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Navratri 2025: मैहर के मां शारदा देवी मंदिर में उमड़े श्रद्धालुओं का सैलाब, आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम

Navratri 2025: मैहर के मां शारदा देवी मंदिर में उमड़े श्रद्धालुओं का सैलाब, आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम

मध्य प्रदेश के मैहर जिले में स्थित मां शारदा देवी मंदिर नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख आकर्षण बन जाता है। त्रिकूट पर्वत की चोटी पर स्थित यह शक्तिपीठ 108 शक्तिपीठों में से एक है और माता सती का हार गिरने की मान्यता के कारण धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। मंदिर में 1080 सीढ़ियां चढ़कर या रोपवे से भक्त देवी के दर्शन कर सकते हैं।

Maa Sharda Devi Temple: मध्य प्रदेश के मैहर जिले में स्थित मां शारदा देवी मंदिर नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण बन जाता है। यह मंदिर त्रिकूट पर्वत की चोटी पर स्थित है और 108 शक्तिपीठों में शामिल है, जहां माता सती का हार गिरने की मान्यता है। श्रद्धालु यहां 1080 सीढ़ियां चढ़कर या रोपवे की सुविधा लेकर देवी के दर्शन करते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में देशभर से भक्त इस मंदिर पहुंचते हैं, जिससे यह स्थान भक्ति और आस्था का प्रमुख केंद्र बन जाता है।

आस्था और मान्यता का केंद्र

मध्य प्रदेश के मैहर जिले में त्रिकूट पर्वत की चोटी पर स्थित मां शारदा देवी का यह मंदिर सनातन परंपरा में विशेष महत्व रखता है। देवी शारदा को विद्या, ज्ञान और बुद्धि की देवी माना जाता है और श्रद्धालुओं का विश्वास है कि जो भी भक्त सच्चे मन से और पूरी श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है।

यह मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता के अनुसार, माता सती का हार इसी स्थान पर गिरा था। यही कारण है कि इस स्थान को ‘मैहर’ यानी ‘मां का हार’ कहा जाता है। धार्मिक महत्व के साथ-साथ मंदिर की प्राकृतिक सुंदरता भी श्रद्धालुओं को बेहद आकर्षित करती है। घने जंगलों और पर्वतीय क्षेत्रों से घिरा यह स्थान एक पवित्र और शांतिपूर्ण माहौल प्रदान करता है, जो भक्तों को आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराता है।

मंदिर तक पहुंचने का मार्ग

मैहर देवी का मंदिर त्रिकूट पर्वत की चोटी पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 1080 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यह यात्रा न केवल शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण होती है, बल्कि आस्था और समर्पण का भी पवित्र अनुभव देती है। कई श्रद्धालु इस यात्रा को आध्यात्मिक साधना के रूप में अपनाते हैं, जिसमें हर कदम पर भक्ति और विश्वास का अहसास होता है।

जो श्रद्धालु सीढ़ियां चढ़ने में असमर्थ हैं, उनके लिए रोपवे की सुविधा उपलब्ध है। इस सुविधा का किराया लगभग ₹170 है और यह भक्तों को आरामदायक और तेज़ी से मंदिर तक पहुंचने में मदद करती है। इसके अलावा, मैहर रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी 6 से 12 किलोमीटर है। स्टेशन से ऑटो, ई-रिक्शा और टैक्सी जैसी यातायात सेवाएं आसानी से उपलब्ध हैं, जिससे हर उम्र के श्रद्धालु माता के दर्शन कर सकते हैं।

मंदिर की विशेषताएँ

मां शारदा देवी, जिन्हें देवी सरस्वती का अवतार माना जाता है, विद्या और ज्ञान की देवी हैं। मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहां भक्तों को आध्यात्मिक यात्रा का अद्भुत अनुभव मिलता है। नवरात्रि के दौरान भक्तों की भीड़ इतनी होती है कि मंदिर का माहौल अत्यंत उत्साहपूर्ण और भक्तिपूर्ण हो जाता है।

मंदिर परिसर में कई धार्मिक आयोजन और भजन-कीर्तन होते हैं, जो भक्तों को देवी की भक्ति में डुबो देते हैं। यहां के पुजारी और मंदिर कर्मचारी श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ध्यान रखते हैं। मंदिर के आसपास की पवित्र वादियाँ और प्राकृतिक सुंदरता भक्तों के अनुभव को और भी समृद्ध बनाती हैं।

नवरात्रि में भक्तों की भीड़

नवरात्रि के पहले दिन से ही भक्तों का सैलाब मंदिर की ओर बढ़ने लगता है। देशभर से लाखों श्रद्धालु यहां माता के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं। मंदिर तक पहुंचने की कठिनाईयों और भीड़ के बावजूद भक्तों का उत्साह और भक्ति भाव असाधारण होता है। हर वर्ष की तरह इस बार भी मंदिर में भारी भीड़ की संभावना है।

भक्त अपनी पारंपरिक पोशाकों में सजकर आते हैं और फूल, हल्दी, केसर और अन्य पूजा सामग्री के साथ देवी की पूजा करते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में विभिन्न भक्ति कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें भक्त भाग लेकर आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।

मंदिर का आध्यात्मिक महत्व

मैहर देवी का यह शक्तिपीठ धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मंदिर केवल पूजा का स्थल नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी है। माता शारदा की पूजा से ज्ञान, विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है। भक्तों का मानना है कि यहां सच्चे मन से की गई आराधना जीवन में सफलता, समृद्धि और सुख-शांति लाती है।

मंदिर परिसर और आसपास का प्राकृतिक वातावरण भी भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कराता है। पर्वतों, हरियाली और शांति से भरा यह स्थान भक्तों के मन और आत्मा को शांति प्रदान करता है।

यात्रा की सुविधाएँ

मंदिर की यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को कई तरह की सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। रोपवे के अलावा, मंदिर के आसपास रहने के लिए होटल, धर्मशाला और भोजनालय उपलब्ध हैं। यात्री और भक्त इन सुविधाओं का लाभ उठाकर आरामदायक यात्रा कर सकते हैं। मंदिर प्रशासन भी श्रद्धालुओं के लिए साफ-सफाई और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखता है

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