Meta ने 1 करोड़ फर्जी फेसबुक अकाउंट्स हटाए, AI जनित नकली कंटेंट पर कसी लगाम, असली क्रिएटर्स को मिलेगा प्रमोशन और यूजर्स को दिखेगा रियल कंटेंट।
Meta: सोशल मीडिया की दुनिया में तेजी से बढ़ती नकली सामग्री और AI जनित कंटेंट के बीच फेसबुक (Meta) ने बड़ा कदम उठाते हुए लगभग 1 करोड़ फर्जी अकाउंट्स को प्लेटफॉर्म से हटाने की घोषणा की है। यह कदम सिर्फ किसी एक देश या क्षेत्र के लिए नहीं, बल्कि ग्लोबल लेवल पर लिया गया है ताकि फेसबुक को फिर से एक विश्वसनीय और उपयोगी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाया जा सके।
AI वीडियो की बाढ़ और Meta की सख्ती
पिछले कुछ महीनों में फेसबुक पर नकली वीडियो और AI जनित कंटेंट की बाढ़ आ गई थी। कई ऐसे अकाउंट सामने आए थे जो फेमस क्रिएटर्स की नकल कर रहे थे और उनके नाम से AI टूल्स की मदद से फर्जी वीडियो बनाकर पोस्ट कर रहे थे। इससे असली क्रिएटर्स को नुकसान हो रहा था और यूजर्स को भी असत्य जानकारी मिल रही थी। Meta ने इन गतिविधियों को 'स्पैमी बिहेवियर' और 'इनऑथेंटिक एक्टिविटी' करार दिया है और बताया कि 2025 के पहले छह महीनों में 1 करोड़ से ज्यादा ऐसे अकाउंट्स को स्थायी रूप से डिलीट कर दिया गया।
नकल करने वालों पर कड़ी नजर
Meta ने अपने ब्लॉग पोस्ट में साफ किया है कि इन फर्जी अकाउंट्स का मुख्य उद्देश्य फेसबुक के एल्गोरिदम को चकमा देकर अधिक व्यूज, लाइक्स और फॉलोअर्स बटोरना था। ये अकाउंट्स न सिर्फ वीडियो में नकली कंटेंट डाल रहे थे, बल्कि कमेंट सेक्शन में भी बॉट्स की तरह स्पैम फैला रहे थे। इसके अलावा, Meta ने 5 लाख और अकाउंट्स को ‘इनऑथेंटिक बिहेवियर’ के लिए चेतावनी दी है। इन पर स्पैम कमेंट, ऑटोमेटेड लाइक-शेयर और पुराने कंटेंट को बार-बार दोहराने जैसे आरोप लगे हैं।
नया AI डिटेक्शन टूल लॉन्च
Meta ने इस पूरे ऑपरेशन के साथ-साथ एक नई टेक्नोलॉजी भी लॉन्च की है जो किसी भी डुप्लीकेट या चोरी किए गए कंटेंट को पहचान सकती है। अगर कोई अकाउंट किसी दूसरे का वीडियो, फोटो या पोस्ट बिना उचित क्रेडिट के पोस्ट करता है, तो उसकी रीच यानी पहुंच को सीमित कर दिया जाएगा। यह AI-पावर्ड टूल खासतौर पर उन AI कंटेंट फार्म्स के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है जो इंटरनेट से कंटेंट उठाकर उसे दोबारा अपलोड कर रहे हैं — सिर्फ व्यूज और रिवेन्यू के लालच में।
असली क्रिएटर्स को मिलेगा ज्यादा प्रमोशन
Meta का कहना है कि अब असली और ऑरिजिनल कंटेंट बनाने वाले क्रिएटर्स को प्राथमिकता दी जाएगी। जो यूजर्स खुद का कंटेंट बनाएंगे — जैसे कि वीडियो, इमेज या टेक्स्ट — उन्हें फेसबुक पर बेहतर प्रमोशन मिलेगा। इससे न सिर्फ प्लेटफॉर्म पर गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि यूजर्स को भी सटीक और भरोसेमंद जानकारी मिल सकेगी।
यूजर्स की फीड होगी अब ज्यादा रियल
Meta के इस बड़े फैसले का असर यूजर्स के न्यूज फीड पर भी दिखेगा। अब यूजर्स को ज्यादा 'रियल और यूजफुल' कंटेंट दिखेगा, न कि बॉट्स या AI द्वारा तैयार किए गए फर्जी पोस्ट्स। इससे फेसबुक की विश्वसनीयता बढ़ेगी और यूजर एक्सपीरियंस में भी सुधार होगा।
AI कंटेंट का बढ़ता खतरा
AI से बनने वाले फेक वीडियो और पोस्ट्स आज की डिजिटल दुनिया में बड़ी चुनौती बन चुके हैं। कई बार यह कंटेंट इतना रियल लगता है कि आम यूजर को फर्क समझ नहीं आता। यही वजह है कि फेसबुक जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स को अब सख्त कदम उठाने पड़ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर ये रुझान बिना नियंत्रण के बढ़ता रहा, तो सोशल मीडिया की असल पहचान ही खत्म हो सकती है। इसलिए Meta का यह कदम वक्त की मांग है।
फेसबुक का संदेश: नकल नहीं, नवाचार करो
Meta का यह स्पष्ट संदेश है — 'फेसबुक पर वही टिकेगा जो खुद का और असली कंटेंट बनाएगा।' अब नकल करने वाले अकाउंट्स को न सिर्फ डिलीट किया जाएगा, बल्कि उनके द्वारा अपलोड किए गए फेक कंटेंट को भी हटाया जाएगा या उसकी पहुंच घटा दी जाएगी।