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जेफ्री हिंटन: एआई के गॉडफादर का जीवन, योगदान और चेतावनी 

जेफ्री हिंटन: एआई के गॉडफादर का जीवन, योगदान और चेतावनी 

जब भी हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की बात करते हैं, तो एक नाम निस्संदेह सबसे ऊपर आता है — जेफ्री एवरेस्ट हिंटन। उन्हें दुनिया भर में 'एआई के गॉडफादर' के नाम से जाना जाता है। उनका जीवन, शोध और संघर्ष केवल एक वैज्ञानिक की कहानी नहीं, बल्कि एक ऐसे विचारक की यात्रा है जिसने मशीनों को सोचने की क्षमता देने में निर्णायक भूमिका निभाई, और फिर उसी तकनीक के खतरों को पहचान कर पूरी दुनिया को चेतावनी भी दी।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जेफ्री हिंटन का जन्म 6 दिसंबर 1947 को विंबलडन, इंग्लैंड में हुआ था। वे एक ऐसे परिवार से थे जिसका गहरा संबंध विज्ञान और गणित से रहा है। वे जॉर्ज बूल (बूलियन लॉजिक के जनक) के वंशज हैं और उनके मध्य नाम 'एवरेस्ट' प्रसिद्ध सर्वेयर जनरल जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया है।

हिंटन ने ब्रिस्टल के क्लिफ्टन कॉलेज से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। बाद में, उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्रायोगिक मनोविज्ञान में स्नातक डिग्री प्राप्त की। दिलचस्प बात यह है कि वे शुरुआत में कला, दर्शन और मनोविज्ञान जैसे विषयों के बीच झूलते रहे, परंतु अंततः उनका झुकाव मस्तिष्क और मशीनों के काम करने के तरीके की ओर हुआ। इसके बाद उन्होंने एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से 1978 में कृत्रिम बुद्धिमत्ता में Ph.D. पूरी की।

वैज्ञानिक यात्रा की शुरुआत

ब्रिटेन में फंडिंग की कमी के चलते, हिंटन ने अमेरिका का रुख किया। उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन डिएगो और कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम किया। 1987 में वे कनाडा चले गए, जहाँ उन्होंने टोरंटो विश्वविद्यालय और CIFAR (Canadian Institute for Advanced Research) में काम किया। यहीं उन्होंने अपनी अधिकांश क्रांतिकारी खोजें कीं।

न्यूरल नेटवर्क और बैकप्रोपेगेशन

हिंटन का सबसे चर्चित योगदान बैकप्रोपेगेशन एल्गोरिदम को लोकप्रिय बनाना रहा है। 1986 में उन्होंने डेविड रूमेलहार्ट और रोनाल्ड विलियम्स के साथ मिलकर एक पेपर लिखा, जिसमें मल्टी-लेयर न्यूरल नेटवर्क के प्रशिक्षण की विधि को समझाया गया। हालांकि यह विचार नया नहीं था, लेकिन उनकी प्रस्तुति और परीक्षणों ने इसे मशीन लर्निंग की मुख्यधारा में ला दिया। उनका शोध इस बात पर केंद्रित था कि कैसे एक मशीन बिना मानव निर्देश के डेटा से पैटर्न सीख सकती है, और यहीं से डीप लर्निंग का बीज बोया गया।

एलेक्सनेट और कंप्यूटर विज़न में क्रांति

2012 में, हिंटन और उनके दो छात्रों — एलेक्स क्रिज़ेव्स्की और इल्या सुत्स्केवर — ने मिलकर एलेक्सनेट बनाया। यह एक डीप न्यूरल नेटवर्क था जिसने ImageNet प्रतियोगिता में अन्य सभी मॉडल्स को पीछे छोड़ दिया। एलेक्सनेट की सफलता ने कंप्यूटर विज़न, छवि पहचान और डीप लर्निंग को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया। यही मॉडल बाद में स्वचालित कार, चेहरे की पहचान और हेल्थकेयर एआई की नींव बना।

गूगल और व्यावसायिक पहल

2013 में, हिंटन ने अपने छात्रों के साथ मिलकर DNNresearch Inc. नामक स्टार्टअप की स्थापना की। जल्द ही, Google ने इस स्टार्टअप को अधिग्रहित कर लिया। इसके बाद हिंटन ने अपना समय टोरंटो विश्वविद्यालय और गूगल ब्रेन के बीच बाँटना शुरू किया। वे गूगल के AI शोध दल का अभिन्न हिस्सा बन गए, जहाँ उन्होंने अनेक क्रांतिकारी मॉडल्स के विकास में सहयोग दिया।

कैप्सूल नेटवर्क और फॉरवर्ड-फॉरवर्ड एल्गोरिदम

हिंटन हमेशा से पारंपरिक मॉडल्स से हटकर सोचने में विश्वास रखते थे। 2017 में उन्होंने कैप्सूल नेटवर्क का प्रस्ताव रखा, जो छवियों की आंतरिक संरचना को बेहतर तरीके से समझ सकता है।

2022 में, उन्होंने एक नया 'फॉरवर्ड-फॉरवर्ड एल्गोरिदम' पेश किया, जो पारंपरिक बैकप्रोपेगेशन को हटाकर केवल दो फॉरवर्ड पास का उपयोग करता है — एक सकारात्मक और एक नकारात्मक। यह तकनीक भविष्य में एआई के प्रशिक्षण में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

पुरस्कार और मान्यताएँ

जेफ्री हिंटन को विज्ञान की दुनिया में कई उच्चतम सम्मानों से नवाजा गया है:

  • 2018 ट्यूरिंग पुरस्कार — योशुआ बेंगियो और यान लेकुन के साथ साझा किया गया। इसे कंप्यूटर विज्ञान का नोबेल पुरस्कार माना जाता है।
  • 2024 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार — जॉन हॉपफील्ड के साथ मिलकर तंत्रिका नेटवर्क और मशीन लर्निंग में बुनियादी आविष्कारों के लिए।
  • कनाडा के ऑर्डर ऑफ कम्पैनियन (2018)
  • IEEE जेम्स क्लर्क मैक्सवेल पुरस्कार (2016)

अंतरात्मा की पुकार: एआई का जोखिम और गूगल से इस्तीफ़ा

जहाँ एक ओर हिंटन ने एआई को जन्म दिया, वहीं समय के साथ उन्होंने इसके संभावित खतरों को भी पहचाना। मई 2023 में उन्होंने गूगल से सार्वजनिक रूप से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा, “मैं अब खुलकर बोलना चाहता हूँ कि एआई किस दिशा में जा रहा है और यह कितना खतरनाक हो सकता है।”

उनकी चिंताएँ थीं:

  • तकनीकी बेरोजगारी: एआई लाखों नौकरियाँ खत्म कर सकता है।
  • दुर्भावनापूर्ण दुरुपयोग: एआई हथियार बन सकता है या गलत जानकारी फैला सकता है।
  • अस्तित्व का खतरा: अगर AI खुद को बेहतर बनाता रहा, तो यह मानवता के लिए खतरा बन सकता है।

राजनीतिक विचार और नीति निर्माण में भूमिका

हिंटन समाजवादी विचारधारा के समर्थक हैं। वे मानते हैं कि एआई से उत्पन्न असमानताओं से निपटने के लिए सरकारी हस्तक्षेप और यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी नीतियाँ आवश्यक होंगी। 2024 में उन्होंने कैलिफ़ोर्निया के AI सुरक्षा विधेयक SB 1047 का समर्थन किया, जिसमें एआई मॉडल्स के प्रशिक्षण और तैनाती से पहले जोखिम आकलन की बात की गई थी।

व्यक्तिगत जीवन और चुनौतियाँ

हिंटन का जीवन सिर्फ उपलब्धियों की कहानी नहीं है। उन्होंने कई व्यक्तिगत कठिनाइयों का सामना किया:

  • 19 वर्ष की उम्र में उन्हें पीठ में गंभीर चोट लगी, जिससे बैठना उनके लिए कष्टदायक हो गया।
  • उन्होंने जीवन भर अवसाद से संघर्ष किया।
  • उनकी दो पत्नियों — रोज़लिंड और जैकी — की कैंसर से असमय मृत्यु हो गई।

इन कठिनाइयों के बावजूद, वे वैज्ञानिक शोध में लगे रहे और दुनिया को बेहतर बनाने की दिशा में अपने प्रयास जारी रखे।

एक युगद्रष्टा वैज्ञानिकजेफ्री हिंटन केवल एक वैज्ञानिक नहीं, बल्कि एक विचारक, नैतिक मार्गदर्शक और भविष्यद्रष्टा हैं। उन्होंने मशीनों को सीखना सिखाया, परंतु समय रहते यह भी पहचाना कि वे नियंत्रण से बाहर भी हो सकती हैं। उन्होंने तकनीक को केवल एक उपकरण नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी के रूप में देखा।

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