दिल्ली स्थित स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर न केवल भव्य स्थापत्य और नक्काशी का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, शिक्षा, आध्यात्मिकता और सामाजिक सेवा का प्रमुख स्थल है, जो देश-विदेश में अपनी विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध है।
Akshardham: भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित स्वामीनारायण अक्षरधाम न केवल एक भव्य मंदिर है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का जीता-जागता प्रतीक भी है। यह मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थित है और अपनी भव्यता, कला, वास्तुकला और आधुनिक तकनीकी प्रदर्शनियों के कारण देश-विदेश में मशहूर है। अक्षरधाम केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह दर्शन, शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक सेवा का केंद्र भी है।
मंदिर का इतिहास और स्थापना
अक्षरधाम मंदिर का निर्माण बीएपीएस (भक्ति आश्रम परमार्थ समिति) द्वारा किया गया। यह मंदिर प्रमुख स्वामी महाराज के मार्गदर्शन में और योगीजी महाराज के विजन के अनुसार स्थापित किया गया। दिल्ली अक्षरधाम, अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित बीएपीएस अक्षरधाम के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बीएपीएस मंदिर है।
इस परिसर का उद्घाटन 6 नवंबर 2005 को किया गया, जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, और नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने भाग लिया। उद्घाटन समारोह में लगभग 25,000 मेहमान उपस्थित थे। उद्घाटन के दौरान प्रमुख स्वामी महाराज ने इस मंदिर को भारत और विश्व के लिए एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मील का पत्थर बताया।
वास्तुकला और निर्माण
अक्षरधाम मंदिर का निर्माण मारू-गुर्जर वास्तुकला शैली में किया गया है, जो पारंपरिक भारतीय मंदिरों की कला को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ता है। इस मंदिर की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- मंदिर की ऊँचाई 43 मीटर, चौड़ाई 96 मीटर और लंबाई 109 मीटर है।
- इसमें 234 नक्काशीदार स्तंभ, नौ गुंबद और असंख्य मूर्तियाँ हैं।
- मुख्य गुंबद के नीचे स्वामीनारायण की 3.4 मीटर ऊँची प्रतिमा अभयमुद्रा में विराजमान है।
- मंदिर का निर्माण राजस्थानी गुलाबी बलुआ पत्थर और इतालवी कैरारा संगमरमर से किया गया है।
मंदिर का निर्माण बिना किसी स्टील या लोहे के सहारे के किया गया, जो इसे स्थापत्य विज्ञान और शिल्प कौशल का एक अद्वितीय उदाहरण बनाता है। मंदिर की नींव इतनी मजबूत है कि इसे 1.5 मीटर मोटे कंक्रीट और पांच मिलियन पकी हुई ईंटों से सुरक्षित बनाया गया।
प्रमुख आकर्षण
अक्षरधाम परिसर में केवल मंदिर ही नहीं, बल्कि कई दर्शनीय स्थल और आधुनिक तकनीक से युक्त प्रदर्शनियाँ भी हैं।
1. सहजानंद दर्शन (मूल्यों का हॉल)
यह हॉल स्वामीनारायण के जीवन और उनके सिद्धांतों को प्रदर्शित करता है। 15 त्रि-आयामी डायोरमा रोबोटिक्स, फाइबर ऑप्टिक्स और संगीत का उपयोग करते हुए अहिंसा, शाकाहार, प्रार्थना, नैतिकता और पारिवारिक सद्भाव जैसे विषयों को दर्शाते हैं। हॉल में स्वामीनारायण के बाल रूप का एनिमेट्रोनिक रोबोट भी रखा गया है, जिसे दुनिया का सबसे छोटा रोबोट माना जाता है।
2. नीलकंठ दर्शन (रंगमंच)
यह थिएटर 26 x 20 मीटर की स्क्रीन के साथ दिल्ली की सबसे बड़ी स्क्रीन में से एक है। इसमें स्वामीनारायण की किशोरावस्था में भारत भर की सात साल की तीर्थयात्रा का वर्णन करने वाली 40 मिनट की फ़िल्म नीलकंठ यात्रा दिखाई जाती है। इस फिल्म का अंतर्राष्ट्रीय संस्करण मिस्टिक इंडिया के नाम से आईमैक्स थिएटरों में भी प्रदर्शित किया गया।
3. संस्कृति विहार (नाव की सवारी)
संस्कृति विहार में दर्शक 12 मिनट की नाव की सवारी के माध्यम से भारत के वैदिक काल, इतिहास और सांस्कृतिक विरासत की यात्रा पर जाते हैं। इसमें रोबोटिक तकनीक और आदमकद आकृतियों का उपयोग किया गया है।
4. संगीतमय फव्वारा
यज्ञपुरुष कुंड या म्यूजिकल फाउंटेन, भारत की सबसे बड़ी बावड़ी है। इसमें 24 मिनट की मल्टीमीडिया प्रस्तुति होती है जिसमें लेजर लाइटिंग, वीडियो प्रोजेक्शन, पानी के जेट और लाइव कलाकार शामिल हैं। यह प्रस्तुति केना उपनिषद की कहानी पर आधारित है।
5. भारत उपवन (गार्डन)
इस उद्यान में लॉन, पेड़ और झाड़ियाँ हैं। इसमें भारत के इतिहास में योगदान देने वाले महान लोगों, स्वतंत्रता सेनानियों और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों की कांस्य प्रतिमाएँ स्थापित हैं।
6. अतिरिक्त सुविधाएँ
- नीलकंठ अभिषेक: भक्तजन इस मूर्ति पर जल चढ़ाकर प्रार्थना करते हैं।
- नारायण सरोवर: मुख्य स्मारक के चारों ओर स्थित झील, जिसमें 151 पवित्र नदियों और झीलों का पानी इकट्ठा किया गया है।
- प्रेमवती आहारगृह: शाकाहारी भोजनालय, जो अजंता और एलोरा गुफाओं की वास्तुकला से प्रेरित है।
- आर्ष केंद्र (AARSH): सामाजिक और पारंपरिक अनुसंधान के लिए शोध केंद्र।
निर्माण प्रक्रिया और चुनौतियाँ
अक्षरधाम के निर्माण के लिए लगभग 7,000 नक्काशीकारों और 3,000 स्वयंसेवकों ने कार्य किया। राजस्थान से लाए गए 6,000 टन गुलाबी बलुआ पत्थर के लिए विभिन्न स्थानों पर कार्यशालाएँ स्थापित की गईं। पत्थर की नक्काशी हाथ से की गई, जबकि शुरुआती कटाई मशीनों से हुई।
निर्माण स्थल को आदर्श मानते हुए, गहरी नींव बनाई गई, जिसमें 4.6 मीटर चट्टानों और रेत को तार की जाली में उलझाया गया। इसके ऊपर 1.5 मीटर मोटा कंक्रीट डाला गया और पाँच मिलियन ईंटों से नींव मजबूत की गई।
पर्यावरणीय मंजूरी और विवाद
अक्षरधाम परिसर यमुना नदी के बाढ़ मैदान से लगभग 1,700 मीटर दूर स्थित है। हालांकि निर्माण के दौरान कुछ कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों ने पर्यावरणीय मंजूरी न मिलने का आरोप लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद स्पष्ट किया कि सभी पर्यावरणीय और भूमि उपयोग नियमों का पालन किया गया है और निर्माण पूरी तरह कानूनी था।
उद्घाटन और अंतरराष्ट्रीय मान्यता
6 नवंबर 2005 को मंदिर का उद्घाटन हुआ और इसके बाद गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में इसे दुनिया का सबसे बड़ा व्यापक हिंदू मंदिर घोषित किया गया। उद्घाटन समारोह में प्रमुख नेताओं और हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान
अक्षरधाम केवल धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह शिक्षा, सामाजिक सेवा और सांस्कृतिक जागरूकता का केंद्र भी है। AARSH केंद्र के माध्यम से शिक्षा, चिकित्सा, आदिवासी कल्याण और पर्यावरणीय अध्ययन पर शोध किया जाता है। इसके अलावा, परिसर ने 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान भी पर्यटकों और खिलाड़ियों को आकर्षित किया।
दिल्ली का स्वामीनारायण अक्षरधाम न केवल एक भव्य मंदिर है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, धर्म और आध्यात्मिकता का एक अद्वितीय उदाहरण है। इसकी भव्यता, नक्काशी, आधुनिक तकनीक और सामाजिक योगदान इसे देश-विदेश में अद्वितीय बनाते हैं। अक्षरधाम दर्शन, शिक्षा और सांस्कृतिक जागरूकता का ऐसा केंद्र है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।