देश में रियल एस्टेट सेक्टर को बैंकों द्वारा दिया गया कर्ज बीते चार सालों में लगभग दोगुना हो गया है। वित्त वर्ष 2024-25 के आखिर तक बैंकों का रियल एस्टेट को कुल कर्ज 35.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह जानकारी रियल एस्टेट सलाहकार कंपनी कोलियर्स इंडिया की रिपोर्ट में सामने आई है। कंपनी ने देश की टॉप 50 सूचीबद्ध रियल एस्टेट कंपनियों के वित्तीय दस्तावेजों और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के आधार पर यह विश्लेषण किया है।
वित्त वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा करीब 17.8 लाख करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 35.4 लाख करोड़ हो गया है। यानी महज चार साल में बैंकों की तरफ से दिए गए कर्ज में लगभग सौ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
कुल बैंकिंग कर्ज में भी जबरदस्त बढ़त
कोलियर्स इंडिया के मुताबिक, सिर्फ रियल एस्टेट ही नहीं, बल्कि समूचे बैंकिंग सेक्टर में भी कर्ज वितरण तेजी से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2020-21 में बैंकों का कुल कर्ज 109.5 लाख करोड़ रुपये था, जो अब 2024-25 में बढ़कर 182.4 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसमें से लगभग पांचवां हिस्सा अब रियल एस्टेट सेक्टर के पास है। यह आंकड़ा बताता है कि बैंकिंग व्यवस्था को रियल एस्टेट सेक्टर में अब पहले से कहीं ज्यादा भरोसा है।
मजबूत हो रही है कंपनियों की माली हालत
रिपोर्ट यह भी बताती है कि महामारी के बाद रियल एस्टेट सेक्टर ने खुद को तेजी से संभाला है और अब वित्तीय दृष्टि से पहले से ज्यादा मजबूत नजर आ रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 में जहां सिर्फ 23 प्रतिशत रियल एस्टेट कंपनियां अच्छा मुनाफा कमा पा रही थीं, वहीं 2024-25 में यह आंकड़ा बढ़कर 62 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
इसके अलावा, 60 प्रतिशत से ज्यादा कंपनियों का ऋण और इक्विटी का अनुपात 0.5 से नीचे है, जो कि किसी भी कंपनी की वित्तीय सेहत का अच्छा संकेत होता है। इसका मतलब है कि इन कंपनियों पर बहुत अधिक कर्ज नहीं है और वे अपनी इक्विटी से ही अपने कारोबार को संभाल पा रही हैं।
बैंकिंग सेक्टर का भरोसा क्यों बढ़ा
कोलियर्स इंडिया के सीईओ बादल याग्निक के अनुसार, रियल एस्टेट सेक्टर ने बीते वर्षों में कई बाहरी झटकों के बावजूद बेहतर प्रदर्शन किया है। आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक, वेयरहाउसिंग, रिटेल और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों में मांग और आपूर्ति के बीच बेहतर संतुलन बना है। इसी वजह से बैंकों को अब इस सेक्टर में डूबत कर्ज का जोखिम कम दिखाई देता है।
औद्योगिक और गोदाम स्पेस की मांग में जबरदस्त उछाल
रियल एस्टेट सेक्टर के भीतर औद्योगिक और वेयरहाउसिंग सेगमेंट में भी तेजी से विकास हो रहा है। ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स कंपनियों की मांग के चलते देश के आठ प्रमुख शहरों में औद्योगिक स्पेस और गोदामों की मांग में भारी इजाफा देखने को मिला है। साल 2025 की पहली छमाही में पट्टे पर ली गई जगह 63 प्रतिशत बढ़कर 27.1 मिलियन वर्ग फुट तक पहुंच गई।
सीबीआरई की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पूरे स्पेस में से 32 प्रतिशत हिस्सेदारी थर्ड पार्टी लॉजिस्टिक्स यानी 3पीएल कंपनियों के पास रही, जबकि ई-कॉमर्स कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़कर 25 प्रतिशत हो गई। इन दोनों क्षेत्रों में मांग तेजी से बढ़ रही है और इसके चलते रियल एस्टेट कंपनियों को अधिक निवेश और मुनाफे के मौके मिल रहे हैं।
तीन बड़े शहरों का दबदबा
जनवरी से जून 2025 के बीच हुए इस भारी मांग में तीन बड़े शहरों बेंगलुरु, चेन्नई और मुंबई का योगदान सबसे अधिक रहा। इन तीनों शहरों ने कुल सप्लाई का 57 प्रतिशत हिस्सा दिया। यह बताता है कि मेट्रो शहरों में औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स सेक्टर तेजी से विस्तार कर रहे हैं।
बदलाव की ओर बढ़ रहा रियल एस्टेट
जहां एक ओर बैंकों का रियल एस्टेट सेक्टर में भरोसा बढ़ा है, वहीं दूसरी ओर कंपनियों ने भी अपने कारोबारी मॉडल और वित्तीय प्लानिंग को बेहतर किया है। पहले जहां रियल एस्टेट कंपनियों को लेकर बैंकों में अनिश्चितता रहती थी, अब पारदर्शिता, नियामकीय सुधार और तकनीकी समावेशन ने इस सेक्टर की साख को बढ़ाया है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अब रियल एस्टेट कंपनियां कर्ज पर कम निर्भर हो रही हैं और अपने प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा कर रही हैं। इससे ग्राहक और निवेशकों दोनों का भरोसा बढ़ा है।