पादन लागत और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के दबाव में हैं। ऐसे में घरेलू खपत बढ़ने से उद्योग को राहत मिल सकती है।

पैकेज्ड रोटी पर मिली राहत

फ्लोर मिलर्स का कहना है कि पैकेज्ड रोटी और परांठे पर जीएसटी शून्य कर दिया गया है। हालांकि आटा, मैदा और सूजी के 25 किलो वाले पैकेट पर अभी भी 5 प्रतिशत जीएसटी लागू रहेगा।

रोलर्स फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के नवनीत चितलंगिया का कहना है कि इससे असमानता की स्थिति बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि ज्यादातर भारतीय परिवार घर पर ही रोटी बनाते हैं, लेकिन इस छूट का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा।

कृषि उपकरणों पर राहत नहीं

हालांकि, कृषि उपकरणों पर GST दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। किसान क्राफ्ट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अंकित चितालिया का कहना है कि कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए सभी जरूरी उपकरणों पर कर की दर 5 प्रतिशत करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि GST परिषद को इनपुट टैक्स क्रेडिट को लेकर और स्पष्टता लानी चाहिए ताकि ज्यादा दरों का समायोजन हो सके। दरअसल, इनपुट टैक्स क्रेडिट की जटिलता के कारण उद्योग की नकदी अटक जाती है और वित्त की लागत बढ़ जाती है।

Leave a comment