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मध्य प्रदेश HC का बड़ा फैसला, 130 दिनों की देरी पर तलाक याचिका खारिज

मध्य प्रदेश HC का बड़ा फैसला, 130 दिनों की देरी पर तलाक याचिका खारिज

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने महिला की याचिका खारिज कर दी क्योंकि उसके पूर्व पति ने दूसरी शादी कर ली थी और अपील में 130 दिन की देरी हुई। महिला गुजारा भत्ता के लिए अलग मुकदमा दायर कर सकती है।

भोपाल: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने हाल ही में एक महिला की तलाक याचिका खारिज कर दी। महिला ने पारिवारिक न्यायालय के तलाक के फैसले को चुनौती दी थी, लेकिन उसके पूर्व पति ने दूसरी शादी कर ली थी और अपील में 130 दिनों की देरी हुई थी। अदालत ने कहा कि इस स्थिति में याचिका पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं रह गया है।

उच्च न्यायालय ने तलाक अपील खारिज की

महिला ने पारिवारिक न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने अपील खारिज कर दी, क्योंकि तलाक के आदेश के खिलाफ अपील में 130 दिनों की देरी हुई थी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि उसके पूर्व पति ने दूसरी शादी कर ली है, जिससे अब इस याचिका पर सुनवाई करने का कोई तात्पर्य नहीं है।

हालांकि, न्यायालय ने महिला को यह अधिकार दिया कि वह अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता प्राप्त करने के लिए निचली अदालत में अलग से मुकदमा दायर कर सकती है। अदालत ने कहा कि गुजारा भत्ता पाने के लिए महिला की कानूनी प्रक्रिया अलग से जारी रह सकती है।

तलाक अपील में देरी के कारण याचिका अस्वीकार

अदालत ने बताया कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 15 के तहत तलाक के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की समय सीमा निर्धारित है। यदि इस अवधि में कोई पक्ष अपील दायर करता है और दूसरी शादी करता है, तो कानूनी प्रभाव पड़ता है। लेकिन अपील में देरी होने के कारण, पूर्व पति की दूसरी शादी के बाद अब याचिका पर सुनवाई करना अप्रासंगिक हो गया।

उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अपील पर सुनवाई करने से महिला के वैवाहिक अधिकारों को खतरा हो सकता है, और इसलिए इस याचिका का कोई कानूनी औचित्य नहीं रह गया है।

पति-पत्नी के लिए तलाक में गुजारा भत्ता

गुजारा भत्ता वह आर्थिक सहायता है जो तलाक या कानूनी अलगाव के बाद एक साथी को दूसरे साथी को दिया जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कमजोर साथी सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत कर सके। अदालत गुजारा भत्ता तय करते समय पति-पत्नी की आय, जरूरतें और बच्चों की जिम्मेदारियों को ध्यान में रखती है।

गुजारा भत्ता कई प्रकार का होता है। अस्थायी गुजारा भत्ता तलाक की प्रक्रिया के दौरान दिया जाता है, जबकि स्थायी गुजारा भत्ता तलाक के बाद निर्धारित किया जाता है। कुछ मामलों में, जैसे कि पत्नी का व्यभिचार या आत्मनिर्भर होना, गुजारा भत्ता नहीं दिया जाता।

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