भारतीय सेना ने अपने स्वदेशी सुरक्षित मोबाइल प्लेटफॉर्म ‘संभव’ का इस्तेमाल कर डिजिटल सुरक्षा में नई मिसाल कायम की है। यह एंड-टू-एंड 5G आधारित प्लेटफॉर्म सेना को विदेशी एप्स पर निर्भर हुए बिना सुरक्षित कमांड और कम्युनिकेशन की सुविधा देता है। अब भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के साथ हाई-सिक्योर डिफेंस कम्युनिकेशन क्लब का हिस्सा बन चुका है।
Secure Army Mobile: भारतीय सेना ने जनवरी 2024 में लॉन्च किए गए स्वदेशी मोबाइल प्लेटफॉर्म ‘संभव’ का इस्तेमाल कर दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत अब सुरक्षित संचार तकनीक वाले चुनिंदा देशों में शामिल है। मई 2024 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कमांड और कम्युनिकेशन के मुख्य साधन के रूप में किया गया। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि सेना अब वॉट्सऐप जैसी विदेशी एप्स पर निर्भर नहीं है। यह 5G और मल्टी-लेयर एन्क्रिप्शन तकनीक वाला सिस्टम अधिकारी चलते-फिरते भी सुरक्षित संचार सुनिश्चित करता है।
सुरक्षा और तकनीक का मेल
जनवरी 2024 में लॉन्च हुआ ‘संभव’ आत्मनिर्भर भारत की भावना का प्रतीक है। यह एंड-टू-एंड सुरक्षित मोबाइल प्लेटफॉर्म 5G तकनीक पर आधारित है और मल्टी-लेयर एन्क्रिप्शन से लैस है। इसके जरिए अधिकारी चलते-फिरते सुरक्षित तरीके से कनेक्ट रह सकते हैं और संवेदनशील डॉक्यूमेंट, तस्वीरें या वीडियो बिना किसी रिस्क के आदान-प्रदान कर सकते हैं।
सिस्टम में वॉट्सऐप का स्वदेशी विकल्प M-Sigma शामिल है, जो पूरी तरह सुरक्षित है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल नेटवर्क आसानी से जासूसी और डेटा लीक के शिकार हो सकते हैं, लेकिन ‘संभव’ नेटवर्क-एग्नॉस्टिक डिजाइन के कारण किसी भी परिस्थिति में सुरक्षित संचार सुनिश्चित करता है। इस परियोजना में देश के प्रमुख शैक्षणिक और औद्योगिक संस्थानों की भागीदारी रही।
भारत अब सुरक्षा के वैश्विक क्लब का हिस्सा
अक्टूबर 2024 में चीन के साथ हुई सैन्य वार्ताओं के दौरान भी इस डिवाइस का इस्तेमाल किया गया। वर्तमान में लगभग 30,000 से अधिक डिवाइस सेना के अधिकारियों को उपलब्ध कराए जा चुके हैं। इससे स्पष्ट होता है कि भारतीय सेना अब अपने संचार के लिए पूरी तरह से स्वदेशी और सुरक्षित सिस्टम पर भरोसा कर रही है।
दुनिया में केवल अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के पास ऐसे डिफेंस कम्युनिकेशन सिस्टम हैं और अब भारत भी इस विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया है। ‘संभव’ के आने से सेना की विदेशी एप्स पर निर्भरता खत्म हुई और डेटा सुरक्षा का स्तर कई गुना बढ़ गया। आने वाले समय में यह मेड-इन-इंडिया मोबाइल भारतीय सैन्य ताकत और डिजिटल आत्मनिर्भरता का अहम प्रतीक बन सकता है।