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श्री श्री रविशंकर: आध्यात्मिक गुरु और विश्व शांति के प्रेरक

श्री श्री रविशंकर: आध्यात्मिक गुरु और विश्व शांति के प्रेरक

श्री श्री रविशंकर, आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्थापक और विश्व शांति के प्रेरक, ने भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति, संवाद और मानव सेवा के माध्यम से तनाव और हिंसा कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

Sri Sri Ravi Shankar: भारत ने हमेशा से ही ऐसे महान संत, योगियों और आध्यात्मिक गुरुओं को जन्म दिया है, जिन्होंने केवल व्यक्तिगत जीवन का मार्गदर्शन ही नहीं किया, बल्कि समाज और विश्व के लिए भी योगदान दिया। श्री श्री रविशंकर, जिन्हें सामान्यत: गुरुदेव या श्री श्री कहा जाता है, ऐसे ही एक आधुनिक युग के आध्यात्मिक नेता हैं, जिन्होंने न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शांति, सद्भाव और मानवता के संदेश का प्रसार किया।

रविवार, 13 मई 1956 को तमिलनाडु के पापनासम में जन्मे रविशंकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा और आध्यात्मिक प्रशिक्षण से लेकर, विश्व स्तर पर शांति और मानवीय सहयोग की पहल तक एक अद्वितीय यात्रा तय की है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

रविशंकर का जन्म विशालाक्षी और आरएस वेंकट रत्नम के घर हुआ। उनका नाम "रवि" इसलिए रखा गया क्योंकि उनका जन्म रविवार को हुआ था और "शंकर" महान हिंदू संत आदि शंकराचार्य के सम्मान में रखा गया।

शंकर के प्रारंभिक शिक्षक सुधाकर चतुर्वेदी थे, जो एक वैदिक विद्वान और महात्मा गांधी के सहयोगी रहे थे। 1973 में उन्होंने बैंगलोर के सेंट जोसेफ कॉलेज से भौतिकी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। स्नातक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अपने जीवन को आध्यात्मिक सेवा और मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया।

आध्यात्मिक प्रशिक्षण और आर्ट ऑफ़ लिविंग की स्थापना

1970 के दशक में रविशंकर ने महर्षि महेश योगी के मार्गदर्शन में ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन का प्रशिक्षण लिया। इस दौरान उन्होंने वैदिक विज्ञान, ध्यान और योग के गूढ़ सिद्धांतों को आत्मसात किया।

1981 में, उन्होंने आर्ट ऑफ़ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य लोगों को तनाव-मुक्त जीवन, मानसिक शांति और आध्यात्मिक जागरूकता प्रदान करना था। इसके तहत योग, ध्यान, प्राणायाम और सेवा आधारित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

1982 में, कर्नाटक के शिवमोग्गा में भद्रा नदी के तट पर दस दिन के मौन और ध्यान के बाद, रविशंकर ने सुदर्शन क्रिया की खोज की। यह एक विशेष श्वास और ध्यान प्रक्रिया है, जो मानसिक तनाव को कम करने और जीवन में संतुलन लाने का साधन है।

दर्शन और आध्यात्मिक शिक्षाएँ

रविशंकर का मानना है कि आध्यात्मिकता केवल पूजा और कर्मकांड तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रेम, करुणा, और मानवता के मूल्यों को विकसित करने का माध्यम है। उनके अनुसार, मानव परिवार के सभी सदस्य धार्मिक, जातीय या राष्ट्रीय भेदभाव से परे जुड़े हुए हैं।

वे विज्ञान और आध्यात्मिकता के बीच संबंध को भी समझाते हैं। "मैं कौन हूँ?" प्रश्न अध्यात्म की ओर ले जाता है और "यह क्या है?" प्रश्न विज्ञान की ओर। उनका दृष्टिकोण यह है कि आनंद केवल वर्तमान क्षण में अनुभव किया जा सकता है, और जीवन की वास्तविकता में तनाव और हिंसा से मुक्त जीवन संभव है।

पाकिस्तान और अंतर्राष्ट्रीय शांति

2004 में रविशंकर ने सद्भावना मिशन के तहत पाकिस्तान का दौरा किया। 2012 में इस्लामाबाद और कराची में आर्ट ऑफ़ लिविंग केंद्रों का उद्घाटन किया गया। उनका उद्देश्य था, भारत-पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक समझ बढ़ाना।

कोलंबिया और FARC

2015 में कोलंबियाई संघर्ष समाधान के दौरान रविशंकर ने FARC नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने गांधीवादी अहिंसा और संवाद के माध्यम से राजनीतिक और सामाजिक न्याय प्राप्त करने का मार्ग सुझाया। इसके लिए उन्हें साइमन बोलिवर ऑर्डर ऑफ डेमोक्रेसी, नाइट क्रॉस ग्रेड से सम्मानित किया गया।

वेनेज़ुएला और दक्षिण अमेरिका

2019 में वेनेज़ुएला के नेताओं से मुलाकात कर, उन्होंने राजनीतिक संघर्ष को समाप्त करने और शांति बहाल करने की पहल की। उनका उद्देश्य विभिन्न पक्षों को संवाद और समझौते के माध्यम से जोड़ना था।

कश्मीर और भारत

रविशंकर ने 2016 में कश्मीर में "कश्मीर बैक टू पैराडाइज" नामक सम्मेलन की शुरुआत की। उनका मानना है कि कश्मीर समस्या का समाधान केवल कश्मीरियों के प्रयासों से ही संभव है। यह पहल शांति, उद्यमिता, महिला सशक्तिकरण और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए थी।

पूर्वोत्तर भारत

पूर्वोत्तर भारत में 2017 में 68 उग्रवादियों का आत्मसमर्पण और कई अन्य समूहों को मुख्यधारा में लाने में रविशंकर का योगदान महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने 500 से अधिक विद्रोही समूहों को शांतिपूर्ण परिवर्तन की ओर प्रेरित किया।

अयोध्या विवाद में मध्यस्थता

2017 में अयोध्या राम मंदिर विवाद में रविशंकर को मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने दोनों समुदायों के बीच संवाद और समझौता की पहल की। मार्च 2019 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तीन सदस्यीय समिति में उन्हें शामिल किया गया, जिसने विवाद का समाधान खोजने का कार्य किया।

उनके प्रयासों से, सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित भूमि पर राम मंदिर और पास में मस्जिद निर्माण का निर्णय सुनाया।

अंतरधार्मिक संवाद और मानव सेवा

रविशंकर अंतरधार्मिक संवाद के समर्थक हैं और एलिजा इंटरफेथ इंस्टीट्यूट के विश्व धार्मिक नेताओं के बोर्ड में शामिल हैं। 2008 और 2010 में उन्होंने विश्व शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और एचआईवी रोकथाम, लिंग आधारित हिंसा और सामाजिक कलंक के खिलाफ विश्वास आधारित नेताओं को शामिल किया।

श्री श्री रविशंकर ने अपने जीवन और प्रयासों के माध्यम से केवल व्यक्तिगत आध्यात्मिक जागरूकता ही नहीं बढ़ाई, बल्कि समाज और विश्व में शांति, सहिष्णुता और मानवता का संदेश फैलाया। उनके आर्ट ऑफ़ लिविंग कार्यक्रम, अंतरधार्मिक संवाद और विभिन्न शांति पहलों ने तनाव, हिंसा और असहमति को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका दृष्टिकोण प्रेम, करुणा और संवाद पर आधारित है, जो आज के वैश्विक समाज के लिए प्रेरक और मार्गदर्शक साबित होता है।

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