करीब 13 साल पहले लॉन्च हुआ Hike App, जिसे WhatsApp का सबसे बड़ा चैलेंजर कहा जाता था, अब बंद होने जा रहा है। शुरुआती लोकप्रियता के बाद ऐप टिक नहीं पाया और कंपनी ने फोकस बदलकर गेमिंग बिजनेस की ओर कदम बढ़ा दिए।
Hike App News: भारत का घरेलू मैसेजिंग ऐप Hike, जिसे 2012 में कविन मित्तल ने लॉन्च किया था और जो युवाओं में तेजी से लोकप्रिय हुआ था, अब 13 साल बाद बंद होने की कगार पर है। WhatsApp से कड़ी प्रतिस्पर्धा झेलने के बाद कंपनी ने अपनी रणनीति बदलकर गेमिंग और Rush जैसे नए प्लेटफॉर्म की ओर रुख किया।
मैसेजिंग से गेमिंग तक Hike का सफर
करीब 13 साल पहले भारत में WhatsApp को टक्कर देने के लिए लॉन्च हुआ Hike अब बंद होने की कगार पर है। शुरुआती दिनों में यह युवाओं में बेहद लोकप्रिय था, लेकिन समय के साथ WhatsApp और अन्य प्लेटफॉर्म्स के सामने टिक नहीं पाया।
Hike ने अपनी रणनीति बदलते हुए मैसेजिंग से हटकर रियल मनी गेमिंग (RMG) पर फोकस किया। इस बदलाव से कंपनी को तेजी से सफलता मिली और चार सालों में लाखों यूज़र्स जोड़ लिए।
भारत में बैन ने बिगाड़ा बिज़नेस मॉडल
भारत सरकार द्वारा रियल मनी गेमिंग पर लगाए गए बैन ने Hike के भविष्य को गंभीर झटका दिया। कविन मित्तल ने निवेशकों को बताया कि मौजूदा फंड से कंपनी लगभग सात महीने तक ऑपरेट कर सकती थी, लेकिन नए नियम और टैक्स पॉलिसी के चलते यह अवधि घटकर केवल चार महीने रह गई।
इस फैसले ने न केवल ऑपरेशंस प्रभावित किए बल्कि भारत में निवेश और विस्तार की योजनाओं पर भी असर डाला। Hike के लिए यह अप्रत्याशित और चुनौतीपूर्ण स्थिति थी।
अमेरिका में कारोबार पर भी पड़ा असर
Hike ने अमेरिका में भी नया गेमिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था और वहां अच्छे नतीजे आ रहे थे। लेकिन भारत में लगे बैन के चलते पूरी कंपनी की वित्तीय स्थिति डगमगा गई और अमेरिका में कारोबार बनाए रखना संभव नहीं रहा।
अंततः Hike ने अपने सभी ऑपरेशंस बंद करने का फैसला लिया, जिससे वैश्विक विस्तार की योजनाओं को भी विराम लग गया।
पैसा कर्मचारियों और निवेशकों में बांटने का प्लान
कंपनी के पास अब लगभग 4 मिलियन डॉलर बचे हैं। Hike ने घोषणा की कि सबसे पहले यह राशि कर्मचारियों और वेंडर्स की सेवरेंस पेमेंट में खर्च की जाएगी। यदि इसके बाद कोई राशि बचे, तो उसे निवेशकों को लौटाया जाएगा।
कविन मित्तल ने कहा कि रियल मनी गेमिंग Hike के लिए मंज़िल नहीं बल्कि सिर्फ एक रास्ता था। टैक्स और रेग्युलेशन की चुनौतियों ने कंपनी की दिशा बदल दी और अंततः बंद करना अनिवार्य हो गया।