फ्रांस ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता देने का फैसला किया है। अमेरिका और इज़राइल ने इस पर नाराज़गी जताई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह प्रस्ताव पेश किया जाएगा।
France: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की घोषणा कर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में नया मोड़ ला दिया है। यह घोषणा ऐसे समय पर आई है जब गाजा पट्टी में इज़राइल और हमास के बीच संघर्ष जारी है और हजारों आम नागरिक मानवीय संकट का सामना कर रहे हैं। मैक्रों के इस फैसले को फिलिस्तीन के पक्ष में एक बड़े समर्थन के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही अमेरिका और इज़राइल की तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई है।
अमेरिका ने फैसले को बताया लापरवाही
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने इस घोषणा की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र महासभा में राज्य की मान्यता देना हमास के दुष्प्रचार को बढ़ावा देगा। उन्होंने इसे 7 अक्टूबर को मारे गए इज़रायली नागरिकों के प्रति अपमान बताया और कहा कि यह फैसला शांति प्रयासों को कमजोर करेगा। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि यह कदम मध्य पूर्व की स्थिरता के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
नेतन्याहू ने जताई नाराज़गी
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फ्रांस के इस फैसले को एक "गंभीर भूल" करार दिया। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन देशों द्वारा किया जा रहा है जो अपने ही क्षेत्रों में स्वतंत्रता की सीमाओं को स्वीकार नहीं करते। नेतन्याहू ने यह भी आरोप लगाया कि मैक्रों हमास जैसे सशस्त्र गुटों की गतिविधियों की अनदेखी कर रहे हैं। इज़राइल का मानना है कि यह फैसला उनके सुरक्षा हितों को कमजोर कर सकता है और क्षेत्र में अस्थिरता को बढ़ावा देगा।
गाजा में बिगड़ते हालात और वार्ता की विफलता
फ्रांस की यह घोषणा ऐसे समय पर सामने आई है जब कतर की राजधानी दोहा में चल रही युद्धविराम वार्ता विफल हो चुकी है। अमेरिका और इज़राइल ने वार्ता से हटने की घोषणा कर दी है। अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने हमास पर सद्भावना की कमी का आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिका अब विकल्पों पर पुनर्विचार करेगा। वार्ता में कोई ठोस समाधान सामने न आने से क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है।
मैक्रों का मानवीय पहलुओं पर जोर
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने स्पष्ट किया कि उनका निर्णय राजनीतिक कम और मानवीय अधिक है। उन्होंने कहा कि गाजा में जारी मानवीय संकट को देखते हुए यह ज़रूरी हो गया है कि फिलिस्तीन को अधिकार और मान्यता दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से पेश किया जाएगा। मैक्रों ने यह भी जोड़ा कि उनका उद्देश्य गाजा में युद्धविराम लाना और आम नागरिकों की जान बचाना है।