10 सितंबर 2025, बुधवार को संकष्टी चतुर्थी और आश्विन कृष्ण पक्ष का तीसरा-चौथा श्राद्ध एक साथ मनाया जाएगा। चंद्रोदय रात 8:06 बजे होगा। शुभ मुहूर्तों में ब्रह्म मुहूर्त 4:31 से 5:18 बजे और विजय मुहूर्त 2:23 से 3:12 बजे शामिल हैं, जबकि राहुकाल 12:18 से 1:51 बजे तक रहेगा।
Panchang: 10 सितंबर 2025 को बुधवार को संकष्टी चतुर्थी और आश्विन कृष्ण पक्ष की तृतीया एवं चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ रही है। तीसरा और चौथा श्राद्ध भी इस दिन मनाया जाएगा। चंद्रोदय रात 8:06 बजे होगा। प्रमुख शुभ मुहूर्तों में ब्रह्म मुहूर्त 4:31 से 5:18 बजे और विजय मुहूर्त 2:23 से 3:12 बजे शामिल हैं, जबकि राहुकाल 12:18 से 1:51 बजे तक रहेगा। संकष्टी चतुर्थी पूजा सुबह-शाम किसी भी समय की जा सकती है।
तिथि का समय और विवरण
10 सितंबर को तृतीया तिथि दोपहर 3:39 बजे तक रहेगी। इसके बाद चतुर्थी तिथि प्रारम्भ होगी। चतुर्थी तिथि अगले दिन, 11 सितंबर 2025 को दोपहर 12:45 बजे समाप्त होगी। संकष्टी चतुर्थी व्रत के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पूजा सुबह या शाम किसी भी समय की जा सकती है, लेकिन रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद विशेष महत्व है। इस दिन चंद्रोदय रात 8:06 बजे होगा।
संकष्टी चतुर्थी पूजा
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। भक्त दिन में किसी भी समय गणेश जी की पूजा कर सकते हैं। पूजा के बाद रात में चंद्रमा के दर्शन करना व्रत का मुख्य हिस्सा है। इस दिन उपवास और विशेष प्रसाद बनाना भी परंपरा का हिस्सा है।
शुभ मुहूर्त 10 सितंबर 2025
- ब्रह्म मुहूर्त: 4:31 AM से 5:18 AM
- प्रातः संध्या: 4:55 AM से 6:04 AM
श्राद्ध का मुहूर्त
10 सितंबर को पितृ पक्ष का तीसरा और चौथा श्राद्ध भी मनाया जाएगा। इसके लिए शुभ मुहूर्त निम्न प्रकार हैं:
- कुतुप मुहूर्त: 11:53 AM से 12:43 PM, अवधि 50 मिनट।
- रौहिण मुहूर्त: 12:43 PM से 1:33 PM, अवधि 50 मिनट।
- अपराह्न काल: 1:33 PM से 4:02 PM, अवधि 2 घंटे 30 मिनट।
अभिजित मुहूर्त: कोई नहीं
- विजय मुहूर्त: 2:23 PM से 3:12 PM
- गोधूलि मुहूर्त: 6:32 PM से 6:55 PM
- सायाह्न संध्या: 6:32 PM से 7:41 PM
- अमृत काल: 1:51 PM से 3:19 PM
- निशिता मुहूर्त: 11:55 PM से 12:41 AM (11 सितंबर)
अशुभ मुहूर्त
- राहुकाल: 12:18 PM से 1:51 PM
- यमगंड: 7:37 AM से 9:11 AM
- गुलिक काल: 10:44 AM से 12:18 PM
- दुर्मुहूर्त: 11:53 AM से 12:43 PM
- गंड मूल: पूरे दिन
अन्य पंचांग विवरण
- भद्रा: 6:04 AM से 3:37 PM
- बाण चोर: 10:01 PM से पूर्ण रात्रि तक
- पंचक: 6:04 AM से 4:03 PM
संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजा भगवान गणेश को प्रसन्न करने का अवसर देती है। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। वहीं पितृ पक्ष में किए जाने वाले श्राद्ध कर्म पूर्वजों के प्रति सम्मान और आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम होते हैं। तीसरा और चौथा श्राद्ध विशेष रूप से पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है।