स्पीच थेरेपिस्ट पर 6 साल की बच्ची के प्राइवेट पार्ट छूने का आरोप, पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार
दिल्ली के रोहिणी में 32 वर्षीय स्पीच थेरेपिस्ट पर 6 साल की बच्ची के प्राइवेट पार्ट छूने का गंभीर आरोप लगा। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और मेडिकल जांच एवं वीडियो साक्ष्यों के आधार पर मामला दर्ज किया गया है।
नई दिल्ली: रोहिणी मुस्तफाबाद में 32 वर्षीय स्पीच थेरेपिस्ट पर 6 साल की बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है। घटना 6 सितंबर को उस समय सामने आई, जब बच्ची क्लास से लौट रही थी। बच्ची बोलने में असमर्थ है और उसके असामान्य व्यवहार को देखकर मां ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। काउंसलिंग और मेडिकल जांच में बच्ची ने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया कि थेरेपिस्ट ने उसके सीने और प्राइवेट पार्ट्स को छूने का प्रयास किया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर पॉक्सो समेत कई धाराओं में मामला दर्ज किया और जांच शुरू कर दी है।
पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार
पुलिस ने बताया कि बच्ची की मां ने तुरंत समयपुर बादली थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी स्पीच थेरेपिस्ट पर गंभीर आरोप लगने के कारण उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने बच्ची के बयान, मां के बयान और उपलब्ध वीडियो साक्ष्यों के आधार पर मामला दर्ज किया है।
सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि आरोपी के खिलाफ सभी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपी को जल्द ही कोर्ट में पेश किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के मामलों में तुरंत कार्रवाई करना अत्यंत जरूरी है, ताकि पीड़ित बच्ची की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
काउंसलिंग में सामने आया सच
बच्ची को सरकारी अस्पताल में काउंसलिंग के लिए लाया गया, जहां उसने आरोपी स्पीच थेरेपिस्ट पर गंभीर आरोप लगाए। काउंसलिंग के दौरान बच्ची ने बताया कि थेरेपिस्ट उसके सीने और गुप्तांगों को अनुचित तरीके से छूता था। इससे पहले बच्ची बोलने में असमर्थ थी, लेकिन काउंसलिंग और विशेषज्ञों की मदद से वह अपने अनुभव साझा कर सकी।
मेडिकल जांच और विशेषज्ञों की रिपोर्ट भी आरोपों की पुष्टि करती है। पुलिस ने बताया कि सभी उपलब्ध साक्ष्यों का अध्ययन किया जा रहा है और आरोपी के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है।
बच्ची मामले ने परिवार और समाज में चिंता बढ़ाई
इस मामले ने न केवल बच्ची के परिवार में शोक और आक्रोश पैदा किया है, बल्कि स्थानीय समाज में भी चिंता और भय का माहौल पैदा कर दिया है। अभिभावक यह सवाल कर रहे हैं कि ऐसे संवेदनशील पेशे में लगे लोग बच्चों की सुरक्षा के प्रति कितने जिम्मेदार हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों के साथ काम करने वाले पेशेवरों की पृष्ठभूमि और प्रमाण पत्रों की जांच आवश्यक है। इसके अलावा, माता-पिता को बच्चों के व्यवहार में किसी भी असामान्य बदलाव पर तुरंत ध्यान देना चाहिए और समय पर कार्रवाई करनी चाहिए।