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सुप्रीम कोर्ट आज करेगा गुजरात के वनतारा में हाथियों की अवैध कैद पर सुनवाई, एसआईटी की रिपोर्ट पर होगी चर्चा

सुप्रीम कोर्ट आज करेगा गुजरात के वनतारा में हाथियों की अवैध कैद पर सुनवाई, एसआईटी की रिपोर्ट पर होगी चर्चा

सुप्रीम कोर्ट आज, सोमवार को गुजरात के जामनगर स्थित वनतारा वन्यजीव केंद्र में कथित अवैध वन्यजीव हस्तांतरण और हाथियों की अवैध कैद की गहन जांच की मांग संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई दोबारा शुरू करने जा रहा है।

नई दिल्ली: भारत का सर्वोच्च न्यायालय सोमवार, 15 सितंबर 2025 को गुजरात के जामनगर स्थित वनतारा वन्यजीव केंद्र में हाथियों की अवैध कैद और अन्य गंभीर अनियमितताओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा। यह मामला देशभर में वन्यजीव संरक्षण और संवैधानिक जिम्मेदारियों के पालन से जुड़ा होने के कारण व्यापक चर्चा का विषय बन गया है। 

अदालत ने पहले ही विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर जांच के आदेश दिए थे, जिसकी रिपोर्ट 12 सितंबर को प्रस्तुत की गई। अब न्यायालय इस रिपोर्ट की समीक्षा कर आगे की प्रक्रिया तय करेगा।

क्या है मामला?

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि वनतारा केंद्र में हाथियों को उनके प्राकृतिक आवास से हटाकर अवैध रूप से कैद में रखा गया है। साथ ही, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन और नियामकीय संस्थाओं की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस केंद्र में वन्यजीवों के साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा है, और यह केंद्र पर्यावरण व वन्यजीव संरक्षण के मूल उद्देश्य के खिलाफ है। अदालत ने प्रारंभिक सुनवाई में पाया कि आरोप गंभीर हैं और व्यापक जांच आवश्यक है।

एसआईटी का गठन और उसकी भूमिका

25 अगस्त 2025 को जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्न बी. वराले की पीठ ने जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था। इसका उद्देश्य आरोपों की गहराई से पड़ताल करना है। एसआईटी केवल अदालत की सहायता के लिए तथ्य-खोजी जांच करेगी, न कि किसी वैधानिक संस्था या वनतारा के खिलाफ पूर्वधारणा बनाकर कार्रवाई करेगी। एसआईटी में शामिल प्रमुख सदस्य निम्नलिखित हैं:

  • सेवानिवृत्त जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर, सुप्रीम कोर्ट
  • जस्टिस राघवेंद्र चौहान, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, उत्तराखंड एवं तेलंगाना उच्च न्यायालय
  • हेमंत नागराले, पूर्व पुलिस आयुक्त, मुंबई
  • अनिश गुप्ता, वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी

इन सदस्यों की विशेषज्ञता और निष्पक्षता को देखते हुए यह जांच विश्वसनीय मानी जा रही है। अदालत ने एसआईटी को 12 सितंबर तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था, जिसे बंद लिफाफे में सौंपा गया। रिपोर्ट के साथ एक पेन ड्राइव भी शामिल है, जिसमें जांच से संबंधित डिजिटल साक्ष्य रखे गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुनवाई के दौरान पीठ ने स्पष्ट किया कि यह जांच केवल तथ्य जुटाने के लिए है, ताकि अदालत को उचित निर्णय लेने में मदद मिल सके। पीठ ने कहा, यह प्रक्रिया किसी भी वैधानिक प्राधिकरण या निजी उत्तरदाता—वनतारा—के कार्यों पर संदेह जताने के रूप में नहीं समझी जाएगी। यह अदालत की सहायता के लिए एक तथ्य-खोजी प्रक्रिया है।

इसके साथ ही, अदालत ने 15 सितंबर 2025 को अगली सुनवाई की तारीख तय की है, जिसमें एसआईटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का परीक्षण किया जाएगा और आगे की प्रक्रिया पर निर्णय लिया जाएगा।

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