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स्पेस टेक्नोलॉजी में ऑस्ट्रेलिया को झटका, हाइब्रिड इंजन वाला पहला रॉकेट एरिस लॉन्च के 14 सेकंड बाद ध्वस्त

स्पेस टेक्नोलॉजी में ऑस्ट्रेलिया को झटका, हाइब्रिड इंजन वाला पहला रॉकेट एरिस लॉन्च के 14 सेकंड बाद ध्वस्त

ऑस्ट्रेलिया का पहला स्वदेशी रॉकेट एरिस, लॉन्च के 14 सेकंड बाद क्रैश हो गया। कंपनी ने इसे आंशिक सफलता बताया। रॉकेट चार हाइब्रिड इंजन से लैस था। कोई हताहत नहीं हुआ।

Australia Eriss Rocket: ऑस्ट्रेलिया के स्पेस मिशन में एक नई शुरुआत का प्रतीक माने जा रहे पहले स्वदेशी रूप से निर्मित कक्षीय प्रक्षेपण यान 'एरिस' (Eris) की उड़ान मात्र 14 सेकंड में विफल हो गई। यह प्रक्षेपण क्वींसलैंड राज्य के बोवेन क्षेत्र में स्थित एक स्पेसपोर्ट से बुधवार सुबह किया गया था। इस मिशन को गिलमोर स्पेस टेक्नोलॉजीज (Gilmour Space Technologies) नामक निजी कंपनी ने अंजाम दिया।

छोटा उपग्रह ले जाने के लिए था डिजाइन

एरिस रॉकेट को खास तौर पर छोटे उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा (Low Earth Orbit) में स्थापित करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया था। यह 23 मीटर लंबा और आधुनिक तकनीक से लैस एक 'हाइब्रिड-प्रोपेल्ड इंजन' युक्त रॉकेट है। इस रॉकेट की पहली टेस्ट फ्लाइट को ऑस्ट्रेलिया के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा था।

उड़ान के 14 सेकंड में दुर्घटना

रॉकेट के लॉन्च के तुरंत बाद ऑस्ट्रेलियाई मीडिया द्वारा जारी किए गए वीडियो में देखा गया कि रॉकेट लॉन्च टावर से उठता है और फिर कुछ ही क्षणों बाद हवा में मंडराने लगता है। थोड़ी ही देर में वह आंखों से ओझल हो गया और घटनास्थल से धुएं का गुबार उठने लगा। कंपनी ने बाद में बयान जारी करते हुए पुष्टि की कि रॉकेट का उड़ान समय 14 सेकंड रहा, जबकि उसके सभी चार हाइब्रिड-प्रोपेल्ड इंजन 23 सेकंड तक कार्यरत रहे।

लॉन्च को बताया 'आंशिक सफलता'

गिलमोर स्पेस टेक्नोलॉजीज ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर पोस्ट करते हुए इस मिशन को 'सफल' बताया। कंपनी ने स्पष्ट किया कि इस पहली उड़ान में कई तकनीकी पहलुओं का परीक्षण किया गया और इंजन की क्षमता तथा अन्य प्रणालियों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया। हालांकि रॉकेट का नियंत्रण 14 सेकंड के बाद खो दिया गया जिससे उड़ान अधूरी रह गई।

कोई हताहत नहीं, सुरक्षा मानकों की सराहना

इस हादसे के बावजूद एक राहत की बात यह रही कि इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। स्पेसपोर्ट और लॉन्च स्थल पर सभी सुरक्षा मानकों का पालन किया गया था जिससे किसी तरह की जनहानि नहीं हुई। कंपनी ने कहा कि यह परीक्षण चरण का हिस्सा था और ऐसे परीक्षणों के माध्यम से ही कमियों की पहचान कर भविष्य की उड़ानों को अधिक सुरक्षित और सफल बनाया जा सकता है।

 

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