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Independence Day 2025: 15 अगस्त को ही क्यों चुना गया भारत की आजादी का दिन? जानें वजह

Independence Day 2025: 15 अगस्त को ही क्यों चुना गया भारत की आजादी का दिन? जानें वजह

हर साल 15 अगस्त को पूरा भारत देश गर्व और सम्मान के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाता है। यह दिन सिर्फ एक ऐतिहासिक तारीख नहीं, बल्कि आजादी के लिए लड़ी गई लंबी, संघर्षपूर्ण लड़ाई और अनगिनत बलिदानों का प्रतीक है। 1947 में इसी दिन भारत ने 200 सालों की ब्रिटिश गुलामी से मुक्ति पाई थी। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि आजादी के लिए 15 अगस्त का दिन ही क्यों चुना गया? क्या यह महज एक संयोग था या इसके पीछे कोई रणनीति, कोई ऐतिहासिक महत्व छिपा था?

15 अगस्त 1947: आजादी की सुबह, बंटवारे की स्याही

15 अगस्त 1947 को जब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 'नियति से साक्षात्कार' (Tryst with Destiny) भाषण दिया, उस वक्त देश के एक हिस्से में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था, तो दूसरी ओर पाकिस्तान के बनने के कारण लाखों लोग अपने घरों से उजड़कर सड़कों पर थे। हजारों लोग साम्प्रदायिक हिंसा का शिकार हो चुके थे। इसलिए यह दिन जितना गौरवपूर्ण था, उतना ही पीड़ादायक भी।

आजादी की संभावित तारीख: 30 जून 1948

जब भारत को स्वतंत्र करने की योजना बनी थी, तो ब्रिटिश सरकार की मूल योजना 30 जून 1948 तक भारत को आजाद करने की थी। यह दिन इसलिए चुना गया था ताकि सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया धीरे-धीरे और व्यवस्थित रूप से पूरी की जा सके। लेकिन देश में बढ़ रही सांप्रदायिक हिंसा, मुस्लिम लीग के अलग राष्ट्र की मांग और प्रशासनिक चुनौतियों को देखते हुए यह तारीख बहुत दूर प्रतीत हो रही थी। ब्रिटिश सरकार को यह डर सताने लगा था कि अगर समय रहते भारत को आजादी नहीं दी गई, तो हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे। ऐसे में भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने इस प्रक्रिया को जल्दी पूरा करने का निर्णय लिया और स्वतंत्रता की तारीख पहले खिसकाकर 15 अगस्त 1947 कर दी गई।

लॉर्ड माउंटबेटन की व्यक्तिगत पसंद बनी राष्ट्रीय तारीख

लॉर्ड माउंटबेटन के इस निर्णय के पीछे एक दिलचस्प और व्यक्तिगत कारण भी था। दरअसल, 15 अगस्त 1945 को जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण कर दिया था। यह दिन माउंटबेटन के लिए बेहद खास था क्योंकि वह उस समय दक्षिण-पूर्व एशिया में मित्र देशों की सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर थे और जापानी आत्मसमर्पण में उनकी अहम भूमिका मानी गई थी। माउंटबेटन के शब्दों में, 'मैं नहीं जानता कि भारतीयों ने 15 अगस्त को क्यों स्वीकार किया, लेकिन मेरे लिए यह एक खास दिन था, और मैं चाहता था कि भारत के इतिहास में यह तारीख अमर हो जाए।' इस प्रकार एक व्यक्तिगत पसंद ने भारत के इतिहास की सबसे अहम तारीख बन गई।

इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947

ब्रिटिश संसद में 4 जुलाई 1947 को इंडियन इंडिपेंडेंस बिल प्रस्तुत किया गया। इसे इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट कहा गया, जो 15 अगस्त 1947 से लागू हुआ। इस अधिनियम के तहत भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग स्वतंत्र राष्ट्र बन गए। भारत को डोमिनियन स्टेटस मिला, जिसका अर्थ था कि भारत अब स्वतंत्र है लेकिन ब्रिटिश क्राउन का नाम औपचारिक रूप से बना रहेगा, जब तक कि वह खुद को पूर्ण गणराज्य न घोषित कर दे।

महात्मा गांधी की अनुपस्थिति: मौन में छिपा विरोध

जब देश भर में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था, उस समय भारत की आजादी के सबसे बड़े सेनानी महात्मा गांधी इस जश्न से दूर थे। न तो वह दिल्ली में स्वतंत्रता समारोह में शामिल हुए, न ही कोई भाषण दिया। इसके बजाय वे नोआखली (अब बांग्लादेश में) में हिन्दू-मुस्लिम दंगों को रोकने में लगे हुए थे। उन्होंने नेहरू और पटेल के बुलावे पर जवाब दिया, 'मैं 15 अगस्त को खुशी से नहीं मना सकता। मैं झूठा दिखावा नहीं कर सकता। दुर्भाग्यवश, आजादी के साथ ही बंटवारे की त्रासदी जुड़ी हुई है।' गांधी जी के लिए आजादी से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण था मानवता, भाईचारा और सांप्रदायिक सौहार्द।

विभाजन की कीमत पर मिली आजादी

भारत की आजादी एक बड़ी उपलब्धि थी, लेकिन इसकी कीमत विभाजन के रूप में चुकानी पड़ी। पाकिस्तान का निर्माण एक अलग मुस्लिम राष्ट्र के रूप में हुआ। इसके कारण लाखों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा, हजारों लोग दंगों में मारे गए और महिलाओं के साथ अत्याचार हुआ। इस त्रासदी ने भारत की आजादी को कड़वा स्वाद दे दिया। देश को मिली आजादी खुशी से कहीं अधिक गंभीर आत्ममंथन और दुःख का विषय बन गई।

15 अगस्त: सिर्फ एक तारीख नहीं, जिम्मेदारी का प्रतीक

हर साल जब हम 15 अगस्त को झंडा फहराते हैं और राष्ट्रगान गाते हैं, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि यह दिन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि हमारे कर्तव्यों की याद दिलाने वाला दिन है। आजादी पाने के बाद सच्ची आजादी तब मानी जाएगी जब हम सामाजिक विषमता, भेदभाव, अशिक्षा, गरीबी और अन्याय को भी मिटा पाएंगे।

स्वतंत्रता का सही अर्थ क्या है?

आजादी सिर्फ राजनीतिक सत्ता का हस्तांतरण नहीं होती। इसका मतलब है अपने विचारों की स्वतंत्रता, अपने अधिकारों की रक्षा, अपने कर्तव्यों के प्रति सजगता और हर नागरिक को समान अवसर देना। 15 अगस्त हमें याद दिलाता है कि आजादी कोई अंतिम पड़ाव नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है – एक यात्रा, जो तब तक पूरी नहीं होती जब तक हर नागरिक स्वतंत्र, सुरक्षित और समान न हो।

भारत की आजादी की तारीख के रूप में 15 अगस्त का चयन एक ऐतिहासिक, रणनीतिक और व्यक्तिगत फैसला था। यह वह दिन था जब एक गुलाम देश ने अपनी किस्मत को खुद लिखने का अधिकार पाया। लेकिन यह दिन उन लाखों लोगों की याद भी दिलाता है जिन्होंने अपने प्राण न्योछावर किए ताकि हम खुली हवा में सांस ले सकें।

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